एक दिया जलाओ, कोरोना भगाओ

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तारीख 5-4-20 को रात 9:00 बजे घर के बाहर 9 मिनिट तक घर मे अन्धेरा करके दीपक जलाने का आदेश माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा दिया गया है जिसकी पालना भारतीय जनमानस द्वारा आवश्यक रूप से की जावेगी, इसमें तनिक भी संदेह नहीं है । इस घोषणा के साथ ही राष्ट्र का सहज विभिन्नता युक्त विमर्श सोशल मीडिया पर परवान चढ गया है । कोई इसे खगोल या नक्षत्र की विद्या से सुसंगत मानकर इसका वैज्ञानिक विश्लेषण कर रहा है , कोई लोक डाउन के दौरान भारत के पीड़ित एवं अभाव युक्त समूह को हो रहे कष्टों के मद्देनजर इसे पूर्ण निरर्थक साबित करने में लगा है। लिबरल , सेक्यूलर एवं कथित राष्ट्रद्रोही टुकड़ा गैंग और गिद्ध राजनेता इस अनसमझी रणनीति से आशंकित एवं खिन्न है जो संभवतया कोरोना त्रासदी से भारत के अनगिनत शवों को प्रत्यक्ष अस्तित्वमान होने की प्रतीक्षा कर रहा है ताकि शवो पर राजनैतिक रोटी सेक सके। चाहे जो हो , इसके पीछे छुपे हुए निहितार्थ का विश्लेषण अनिवार्य है।
स्वतंत्रता आंदोलन के समय की कहानियों में एक प्रसंग यह भी आता है जब महात्मा गांधी किसानों के एक समूह को राजनीतिक आंदोलन में आर्थिक सहयोग के रूप में प्रति व्यक्ति 25 पैसा दान के लिए लंबी जिदयुक्त बहस कर रहे थे , तब जाने-माने उद्योगपति श्री जमनालाल बजाज उनकी प्रत्यक्ष उपस्थिति को श्री गांधी जी द्वारा उपेक्षित किए जाने पर आंदोलन की समस्त धनराशि दान में अकेले ही प्रस्तुत करने का प्रस्ताव गांधी जी को देते हैं । श्री महात्मा गांधी द्वारा उनके प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर उत्तर दिया जाता है कि “25 पैसे प्रति व्यक्ति योगदान होने पर यह सभी किसान प्रस्तावित आंदोलन से जोड़ जुड़ेंगे जिसकी आज महती आवश्यकता है । आप अकेले द्वारा सारी राशि दे दिए जाने पर यह किसान आंदोलन से नहीं जुड़ पाएंगे ” । आप सभी जानते ही हैं कि हमारे प्रधानमंत्री श्री महात्मा गांधी की जन्म भूमि एवं कर्मभूमि गुजरात से ही आते हैं और उनके मध्य ये रणनीतिक समानता अस्वाभाविक नहीं है। कोरोना त्रासदी से पीड़ित भारतीय जनमानस को मोदी जी ने इसी रणनीति के तहत एकत्रित किया है जो लोक डाउन के दौरान दिया जलाकर ही इसके विरुद्ध सामूहिक एवं संयुक्त प्रतिकार में अपना योगदान देकर आत्मसंतुष्ट होगी । समस्त संसार के समक्ष राष्ट्र की एकभाव लोक शक्ति की सामूहिक अभिव्यक्ति का जब प्रकटन होगा तो राष्ट्र के सभी संभावित शत्रु राष्ट्रों के मन में भयंकर भय का संचार होगा और वे राष्ट्र को कभी भी वक्र दृष्टि से नहीं देख पाएंगे । सन 2014 एवं 2019 के लोकसभा आम चुनावो की भांति ही प्रधानमंत्री ने एक लंबी सरल रेखा खींच कर कोरोना त्रासदी के विरुद्ध राष्ट्र का नरेटिव सेट कर दिया है, जिस पर विश्व में भारत के शत्रु राष्ट्रों सहित उनके व्यक्तिगत राजनीतिक शत्रु केवल छुटपुट प्रतिक्रिया देने के लिए ही विवश होंगे। मीडिया के प्रबुद्ध पण्डित जानते होंगे कि चुनाव हो या युद्ध , वही व्यक्ति जीतता है जो पहले बड़ा नरेटिव सेट करता है । श्री मोदी जी ये काम बहुत पहले कर चुके है । आप सभी जानते ही हैं कि राजनीति के महानतम धुरंधर मोदी जी केवल जीतना ही जानते हैं । कोरोना त्रासदी पर भी उनकी जीत भव्य होगी , इसमें कोई संदेह नहीं है और उनकी इस जीत में ही राष्ट्र का कल्याण निहित है ।

जय भारत !जय हिंद !जय मानवता !
ताराचंद खेतावत

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