क्या सरकार ने कृषि बिल के इन बिंदुओं पर पुनः विचार करेगी??

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क्या सरकार ने कृषि बिल के इन बिंदुओं पर पुनः विचार करेगी??


अगर सरकार की MSP को लेकर नीयत साफ है तो वो मंडियों के बाहर होने वाली ख़रीद पर किसानों को MSP की गारंटी दिलवाने से क्यों इंकार कर रही है?MSP से कम ख़रीद पर प्रतिबंद लगाकर, किसान को कम रेट देने वाली प्राइवेट एजेंसी पर क़ानूनी कार्रवाई की मांग को सरकार खारिज क्यों कर रही है? कोरोना काल के बीच इन तीन क़ानूनों को लागू करने की मांग कहां से आई? ये मांग किसने की? किसानों ने या औद्योगिक घरानों ने ? देश-प्रदेश का किसान मांग कर रहा था कि सरकार अपने वादे के मुताबिक स्वामीनाथन आयोग के सी2 फार्मूले के तहत MSP दे, लेकिन सरकार ठीक उसके उल्ट बिना MSP प्रावधान के क़ानून लाई है। आख़िर इसके लिए किसने मांग की थी?प्राइवेट एजेंसियों को अब किसने रोका है किसान को फसल के ऊंचे रेट देने से? फिलहाल प्राइवेट एजेंसीज मंडियों में MSP से नीचे पिट रही धान, कपास, मक्का, बाजरा और दूसरी फसलों को MSP या MSP से ज़्यादा रेट क्यों नहीं दे रहीं?उस स्टेट का नाम बताइए जहां पर हरियाणा-पंजाब का किसान अपनी धान, गेहूं, चावल, गन्ना, कपास, सरसों, बाजरा बेचने जाएगा, जहां उसे हरियाणा-पंजाब से भी ज्यादा रेट मिल जाएगा? सरकार नए क़ानूनों के ज़रिए बिचौलियों को हटाने का दावा कर रही है, लेकिन किसान की फसल ख़रीद करने या उससे कॉन्ट्रेक्ट करने वाली प्राइवेट एजेंसी, अडानी या अंबानी को सरकार किस श्रेणी में रखती है- उत्पादक, उपभोक्ता या बिचौलिया?जो व्यवस्था अब पूरे देश में लागू हो रही है, लगभग ऐसी व्यवस्था तो बिहार में 2006 से लागू है। तो बिहार के किसान इतना क्यों पिछड़ गए? बिहार या दूसरे राज्यों से हरियाणा में BJP-JJP सरकार के दौरान धान जैसा घोटाला करने के लिए सस्ते चावल मंगवाए जाते हैं। तो सरकार या कोई प्राइवेट एजेंसी हमारे किसानों को दूसरे राज्यों के मुकाबले मंहगा रेट कैसे देगी? टैक्स के रूप में अगर मंडी की इनकम बंद हो जाएगी तो मंडियां कितने दिन तक चल पाएंगी? क्या रेलवे, टेलीकॉम, बैंक, एयरलाइन, रोडवेज, बिजली महकमे की तरह घाटे में बोलकर मंडियों को भी निजी हाथों में नहीं सौंपा जाएगा?अगर ओपन मार्केट किसानों के लिए फायदेमंद है तो फिर “मेरी फसल मेरा ब्योरा” के ज़रिए क्लोज मार्केट करके दूसरे राज्यों की फसलों के लिए प्रदेश को पूरी तरह बंद करने का ड्रामा क्यों किया?अगर हरियाणा सरकार ने प्रदेश में 3 नए कानून लागू कर दिए हैं तो फिर मुख्यमंत्री खट्टर किस आधार पर कह रहे हैं कि वह दूसरे राज्यों से हरियाणा में मक्का और बाजरा नहीं आने देंगे अगर सरकार सरकारी ख़रीद को बनाए रखने का दावा कर रही है तो उसने इस साल सरकारी एजेंसी FCI की ख़रीद का बजट क्यों कम दिया? वो ये आश्वासन क्यों नहीं दे रही कि भविष्य में ये बजट और कम नहीं किया जाएगा क्या राशन डिपो के माध्यम से जारी पब्लिक डिस्ट्रीब्युशन सिस्टम, ख़रीद प्रक्रिया के निजीकरण के बाद अडानी-अंबानी के स्टोर के माध्यम से प्राइवेट डिस्ट्रीब्युशन सिस्टम बनने जा रहा है
👉क्या आप जानते है नव पारित किसान अध्यादेश किस उद्योगपति के दबाव में पास किया गया ?फ्यूचर ग्रुप बिगबाज़ार नाम से पूरे भारत में 250 से अधिक बड़े बड़े स्टोर 120 शहरों में संचालित करता है. कुछ हफ्ते पहले फ्यूचर ग्रुप को रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 27,513 करोड़ में खरीद लिया !
रिलायंस इंडस्ट्रीज पूरे भारत में 11,806 रिटेल स्टोर चलाती है. इनमे से 700 स्टोर रिलायंस फ्रेश के नाम से चलते हैं !रिलायंस फ्रेश अपने 700 स्टोर्स में एक दिन में 2,00,000 किलो फल और 3,00,000 किलो सब्ज़ी बेचता है. क्या आपको पता है रिलायंस स्टोर अपनी सारी खरीदारी सीधे किसानों से करता है. लेकिन कुछ वस्तु जो अतिआवश्यक श्रेणी में आते हैं उन्हें खरीदने में थोड़ी दिक्कत होती है !इसलिए नए अध्यादेश में अनाज, दलहन, तिलहन, खाध तेल, प्याज, आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटा दिया गया है. अब नए प्रावधान में अतिआवश्यक अनाजों को किसान सीधे रिलायंस फ्रेश को बेच सकते हैं ! बिगबाज़ार के पास बड़े बड़े गोदाम हैं, रिलायंस फ्रेश के पास भी भण्डारण के लिए गोदामों की कमी है. अतिआवश्यक वस्तुओं का भण्डारण कर रिलायंस फ्रेश डिमांड और सप्लाई के अनुपात को बिगाड़ सकता है !सप्लाई घटाने से.. डिमांड ज्यादा.. सप्लाई कम डिमांड ज्यादा का मतलब दाम में बढ़ोतरी. महंगाई की मार खरीदार पर पड़ेगी !किसान को खुश होने की जरूरत नही. उनके उत्पाद का दाम बाजार तय करेगा. हानि या लाभ बाजार तय करेगा. बाजार के नियंत्रण का अर्थ है उद्योगपति मालिक और किसान नौकर !बस करो… ज्यादा मत पढ़ो… देश बिक चुका है… किसान और हम कंपनी राज के गुलाम बन चुके हैं !
रिपोर्ट- शिवभानु सिंह बघेल

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