कोरोना का व्यक्ति वर्गीकरण
मुझसे असहमत होना आपका अधिकार है और आपको सहमत करने का प्रयास करना भी मेरा अधिकार है, इसलिए यह लेख आपके विचार हेतु प्रस्तुत कर रहा हूं। वैश्विक महामारी कोरोना ने बिना सन्दर्भ के भारतवर्ष में लोगों का युक्तियुक्त वर्गीकरण कर दिया है।पहले पक्ष में वो लोग आते हैं जो इस महामारी से संबंधित हर उपाय पर चिंतन मनन कर सरकार द्वारा जारी हर निर्देश की पालना करने का प्रयास करते हैं। इस पक्ष में कोरोना से लड़ने वाले योद्धा पुलिस प्रशासन,पत्रकार एवं चिकित्सा,रसद जगत से जुड़े लोग हैं जो तमाम प्रकार की असुविधा एवं कष्ट उठाकर भी लगातार इस अदृश्य दैत्य से मुकाबला कर रहे हैं। ये किसी से कष्ट या असुविधा की शिकायत नही करते!ये बेचारे बहानो का अवलम्ब लेना ही नही जानते!इनके लिये कर्तव्य ही धर्म है ,पूजा है जिसे वे अथक श्रम सहित कर भी रहे है।इस पक्ष में वे लोग भी आते हैं जो इन योद्धाओं का पुष्पवृष्टि सहित सम्मान कर रहे हैं तथा कोरोना से लड़ने की उनकी संकल्प शक्ति का प्रोत्साहन कर रहे हैं।इन सभी को आप संयुक्तत उपयोगी और सकारात्मक लोग कह सकते हैं।ये राष्ट्र के लिये बहुत उपयोगी है।
दूसरे पक्ष के वे लोग हैं जिन्हें कोरोना से जुड़ी हर उपाय , हर विधा , हर गतिविधि और हर बात पर आपत्ति है चाहे लोकडाउन लगाने का मामला हो या हटाने का। यह लोग कोरोना योद्धाओं पर आक्रमण करने जैसे कुत्सित अपराध और पाप भी करने से नहीं चूक रहे हैं।और कुछ नहीं तो सरकार के हर कार्यक्रम या गतिविधि की अतार्किक और निरर्थक आलोचना ही करेंगे, पर करेंगे जरूर! इनके पास नकारात्मकता के अतिरिक्त और कुछ नहीं है। ये रूदाली फिल्म से प्रेरित सदा रूदन करने वाले लोग हैं! इनको समाधान में भी समस्या नजर आती है।ये समाधान का भी ऐसा नाटकीय प्रस्तुतीकरण करते हैं कि साधारण प्रज्ञा वाला बेचारा व्यक्ति समाधान को समस्या समझने की तत्कालिक भूल कर बैठता है।आप इन्हे दुष्ट /नकारा या नकारात्मक पक्ष कह सकते हैं।ये पक्ष राष्ट्र हित के लिये घातक है।
एक तीसरा पक्ष भी है जो शांत है ,जो बिल्कुल मुखर नहीं है।ये वे लोग हैं जिन्हें किसी बात की परवाह नहीं है।लॉक डाउन रहे या हटे, यह बात इनको प्रभावित नहीं करती है।ये लोग लोग टिकटॉक पर वीडियो बनाने और उसे फैलाने में व्यस्त हैं। जिन लोगों को दैनिक भोजन की कोई समस्या नहीं है, वे इस महामारी से संबंधित हर मजाक या चुटकुले को व्हाट्सएप पर फैलाने में ही अपने कर्तव्य की इतिश्री कर रहे हैं। यह लोग किसी भी रूप में घातक नहीं है ,परंतु उपयोगी भी नहीं है। कोरोना महामारी के विरुद्ध इस निर्णायक युद्ध में इनका मौलिक योगदान यह है कि ये लोकडाउन में भी व्यस्त है और इनकी व्यस्तता से प्रथम पक्ष के लोगो को अप्रत्यक्ष रुप से सुविधा ही मिल रही है। आप इन्हें उदासीन श्रेणी का कह सकते है।
हर व्यक्ति इस मापदंड पर अपने आप को कसकर देखें कि वह किस पक्ष या श्रेणी का व्यक्ति है?आपको पुन याद दिलाता हूँ कि स्वमूल्यांकन आपका अधिकार है!
धन्यवाद
आपका ताराचंद खेतावत
जय हिंद! जय भारत!