पत्रकार राजेन्द्र शर्मा✍🏻राजनैतिक महासंग्राम🏹🏹🏹 ❗️गहलोत के रचे चक्रव्यूह को तोड़ना नही आसान, राजस्थान में टिकट वितरण बना सोनिया, राहुल खरगे के लिए बड़ी चुनोती❗जादूगर🧙‍♂️🧙‍♂️ का चुनावी मायाजाल, क्या बना पायेगा फिर गहलोत को मुकद्दर का सिकंदर

0
123

पत्रकार राजेन्द्र शर्मा✍🏻राजनैतिक महासंग्राम🏹🏹🏹

❗️गहलोत के रचे चक्रव्यूह को तोड़ना नही आसान, राजस्थान में टिकट वितरण बना सोनिया, राहुल खरगे के लिए बड़ी चुनोती❗जादूगर🧙‍♂️🧙‍♂️ का चुनावी मायाजाल, क्या बना पायेगा फिर गहलोत को मुकद्दर का सिकंदर

कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक भी हो गयी, पर लिस्ट फिर अटक गई। गहलोत खेमे की छटपटाहट अब घबराहट में बदलने लगी है। सोनिया ने धारीवाल के लिए वही कहा जो कहना चाहिए था। धारीवाल, राठौड़, जोशी और उनके इशारों पर इस्तीफा देने वालो को अनुशासनहीनता की सजा की शुरुआत सोनिया गांधी ने कर ही दी। भरी मीटिंग में
सन्नाटा छा गया। इस धोबी पछाड़ दांव का गहलोत के पास कोई तोड़ नही दिख रहा।🤣🤣

पिछले एक माह से ही ये सिंगल नाम का पैनल तैयार करवाने की कार्यवाही गहलोत की रणनीति का हिस्सा थी। रंधावा, डोटासरा, गोगोई के सामने गहलोत का कद काफी बड़ा है, इसीलिए सिंगल नाम की सूची बिना रुकावट CWC तक पहुंच गई। उम्मीद थी कि वर्किंग कमेटी भी चुपचाप मान लेगी। इसी आत्मविश्वास में कल फिर गहलोत गलती कर बैठे। सब सही चल रहा था और मानेसर पर बयान दे दिया। अपने विधायको को 10 करोड़ ठुकराने पर ईमानदार बता दिया। सुनते है पायलट ने जब अपनी बात रखनी चाही तो गहलोत ने बदतमीजी तक की। पर इसका उल्टा असर हुआ। आज जीती बाजी अटक गई।😂😂

गत एक साल से हाई कमान की पहली पसंद पायलट लग रहे है। वे युवा है और राजस्थान कांग्रेस का भविष्य है। पर *उन्हें किनारे करने के प्रयास में गहलोत गांधी परिवार की राय से ऊपर का खेल खेलना चाह रहे है।* वे चाहते है कि येन केन प्रकरेण, उनकी सरकार बचाने के लिए इस्तीफा देने वाले विश्वसनीय विधायको को टिकट का पुरस्कार दिलवा कर टीम गहलोत कायम रखी जाए। ये वादा उन्होंने काफी पहले कर दिया था। अबकी बार भी उन्हें टिकट गहलोत के एहसान से मिले तो वे फिर गहलोत को ही मुख्यमंत्री बनाने के लिए एकजुट हो जाएंगे, चाहे आलाकमान की मर्जी हो या नही। 😁😁

गहलोत गुट जानता है कि पायलट युग आया तो उनका क्या हश्र होगा। पिछले साल की बगावत की हिमाकत के पीछे यही डर था। *भाजपा तो शायद जीतने के बाद गहलोत से हारे हुए राजा🤴🤴 सा सम्मानीय बर्ताव करे, पर पायलट जीत कर हर बर्बरता का हिसाब करेंगे*। यही डर गहलोत खेमे से वो ऐतिहासिक विद्रोह करवा गया, जो उन्हें अब दुख देगा।

गांधी परिवार इस बार सजग दिख रहा है। *क़ानूगोलु की रिपोर्ट हाथ मे रख कर राहुल ने जो तेवर दिखाए है, वो गहलोत को आज सोने नही देंगे।* गहलोत जानते है कि कांग्रेस में टिकट पाने की योग्यता गांधी परिवार या हाई कमान के प्रति अंधनिष्ठा रही है। इसी निष्ठा ने उन्हें 3 बार मुख्यमंत्री बनाया। अब *किस जादू से गहलोत के प्रति निष्ठावान, परन्तु आलाकमान के आदेश के विरोध में इस्तीफा देने वाले विधायको को टिकट मिलेगा?* इस कड़ी में धारीवाल, राठौड़ व जोशी काट कर आलाकमान ने अपनी ताकत दिखा दी है। सन्देश साफ है कि, बाकी उम्मीदवारों को गहलोतवाद से ऊपर उठ कर हाई कमान का हाथ पकड़ना होगा अन्यथा उनकी उम्मीदे खत्म समझो। *सर्वे और जनता उनके पक्ष में नही है, बस गहलोत है जो खुद टिकट की गारंटी नही रहे।* 😜😜

राहुल खरगे किसी भी हाल में राजस्थान की चाबी🗝️🗝️ गहलोत से वापिस लेना चाहते है। *चुनाव जीते तो हर विधायक हाई कमान के प्रति निष्ठा का एक लाइन का प्रस्ताव पास करे, बस और कुछ नही।* इस योजना के तहत ही आज का झटका दिया गया है।

*राजस्थान जीतना भी महत्वपूर्ण है पर हाई कमान के हाथ✋✋ के नीचे*।

देखना यही होगा कि गहलोत अब क्या रणनीति अपनाते है। वे वासनिक व माकन से भी मिले। रंधावा, अम्बिका सोनी को भी आगे किया। पर आज राहुल सोनिया ने उनकी योजना को करारा झटका दे दिया है।

पायलट चुप🤫🤫 है। उन्होंने गहलोत की वफादारी को खुले आम नंगा करवा दिया है। सर्वे में हार रहे विधायको को टिकट दिलवाने की गहलोत की शातिर रणनीति आज तो विफल हो गयी। ये गहलोत की सफल कूटनीति ही है कि उनके खेमे के टिकट काटना गांधी परिवार के लिए भी चुनोती बना हुआ है। देखना यही होगा कि गहलोत खेमा कितने टिकट हांसिल कर पायेगा। इसी से कांग्रेस और गहलोत का राजस्थान में भविष्य तय होगा।

चुनावी समर है।
आगे आगे देखिए होता क्या?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here