अरिहंत नगर विवाद: 10 साल की जद्दोजहद के बाद कॉलोनीवासियों को मिली राहत, पुलिस जांच में फर्जी निकली वसीयत

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“प्रतीकात्मक चित्र ”

अरिहंत नगर विवाद: 10 साल की जद्दोजहद के बाद कॉलोनीवासियों को मिली राहत, पुलिस जांच में फर्जी निकली वसीयत

गौरव रक्षक/राजेन्द्र शर्मा

भीलवाड़ा, 10/9/2025,
अरिहंत नगर कॉलोनी के सैकड़ों परिवारों के लिए एक बड़ी राहत की खबर आई है। पिछले दस साल से न्याय की राह देख रहे 600 से अधिक लोगों को आखिरकार उम्मीद की किरण दिखाई दी है। पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र सिंह यादव के निर्देश पर सुभाष नगर थाना पुलिस ने विस्तृत जांच कर कोर्ट में रिपोर्ट पेश की है, जिसमें विवादित वसीयत को फर्जी करार दिया गया है।

आवासीय भूमि पर खड़ा हुआ विवाद

पांसल तहसील के खसरा नंबर 4022, 4029 और 4032 की कृषि भूमि का 1993 में समपरिवर्तन कर इसे आवासीय घोषित कर दिया गया था। इसके बाद यूआईटी ने भूखंडों के पट्टे जारी किए और कॉलोनी में सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाईं। कॉलोनी में जैन मंदिर का निर्माण भी हो गया।

लेकिन 2015 में मृतक खातेदार सज्जन सिंह के पौते राजेन्द्र सिंह ने जमीन पर अपना हक जताते हुए एसडीएम कोर्ट से स्टे ले लिया। कॉलोनीवासी जब कोर्ट पहुंचे तो कोर्ट ने इस स्टे को नियम विरुद्ध बताया।

एफआईआर से लेकर कोर्ट तक की लड़ाई

निरंजन लोढा, एकता जैन, विनिता गांधी, प्रियंका और सरोज लोढा सहित कई कॉलोनीवासियों ने 23 मार्च 2022 को प्रताप नगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाई। लेकिन प्रताप नगर पुलिस ने मामले को सिविल विवाद बताकर अधूरी जांच की और एफआर लगा दी।

इस पर कॉलोनीवासी कोर्ट गए और कोर्ट ने केस की जांच सुभाष नगर थाना को सौंपते हुए 19 बिंदुओं पर विस्तृत अनुसंधान करने का आदेश दिया।

पुलिस जांच में बड़ा खुलासा: वसीयत फर्जी

सुभाष नगर थाना पुलिस ने गहन जांच के बाद रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की। इसमें पाया गया कि—
• जिस वसीयत के आधार पर स्टे लिया गया, वह फर्जी है।
• वसीयत 1977 की बताई गई, जबकि उस समय राजेन्द्र सिंह की उम्र मात्र पांच माह थी।
• मूल वसीयत 2015 में गुम बताई गई, लेकिन उसकी गुमशुदगी रिपोर्ट को पुलिस ने मनगढ़ंत पाया।
• रिपोर्ट में सामने आया कि वसीयत मात्र 1 रुपए के स्टाम्प पर लिखी गई थी और उसका कोई सरकारी रिकॉर्ड मौजूद नहीं है।
• राजेन्द्र सिंह ने दावा किया था कि वसीयत के साथ पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस भी गुम हो गए, लेकिन पूछताछ में उसने स्वीकार किया कि दोनों दस्तावेज उसके पास ही हैं।

न्याय की राह हुई आसान

इस रिपोर्ट से साफ है कि विवादित वसीयत झूठी और अविश्वसनीय है। अब अरिहंत नगर कॉलोनी के 50 से अधिक भूखंडधारकों और 600 से ज्यादा लोगों को अपने भूखंडों पर निर्माण करने और वैध अधिकार प्राप्त करने का रास्ता खुलता नजर आ रहा है।

लंबे समय से न्याय के लिए संघर्ष कर रहे इन परिवारों को अब भरोसा है कि कोर्ट का फैसला उनके पक्ष में आकर उन्हें राहत जरूर दिलाएगा।

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