भ्रस्टाचार की प्रयोगशाला बनी लालबत्ती

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भ्रस्टाचार की प्रयोगशाला बनी लालबत्ती

नकारा नेतृत्व में किसान आत्महत्या ही करते है

सतना:-जब नेतृत्व नकारा हो तो जनता परेशान व प्रताड़ित होती ही है। प्रदेश सरकार के मुखिया कहते क्या है और जमीन में होता क्या है यह देखने वाला कोई नही है। ऐसी बदहाल व्यवस्था व नकारा नेतृत्व के चलते ही अन्नदाता किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर होता है। सच तो यह हैं कि अमरपाटन वाली लालबत्ती भ्रष्टाचार की प्रयोगशाला बन गयी हैं। अधिकारी कुछ भी करें जनता कितनी भी परेशान हो लालबत्ती को सिर्फ अपने कमीशन व भ्रष्टाचार से मतलब है। भोपाल व सतना के अधिकारियों का कहना है कि भ्रष्टाचार करना हमारी मजबूरी हैं क्योंकि लालबत्ती जनता से मीठी मीठी बातें करके काम के लिये हमारे पास भेज देती हैं और फिर हमें भ्रष्टाचार का हिसाब देने पर मजबूर करती हैं।,और न चाह कर भी हमे गरीबों को लूटना पड़ता हैं। लालबत्ती के गाँव उमरी शिवराजी के एक ऐसी व्यथा सुनाई कि कोई भी संवेदनशील व्यक्ति द्रवित हुये बिना नही रह सकता। मामला यू हैं कि उक्त छोटे किसान का 77 डिसमिल खेत का 2004 में नामांतरण बंटवारा हो गया व ऋण पुस्तिका भी बनकर किसान को मिल गयीं लेकिन तत्कालीन पटवारी व तहसीलदार ने उसे कंप्यूटर में नही चढ़ाया इस पर उक्त किसान ने 9 नवम्बर को ऑनलाइन आवेदन दिया तब उक्त प्रकरण में काम करने के नायब तहसीलदार संजय यादव ने 5000 रुपये मांगे,तब परेशान होकर किसान ने सी एम हेल्पलाइन में शिकायत की लेकिन आज दिनांक तक किसान का काम नहीं हुआ और वह खाद के लिए भटक रहा है तथा उसका खेत बिना वोवनी के पड़ा है। ऐसी व्यथा हैं लालबत्ती के क्षेत्र की वहीं लालबत्ती के संरक्षण में पल रही ब्यूरोक्रेसी का यह आलम हैं की रामनगर,अमरपाटन का सिकमी घोटाला,खरमशेडा घोटाला, भीषमपुर और विपडन अमरपाटन में हो रहा किसानों के साथ अन्याय और भ्रष्टाचार चीख चीख कर लालबत्ती की कहानी कह रहा है। लेकिन लालबत्ती अपने अभिमान व अहंकार से भाजपा के सिद्धांतों व संस्कारों को रौंदती हुयी सरपट दौड़ रही हैं।

मामला यू हैं कि..

गुलशन के मुहाफीजो ने गुलशन की ये हालत की।
फूलों का लहू चूसा खुशबू की तिजारत की ।।

रिपोर्ट शिवभानु सिंह बघेल

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