घूमता आईना…. भीलवाड़ा सांप्रदायिकता की आग में झुलस रहा है आखिर इसके जिम्मेदार कौन प्रशासन या राजनेता ?

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घूमता आईना….
भीलवाड़ा सांप्रदायिकता की आग में झुलस रहा है आखिर इसके जिम्मेदार कौन प्रशासन या राजनेता ?

गौरव रक्षक/अशोक सिसोदिया

26 मई भीलवाड़ा:

भीलवाड़ा प्रशासन किस इशारे पर काम कर रहा है। इस ओर ध्यान देने की जरूरत है भीलवाड़ा आग की तरह सुलग रहा है इसका कौन जिम्मेदार है पिछले दो-तीन महीनों से भीलवाड़ा में अशांति का माहौल है तथा राजनीति व प्रशासन मैं असमंजस का माहौल चल रहा है। इसके जिम्मेदार कौन है। शायद प्रशासन को यह मालूम नहीं है कि भीलवाड़ा का पुराना इतिहास सांप्रदायिक घटनाओं से भरपूर रहा है इसके बावजूद भी प्रशासन ने समय पर सूझबूझ का परिचय नही दिया इसकी वजह से आज सांप्रदायिक माहौल भीलवाड़ा में बिगड़ा हुआ है ।

 

आप को बतादे की

इसकी शुरुआत होती है कोटडी चारभुजा मंदिर से बारात आती है और उसको रोक लिया जाता है जबकि वह शांतिपूर्ण तरीके से आ रही थी फिर भी प्रशासन की अनदेखी से इसे सांप्रदायिकता का रूप दिया जिसकी वजह से माहौल बिगड़ा वह आज दिन तक बड़ा रूप ले लिया है ।

जिसका एकमात्र कारण प्रशासन ने समय पर सूझबूझ का परिचय दिया होता तो और भगवान चारभुजा नाथ की आरती प्रशासन के द्वारा की होती आज यह हालात नहीं होते और प्रशासन के प्रति जनता का सोचने का अलग ही नजरिया होता और प्रशासन जनता के दिलों में सम्मान से देखा जाता ।
आदर्शा तापडिया हत्याकांड ने इस माहौल को और बिगाड़ दिया तथा प्रशासन की एकतरफा कार्रवाई की वजह से मामला बिगड़ता गया और राजनेताओं को एक और मामला मिल गया जिसकी वजह से भीलवाड़ा का माहौल बिगड़ता चला गया सवाल यह है कि आखिर में जिम्मेदार कौन है। क्योंकि समय रहते यदि इसका निराकरण हो जाता तो शायद मामला इतना नही बिगड़ता किंतु शायद प्रशासन कितना ही अच्छा हो यदि एकतरफा कार्रवाई करता है तो हर कोई आदमी न्याय से वंचित हो जाता है। यही हुआ और भीलवाड़ा सांप्रदायिकता की आग में झुलसता गया प्रशासन व राजनीति आपस में उलझती गई और उसके बारे में इंतजार में रह गए।

वास्तव में जो तथ्यात्मक बात जो रही उसको इग्नोर करना प्रशासन के लिए एक पहेली बन गया यदि कुछ सूझबूझ से परिचय दिया होता तो शायद । इतना बड़ा झमेला नहीं होता किंतु नए-नए प्रशासनिक अधिकारी व पुलिस अधिकारी के भरोसे या यह कहे कि उनकी सूझबूझ की कमी के वजह से यह मामला उलझ गया और भीलवाड़ा सुलगता रहा।
जहां तक धरने का सवाल है यह धरना लगाने से पहले ही यदि कुछ मिल बैठकर बात हो जाती तो शायद यह लगाने वाले को किसी तरह का लाभ नहीं मिल पाता किंतु प्रशासन शायद किसी इशारे पर काम कर रहा था इसलिए प्रशासन भी मोन हो गया और इस तरह की कार्यवाही को देखते रहे। जहां तक आदर्श हत्याकांड का मामला जो मामला बनना ही नहीं चाहिए उसको पुलिस प्रशासन की नाकामी की वजह से तूल पकड़ लिया और एक सांप्रदायिकता का रूप ले लिया जो बिल्कुल गलत है किंतु यह सब प्रशासन की लापरवाही की वजह से हुआ । हो सकता है प्रशासन की कुछ मजबूरी रही हो किंतु आज भीलवाड़ा सांप्रदायिकता की आग में झुलस रहा है।

भीलवाड़ा में सांप्रदायिकता की आग में अनेक राजनेताओं ने तथा अन्य समाज के लोगों ने कितने ही बयान दिए होंगे किंतु उस पर कार्रवाई नहीं करके एक छोटी सी बच्ची जिसने क्या कहा उसके बारे में बिना विधिक जांच के बिना उसको गिरफ्तार करना प्रशासन की नाकामी का सबूत रही है और उसकी वजह से राजनेताओं को एक बहुत बड़ा बहाना मिला इसकी वजह से प्रशासन कटघरे में खड़ा हो गया क्या जरूरत थी कोमल मेहता को गिरफ्तार करने की उसके बारे में पूरी जानकारी करके उसकी कहे बयान को विधिक जानकारी करके गिरफ्तार करते हैं तो ठीक रहता फिर यदि इस को गिरफ्तार किया तो सांगानेर में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे उसके बारे में पुलिस के पास तथ्यात्मक रिपोर्ट कुछ लोगों ने पैश की उसका कुछ भी नहीं हुआ और इस बालिका को गिरफ्तार करके प्रशासन ने एकतरफा कार्रवाई की यह जगजाहिर हुआ है इस प्रकार समय-समय पर प्रशासन ने अपनी सूझबूझ का परिचय नही दिया और मामला बिगड़ता चला गया।
जिसकी वजह से भीलवाड़ा शहर ही नहीं पूरा जिला आज सांप्रदायिक तनाव में जिसका खामियाजा आमजन भुगत रहा है। जिसका जिम्मेदार कौन है यह बात हम को समझनी होगी क्योंकि भीलवाड़ा सांप्रदायिक तनाव से भरपूर रहा है इस बाबत प्रशासन और पुलिस अधिकारी सूझबूझ का परिचय देते हैं तो।
शायद आज भीलवाड़ा सांप्रदायिकता के जो आग में झुलस रहा है वह नहीं होता इसमें राजनेता प्रशासन दोनों जिम्मेदार हैं इससे इनकार नहीं किया जा सकता अभी भी इस समय इस मामले को शांतिपूर्ण तरीके से समझा कर खत्म कर सकते हैं नहीं तो भीलवाड़ा सांप्रदायिकता की आग में झूलसता रहेगा जिसका खामियाजा आमजन को भुगतना होगा और यह माहौल आने वाले समय में भीलवाड़ा में अशांति का माहौल बना रहेगा। यह आइना प्रशासन की कार्यप्रणाली की ओर घूम रहा है

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