सरकार भ्रष्ट और नाकारा अफसर-कर्मचारियों को जबरन रिटायर करेगी..

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सरकार भ्रष्ट और नाकारा अफसर-कर्मचारियों को जबरन रिटायर करेगी…

गौरव रक्षक/राजेंद्र शर्मा

24मई, जयपुर

सरकारी विभागों में अब भ्रष्ट और काम नहीं करने वाले अफसर, कर्मचारियों को जबरन रिटायर किया जाएगा। भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों में लगातार शिकायतों और नॉन परफॉर्मर बने रहने वाले अफसर-कर्मचारियों की विभागवार लिस्ट बनाने का काम शुरू हो चुका है। 15 साल की नौकरी पूरी कर चुके अफसर-कर्मचारी इसके दायरे में आएंगे। दरअसल, मुख्य सचिव सुधांश पंत ने सभी विभागों को भ्रष्ट और नॉन परफॉर्मर अफसर, कर्मचारियों की विभागवार लिस्ट तैयार करने के आदेश दिए हैं। ऐसे अफसर-कर्मचारियों को जबरन रिटायर करने के प्रस्ताव तैयार करने को कहा है। मुख्य सचिव के आदेशों के बाद सभी विभागों में काम शुरू हो चुका है। करप्शन के मामले में टॉप रहने वाले विभागों में सबसे ज्यादा अफसर और कर्मचारी छंटनी के दायरे में आएंगे।

सेवा नियमों में पहले से है जबरन रिटायर करने के प्रावधान

राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1996 के नियम 53(1) के तहत अनिवार्य रिटायरमेंट के प्रावधान पहले से है। इन नियमों के तहत सरकार ऐसे किसी अफसर या कर्मचारी को जबरन रिटायर कर सकती है, जिन अफसर और कर्मचारियों के खिलाफ लगातार भ्रष्टाचार के मामले आते हों। सरकार के कामकाज में लगातार लापरवाह हो। जो सरकारी सेवा में विभाग पर बोझ बन चुके हों। उन्हें जबरन रिटायर किया जा सकता है।

3 महीने का नोटिस या तीन महीने की एडवांस सैलरी देकर जबरन रिटायर कर सकती है सरकार

भ्रष्ट और काम नहीं करने वाले अफसर-कर्मचारियों को जबरन रिटायर करने के लिए तय नियमों के हिसाब से प्रोसेस पूरा किया जाता है। नियमों के अनुसार जिन अफसर और कर्मचारियों की 15 साल की सरकारी नौकरी पूरी हो चुकी हो, उन्हें आचरण और खराब काम को आधार बनाकर जबरन रिटायर किया जा सकता है। इस नियम के तहत जबरन रिटायर करने वाले कर्मचारी-अफसरों की विभागवार स्क्रीनिंग होती है। इनकी सालाना गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) खराब होती है। उन्हें छांटा जाता है। नियमों के अनुसार जबरन रिटायरमेंट के दायरे में आने वाले अफसर-कर्मचारियों को तीन महीने का नोटिस दिया जाता है। नोटिस पीरियड की जगह तीन महीने की एडवांस सैलरी और भत्ते देकर तुरंत रिटायर किया जा सकता है।

पहले भी दागी अफसर-कर्मचारियों को किया जा चुका जबरन रिटायर

राज्य सरकार में पहले भी दागी अफसर और कर्मचारियों को जबरन रिटायर किया जा चुका है। वसुंधरा सरकार के समय पुलिस, रेवेन्यू से लेकर कई विभागों में दागी अफसरों और कर्मचारियों को रिटायर किया गया था। केंद्र सरकार भी ऑल इंडिया सर्विस के अफसरों के कामकाज का आकलन करवाकर दागी और खराब काम करने वाले अफसरों को जबरन रिटायर करती रही है। राज्यों में भी उसी तर्ज पर प्रोसेस अपनाया जाता है।

छह साल एसीआर नहीं भरने पर आईएफएस जेडए खान को जबरन रिटायर किया था

आईएफएस जुल्फिकार अहमद खान को 31 अगस्त 2018 में जबरन रिटायर किया गया था। खान ने लगातार छह साल तक सालाना गोपनीय रिपोर्ट (ACR) नहीं भरी थी। एसीआर नहीं भरने के आधार पर ही उन्हें जबरन रिटायर कर दिया गया था, इस गलती के अलावा उन पर कोई आरोप नहीं था।

राज्यपाल से उलझने वाले आईपीएस इंदु भूषण को किया था जबरन रिटायर

वसुंधरा सरकार के समय चर्चित आईपीएस इंदु भूषण को 29 मार्च 2018 को जबरन रिटायर कर दिया गया था। इंदु भूषण हैदराबाद में आईपीएस एकेडमी के कार्यक्रम में आंध्र प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल से उनके भाषण के दौरान उलझ गए थे। उन्होंने राज्यपाल के भाषण के बीच ही टोका-टाकी शुरू कर दी थी। एक आईपीएस को यह करता देख उस कार्यक्रम में सभी अफसर हैरान रह गए थे।
इंदु भूषण को उस कार्यक्रम से जबरन बाहर निकालकर बीच सेशन ही एयरपोर्ट से जयपुर रवाना किया गया था। यह घटना उस वक्त खूब चर्चित हुई थी। इंदु भूषण पर सीनियर से उलझने और मिसबिहेव के भी आरोप थे।

लापरवाह अफसर-कर्मचारियों को चेतावनी
मुख्य सचिव ने भ्रष्ट और नॉन परफॉर्मर अफसर, कर्मचारियों को जबरन रिटायर करने का प्रोसेस शुरू करने के आदेश देकर ब्यूरोक्रेसी को चेतावनी देने का प्रयास किया है। लापरवाह अफसर-कर्मचारियों को इसे चेतावनी के तौर पर माना जा रहा है।

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