जरा सा पैर जो फिसला, इल्जाम उसी चप्पल पर लगाया सबने ।
महीनों तपती जमीन , और कांटों से बचाया जिसने ।।
आंकड़े गवाह है रामपुर बघेलान के कुशासन के
गौरव रक्षक/शिवभानु
4जून, सतना
सतना – जीवन में रोटी , कपड़ा और मकान सबसे महत्वपूर्ण है । अगर रोटी नहीं तो जीवन कैसा । आखिर इस रोटी के लिए ही तो इंसान दुनियादारी करता है । लेकिन जब गरीब की रोटी पर डाका डाला जाता है तब व्यवस्था पर सवाल उठना स्वाभाविक है । दुनिया आंकड़ों से चलती है और आंकड़े बताते हैं कि रामपुर बघेलान की राशन वितरण प्रणाली सबसे घटिया है । इसी कारण कलेक्टर के यहां सर्वाधिक 31 नोटिस जारी किए हैं । व्यवस्था व जिम्मेदारों द्वारा बार-बार कुशासन की बात करना अलग बात है लेकिन हकीकत यह है कि यहां के सफेदपोश डाकू दिन-रात जनता को लूटते हैं और सुबह माननीयों के दर्शन कर धन्य हो जाते हैं । यह तो कलेक्टर अनुराग वर्मा है जो खोज खबर लेते हैं वरना “दूसरे तो जाने भी दो यारों” की तर्ज पर आगे बढ़ जाया करते हैं ।
कितना संघर्ष किया होगा महाराणा ने
रामपुर में स्वाभिमान की कोई कीमत नहीं है । पत्रकारों के दिल चुराने वाला औरंगजेब सिद्दीकी कहता है कि हमारे पास समय नहीं है अपना बिल फाइलों से खुद ढूंढ लो । उसके पास यह कहने की हिम्मत इसलिए है कि उसे पता है कि यहां लक्ष्मी जी की माया चलती है । शारदा जी तो अपमानित होने के लिए ही पैदा हुई है । आखिर महाराणा ने कितना संघर्ष किया होगा इन मुगलों से ।
साहब-कोटेदार चना नहीं दे रहा है
गरीबों को मिलने वाले चने पर रासूकदारों का कब्जा
समीक्षा बैठक में कलेक्टर ने लगाई फटकार, जारी की नोटिस
प्रदेश में विद्यमान शिवराज सिंह की सरकार विकास के चाहे जितने भी दाबे करे,लेकिन मैदानी हकीकत कुछ अलग है। सरकार द्वारा गरीबों को 1 रूपये किलो गेहूं,चावल प्रतिमाह दिया जाता है। कोरोना काल के बाद सरकार द्वारा मुफ्त में आम जनता को अनाज भी प्रदान किये गये हैंं। लेकिन जिले में परिवहन ठेकेदार, फूड अधिकारी व नागरिक आपूर्ति निगम के लापरवाही के चलते लगातार गरीब जनता के निवाले पर कुठाराघात किया जा रहा है। मार्च 2022 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा अप्रैल और मई महीनें में प्रति राशनकार्ड धारक को एक किलो मुफ्त चना देने का ऐलान किया गया था। लेकिन पूरे जिले में एक भी दाना अनाज नहीं बंटा। हितग्राहियों द्वारा कोटेदार से बोलने पर सैल्समैन का यही कहना कि चना आया ही नहीं है।इ इतना ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहर में संचालित दुकानों में भी अभी तक चने का एक दाना नहीं बंटा है।
आखिर कहां गया गरीबों को बंटने वाला चना
अब सवाल यह उठता है कि आखिर गरीबों को बंटने वाला चना आखिर कहां चला गया। क्यों कि चने की खेप सतना आई फिर इसके बाद चने का स्टाक कहां गुम हो गया। सूत्रोंं की तो गरीबों को बंटने वाला चना परिवहन व्यवसायी और फूड अधिकारियों के बीच खेल हो गया।
हो गया करोड़ों का खेल
अगर जिले में खुलने वाली राशन दुकानों की प्रति कार्ड धारक का एक किलो चना के हिसाब से देखा जाय तो गरीबों को मिलने वाले चने में करोड़ों का खेल किया गया है। जिले के फूड अधिकारी सहित तहसीलों में पदस्थ फूड ऑफीसरों द्वारा चना वितरण के नाम पर बड़ा खेल किया गया है।
आम जनता को जिला कलेक्टर से उम्मीद
जिले के राशन कार्ड धारक अब तो सिर्फ जिला कलेक्टर अनुरॉग बर्मा से ही उम्मीद लगा रखी है। क्यों जिला कलेक्टर द्वारा विगत दिनों मीटिंग के दौरान चना वितरण के संबंध में अधिकारियों को निर्देश दिये गये थे। अगर परिवहन व्यवसायी द्वारा चने का परिवहन समय से नहीं किया जाता व फूड और नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा स्टाक राशन दुकानों में पहुंचाने की व्यवस्था नहीं की जाती है। तो ऐसे स्थिति जिला प्रमुख द्वार परिवहन व्यवसायी के उपर जुर्माना व प्रशासनिक अधिकारियों पर भी शख्त कार्रवाई की आवश्यकता है।
जिले की 187 राशन दुकानों को नोटिस जारी
कलेक्टर अनुराग वर्मां ने सार्वंजनिक वितरण प्रणाली की समीक्षा के दौरान जिले के 8 जनपदों में संचालित कुल 770 राशन दुकानों की समीक्षा के दौरान निर्धांरित दिनों के अनुसार दुकान नहीं खोलने, 30 प्रतिशत से कम खाद्यान्न वितरण तथा 5 दिन से कम खुलने वाली और 30 प्रतिशत से कम वितरण करने वाली कुल 187 शासकीय उचित मूल्य दुकानों के संचालक एवं सेल्समैन को कारण बताओ नोटिस जारी की है।