प्रदेश भर के अभिभावकों को राहत… लॉक डाउन के चलते फीस बकाया रहने पर भी पढ़ाना होगा 

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रिपोर्ट- विनोद कुमावत
प्रदेश भर के अभिभावकों को राहत…
लॉक डाउन के चलते फीस बकाया रहने पर भी पढ़ाना होगा
निजी स्कूल पृथक नहीं कर सकेंगे विद्यार्थी का नाम…
राजस्थान उच्च न्यायालय का फैसला
प्रदेश के निजी स्कूल संचालक भी फैसले के पक्ष में, न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि फीस माफ नहीं होगी ।
गुरुवार को राजस्थान हाई कोर्ट ने
प्राइवेट स्कूलों की 3 माह की फीस माफ करने से सम्बन्धित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि, फीस माफ नहीं होगी, फीस अभिभावक को जमा करवानी ही होगी लेकिन- फीस जमा नहीं होने पर किसी बच्चे का नाम नहीं काटा जाए, इस हेतु भी संचालक पाबंद रहेंगे।
ज्ञात हो कि अधिवक्ता राजीव भूषण बंसल ने इस आशय की याचिका  दायर की थी कि
कोरोना के चलते बने हालातों के कारण अभिभावक फीस देने में असमर्थ है।
याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों की तीन महीने की फीस माफ नहीं होगी, लेकिन अभिभावकों को भी राहत देने के लिए स्कूलों को पाबंद किया गया है कि फीस के अभाव में बच्चों के नाम नहीं काटे।
अभिभावक लॉक डाउन अवधि के बाद अपनी फीस अवश्य जमा करवाएं, क्यों की यह निजी विद्यालयों के अस्तित्व के लिए आवश्यक है।
अनिल शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष स्कूल शिक्षा परिवार, राजस्थान
इधर प्रदेश स्तर पर निजी विद्यालयों के संगठन स्कूल शिक्षा परिवार के प्रदेश अध्यक्ष अनिल शर्मा ने भी न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है, और बताया है कि इस से प्रदेश भर के मध्यम दर्जे के 25 हजार विद्यालयों को राहत मिलेगी, साथ ही अभिभावकों को भी सुविधा मिलेगी की लॉक डाउन अवधि की फीस को वह लॉक डाउन समाप्ति के बाद किश्तों में जमा करवा कर विद्यालय में अपने होनहारों को पढ़ा सकेगा।
रमेश शर्मा, गैर अनुदानित शिक्षण संस्थान संघ, चित्तौड़गढ़
 चित्तौड़गढ़ जिले गैर अनुदानित शिक्षण संस्थान संघ के जिला अध्यक्ष रमेश शर्मा ने भी न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए इसको वर्तमान समय में आवश्यक माना है।
विनोद कुमावत
जिला प्रभारी, स्कूल शिक्षा परिवार, जिला चित्तौड़गढ़
साथ ही  स्कूल शिक्षा परिवार चित्तौड़गढ़ के जिला प्रभारी विनोद कुमावत ने भी न्यायालय के इस फैसले को लोक कल्याणकारी फैसला बताया है, जो विद्यालय एवम् अभिभावक दोनो के हितों का संवर्धन करता है।

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