रिपोर्ट – गोविंद पायक
भीलवाड़ा जिले के बनेड़ा कस्बे में आज मानवता को शर्मसार करती एक तस्वीर
बनेड़ा कस्बे के हरीराम छीपा की पत्नी माया की तबीयत घर पर ज्यादा बिगड़ने पर परिजनों ने एंबुलेंस के लिए 108 पर काफी बार फोन किया मगर एंबुलेंस नहीं पहुंची ।
महिला की तबियत बिगडऩे पर उसे एंबुलेंस नहीं मिली. 108 पर फोन लगाने के बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची तो परिजन महिला को ठेले पर लेकर अस्पताल पहुंच गए. लेकिन महिला को बचाया नहीं जा सका.
भीलवाड़ा से एक बार फिर मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीर सामने आई है. एक परिवार की महिला की तबियत बिगडऩे पर उसे एंबुलेंस नहीं मिली. 108 पर फोन लगाने के बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची तो परिजन महिला को ठेले पर लेकर अस्पताल पहुंच गए. लेकिन महिला को बचाया नहीं जा सका. उपचार के अभाव में उसकी मौत हो गई. मरने के बाद भी उसे एंबुलेंस नहीं मिली और मृत महिला को वापस ठेले पर ही ले जाने को मजबूर होना पड़ा.
भीलवाड़ा जिले के बनेड़ा चिकित्सालय में शुक्रवार को मानवता शर्मसार होती नजर आई. बनेड़ा की माया बीमार थी. घर पर तबीयत ज्यादा बिगडऩे पर परिजनों ने 108 पर काफी समय तक फोन किया, लेकिन
108 सुविधा नहीं मिलने पर महिला के परिजनों ने चार पहियों के ठेले से उसे चिकित्सालय पहुंचाया. परिजनों ने बताया की महिला को उपचार नहीं मिलने से उसने दम तोड़ दिया यह कहानी बनेडा की किसी सुदूर गांव की नहीं बल्कि बनेड़ा उपखंड मुख्यालय की है जो हमारी चर्मराती चिकित्सा व्यवस्था को दर्शाती है । चिकित्सालय में बीमार महिला को पहुंचाने के बाद भी चिकित्सक वहां मोबाइल पर व्यस्त रहे और महिला को समय पर उपचार नहीं मिल सका. इस दौरान चिकित्सालय में ही महिला ने दम तोड़ दिया.
महिला की मौत के बाद वहां मामला गरमाता दिखा. परिजनों ने पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था पर ही सवाल खड़े कर विरोध किया. महिला की मौत इलाज के अभाव में हो गई. उसकी मौत के बाद भी उसे एंबुलेंस नसीब नहीं हुई. एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण परिजन महिला के शव को वापस ठेले पर ही घर ले गए. कस्बे में इतना बड़ा हॉस्पिटल होने के बावजूद समय पर लोगों को चिकित्सा नहीं मिलना बड़ी शर्मनाक बात हैं.