कलयुग में राम-लखन का अवतार: 24 घंटे गोसेवा में समर्पित, पर नेताजी ने तोड़ दिया वादा…

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कलयुग में राम-लखन का अवतार: 24 घंटे गोसेवा में समर्पित, पर नेताजी ने तोड़ दिया वादा…

गौरव रक्षक/राजेंद्र शर्मा

5 अगस्त 2025, भीलवाड़ा।

“यथा नाम तथा गुण:”
यह कहावत आज के समय में विरले ही लोगों पर लागू होती है, लेकिन भीलवाड़ा की धरती पर दो भाई — राम और लखन — इस कहावत को पूर्ण रूप से चरितार्थ कर रहे हैं। इनका नाम ही नहीं, कर्म भी उसी अनुरूप है — सेवा, समर्पण और करुणा से परिपूर्ण।

श्रीराम गौसेवा समिति: जहां हर पीड़ित गाय को मिलती है उम्मीद की एंबुलेंस

राम और लखन दोनों भाई श्रीराम गोसेवा समिति के माध्यम से दिन-रात घायल, बीमार और पीड़ित गोवंश की सेवा में लगे हुए हैं। चाहे आधी रात का समय हो या दोपहर की चिलचिलाती धूप — जैसे ही किसी भी गाय के घायल होने की सूचना मिलती है, ये दोनों बिना एक पल गंवाए एंबुलेंस लेकर मौके पर पहुंच जाते हैं।

इनकी सेवा निःस्वार्थ है, निःशुल्क है, और निःसीमा है।
यह सेवा सातों दिन, 24 घंटे, हर मौसम में चलती है।

डॉ. महेश काष्ठ का सहयोग: चिकित्सा में ममता का समर्पण

गौसेवा की इस श्रृंखला में वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. महेश काष्ठ भी एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। राम-लखन जैसे ही घायल गोवंश को अस्पताल पहुंचाते हैं, डॉ. महेश बिना समय गंवाए तुरंत इलाज शुरू कर देते हैं। उनके उपचार में एक डॉक्टर से कहीं अधिक एक करुणामयी हृदय की झलक मिलती है।

आज सुबह मैंने स्वयं देखा कि कैसे दोनों भाई एक गाय और दो बछड़ियों को गंभीर अवस्था में अस्पताल लेकर पहुंचे। डॉक्टर काष्ठ तत्काल उपचार में जुट गए। पूछने पर राम ने बताया —

“इन पर आवारा कुत्तों ने हमला किया था। अगर समय रहते सूचना नहीं मिलती, तो शायद ये बच नहीं पाते।”

जनता से विनम्र अपील: गाय को छोड़िए नहीं, सहारा बनिए उसका

राम और लखन का जनता से एक ही अनुरोध है —
“अपनी गायों को लावारिस न छोड़ें। अगर कोई गाय बीमार, घायल या संकट में हो, तो तुरंत हमसे संपर्क करें। हम निशुल्क सेवा देंगे।”
संपर्क:
📞 राम: 8112232363
📞 लखन: 6376515853

वो वादा जो गायों से किया गया, अब वादाखिलाफी में बदल गया…

जिस गाय के नाम की माला जपकर नेताजी ने चुनावी वैतरणी पार की, आज वही गायें उनके कार्यकाल में बेहाल हैं।
वो गलियों में भटक रही हैं…
कभी कुत्तों के हमले में घायल हो रही हैं…
कभी तेज रफ्तार गाड़ियों के नीचे कुचली जा रही हैं…
और कभी प्लास्टिक खाकर दम तोड़ रही हैं।

गौमाता पूछ रही है —
“नेताजी, हमने आपको वोट देकर विधायक तो बना दिया, अब हमारी भी सुध लो। हम सिर्फ चुनावी नारों का हिस्सा नहीं, जीवित आत्माएं हैं, हमें भी जीने का अधिकार दो।”

अब भी समय है – आइए, गायों की सेवा करें।

राम-लखन जैसे सेवाभावी लोग समाज के लिए एक जीवंत उदाहरण हैं कि करुणा, सेवा और निष्ठा आज भी जीवित है। लेकिन केवल दो लोगों के कंधों पर पूरे शहर की गायों का भार डाल देना उचित नहीं है।

आइए —
गौसेवा को सिर्फ भावना नहीं, कर्म में बदलें।
किसी को कोसने से बेहतर है, हाथ बढ़ाएं।
गायों की रक्षा करें — क्योंकि वो सिर्फ पशु नहीं, हमारी संस्कृति की आत्मा हैं।

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