वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के काल से कोई भी वर्ग अछूता नहीं है पर परंतु इसका खासा असर समाज के उस गरीब वर्ग पर पड़ा है जो 2 जून की रोटी के लिए अपने घर गांव की जमीन छोड़ शहरो में जद्दोजहद कर रहा था ।

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रिपोर्ट- जितेंद्र चिमनानी

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के काल से कोई भी वर्ग अछूता नहीं है पर परंतु इसका खासा असर समाज के उस गरीब वर्ग पर पड़ा है जो 2 जून की रोटी के लिए अपने घर गांव की जमीन छोड़ शहरो में जद्दोजहद कर रहा था ।

देशभर में लोक डाउन होने के बाद इन लोगों के पास न खाने को भोजन है और ना ही रहने को छत रोजगार ना होने की वजह से आर्थिक तंगी भी है अपने घर अपने गांव वापस जाने के लिए भी पर्याप्त यातायात के साधन भी उपलब्ध नहीं है आलम यह है जिसे जो साधन मिला वह जैसे तैसे कुच कर पढ़ें, परिस्थितियां यह हैं कि कोई 31 मार्च से महाराष्ट्र से पैदल ही उत्तर प्रदेश अपने गांव की ओर चल पड़ा तो कोई इस कड़कड़ाती धूप में चप्पल टूट जाने के बाद नंगे पांव भूखे पेट 700 किलोमीटर की दूरी चलता जा रहा है।

संकट की इस विशाल घड़ी में भी कुछ सामाजिक संस्थाएं ऐसी हैं जो मानवता का धर्म निभा रही हैं ।ऐसा ही कुछ मंजर देखने को मिला मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर के बाईपास में जहां विभिन्न राज्यों से होते हुए सैकड़ों मजदूर जो कई दिनों से भूखे पेट भी थे कि भोजन व्यवस्था हेतु हेल्पिंग हैंड्स संस्था कार्य कर रही है ।संस्था के ही संजू पुरस्वानी ने बताया की निरंतर संस्था द्वारा विगत 1 माह से मजदूरों ट्रक ,ड्राइवर एवं जरूरतमंद व्यक्तियों के लिए प्रतिदिन 500 थाली से ज्यादा भोजन की व्यवस्था की जा रही है इसके साथ साथ जरूरतमंद राहगीरों के लिए पानी, ग्लूकोस ,ओ आर एस एवं जूते चप्पलों की भी व्यवस्था संस्था द्वारा की जा रही है जिससे वह वर्ग जो रास्तों में फंसा हुआ है वह सुरक्षित ही जल्द से जल्द अपने घर पहुंचे सके ।

निश्चय ही इन मजबूर राहगीरों की आपबीति सुन आंखों में पानी आ जाता है । गौरव रक्षक हेल्पिंग हैंड संस्था द्वारा किए जा रहे इस उत्तम कार्य के लिए सलाम करता है।

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