उद्योग शुरू करने स्वीकृति तो मिल गई, कच्चा माल, मजदूर कहां से लाएं

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रिपोर्ट:-श्रेयांश शुक्ला

उद्योग शुरू करने स्वीकृति तो मिल गई, कच्चा माल, मजदूर कहां से लाएं

जबलपुर।

लॉकडाउन की वजह से बंद पड़े उद्योग धीरे-धीरे शुरू हो रहे हैं। जिला प्रशासन द्वारा दी गई राहत का असर मंगलवार को उद्योग क्षेत्र की फैक्ट्रियों में दिखाई देने लगा। रिछाई, अधारताल, मनेरी समेत शहर के कई औद्योगिक क्षेत्रों में ज्यादातर फैक्ट्रियों में काम शुरू हो गया है। नईदुनिया ने जब यहां का जायजा लिया तो मजदूरों, कच्चे माल की कमी से लेकर नकदी न होने और वसूली करने की चिंता उद्योग चलाने वाले लोगों के चेहरे पर साफ दिखाई दी। बातचीत के दौरान उद्योग संचालक और यहां काम कर रहे मजदूरों ने कई व्यवहारिक समस्याएं बताईं, जिन्हें दूर करने में अभी वक्त लगेगा।

नकदी नहीं है और वसूली भी नहीं कर पा रहे

मंगलवार को दोपहर तकरीबन 1 बजे हम अधारताल इंडस्ट्रीयल एरिया पहुंचे। लॉकडाउन के दौरान यहां सन्नाटा पसरा था, लेकिन फैक्ट्रियों से मशीनों की आवाज आ रही थी। मजदूरों के वाहन फैक्ट्री के बाहर खड़े थे, जो ये बता रहे थे कि वे अब काम पर लौट आए हैं। इस बीच हम मसाला फैक्ट्री के संचालक विकास कुकरेजा (विक्की) के यहां पहुंचे। यहां हल्दी, मैथी, धनिया से लेकर गर्म मसाले की पैकिंग हो रही थी। विकास ने हमें बताया फैक्ट्री में काम शुरू हो गया है, पर अभी बाजार में नकदी नहीं है, जिससे न तो पर्याप्त मात्रा में माल बिक रहा है और न ही कच्चा माल खरीद पा रहे हैं। अधिक राशि का लेनदेन बैंक से ही करना है, लेकिन इनके बाहर लोगों की लंबी कतार लगी है

10 से 15 फीसदी महंगा मिल रहा माल

मसाले की फैक्ट्री के पास ही थोक और फुटकर व्यवसाय से जुड़े कुछ लोग खड़े थे। इस बीच किशोर कुकरेजा से जब हमने पूछा कि लॉकडाउन के पहले और अब, दोनों में क्या अंतर आया है। वे फौरन बोले जमीन और आसमान का अंतर है। फैक्ट्री में उत्पादन करने लॉकडाउन के पहले प्रदेश ही नहीं बल्कि अन्य प्रदेशों से भी कच्चा माल आसानी से मांगवा लेते थे, लेकिन अब नहीं मांगवा पा रहे हैं। हमें मजबूरन शहर से कच्चा माल खरीदना पड़ रहा है, जो 10 से 15 फीसदी महंगा पड़ रहा है। ऐसे में उत्पाद की कीमत बढ़ाना अब हमारी मजबूरी बन गई है।

परिवाहन महंगा, मुख्य बाजार में नहीं पहुंचा माल

दोपहर तकरीबन ढाई बजे हम फूड प्रोडक्ट तैयार करने वाले जय कुमार की फैक्टी पहुंचे। वह कागजों में व्यस्त थे। नईदुनिया से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि काफी काम पेडिंग हो गया है, जो अब निपटा रहा हूं। अभी तक उद्योग बंद था। अब धीरे-धीरे मजदूर आने लगे हैं, लेकिन इनमें भी कोरोना का डर बना है, जिससे आस-पास रहने वाले मजदूर तो काम पर आ रहे हैं, लेकिन जो शहर से दूर या अन्य उपनगर में रहने हैं, वे काम पर नहीं आ पा रहे। इस दौरान ज्यादा परेशानी माल के परिवाहन को लेकर है। दूसरे शहरों से माल मांगवाना महंगा हो गया है।

व्यापारियों से यह बताई समस्या

– बिजली तो आ रही, लेकिन फैक्ट्री बंद होने से इनका बिल देना भी मुश्किल होगा।

– मजदूरों को पर्याप्त संख्या में नहीं बुला सकते। आधे मजदूर ही आ रहे हैं।

– परिवाहन के लिए वाहन नहीं मिल रहे, जो मिल रहे, उसका किराया दोगुना हो गया।

– उत्पादन न होने से कच्चे माल की कीमत बढ़ गई है, जिससे लागत बढ़ने लगी है।

– दूसरे शहर और राज्यों में माल पहुंचाने जो दस्तावेज जरूरी है वह मिल नहीं पा रहे हैं।

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