नारंगी की मिठास से छोटा नागपुर बना मांडलगढ़, आधुनिक खेती से बढ़ी किसानों की आय
गौरव रक्षक/ राजेंद्र शर्मा
भीलवाड़ा/ 04 जनवरी 2022
जिले के मांडलगढ़ क्षेत्र जो की एक वक्त में खनन के चलते उपरमाल क्षेत्र के नाम से जाना जाता था आज यह क्षेत्र उन्नत खेती और नारंगी की फार्मिंग के चलते देशभर में छोटा नागपुर के नाम से विख्यात हो गया।
नागुपर के संतरो की तरह मांडलगढ़ क्षेत्र के संतरे भी काफी मिठास भरे है यहाँ के संतरे के फल की देश भर में अच्छी मांग है। मांडलगढ़ क्षेत्र में किसानों ने करीब 900 हेक्टेयर में संतरो के बगीचे लगाए हुए है बागवानी की खेती लाभदायक होने से अन्य किसान भी नए बगीचे लगा रहे है। इन बगीचों में संतरे फल पकने के बाद पैकिंग करने के लिए यहां मंडी लगाई जाती है। अन्य राज्यों से आए फल व्यापारी बगीचो से सन्तरे खरीद कर मंडी में लाते है ओर सफाई की जाती हैं। संतरो की मशीनों ओर मजदूरों के द्वारा छटनी करके लकड़ी के बक्से में पैकिंग कर दिल्ली भेजा जाता है। दिल्ली की मंडी से संतरा पूरे देश भर के साथ नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका भी भेजा जाता है। संतरा व्यापारी बताते हैं कि इस बार बगीचों से संतरे 15 से 20 रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से खरीदे जा रहे है और मंडियों में पैकिंग कर बाहर भेजे जाते है।
पिछले एक दशक में मांडलगढ़ क्षेत्र में संतरे का बम्पर उत्पादन होने लगा है। इस कारण देश भर में मांडलगढ़ क्षेत्र की पहचान बन गई है। मांडलगढ़ क्षेत्र के संतरे काफी स्वादिष्ट है जिससे काफी पसंद किए जा रहे है। नागपुर के बाद मांडलगढ़ क्षेत्र के संतरों में काफी मिठास है जिसके चलते विदेशों में भी संतरों की अच्छी मांग है और यही वजह है कि मांडलगढ़ को छोटा नागपुर कहा जाने लगा है।