लोकडाउन-4 और आर्थिक पैकेज

0
20

लोकडाउन-4 और आर्थिक पैकेज
प्रधानमंत्री का प्रतिक्षित मंगल संदेश 8:00 बजे रात जारी हो चुका है।कोरोनाजन्य आर्थिक संकट से उबरने 20 लाख करोड रुपए का आर्थिक पैकेज दिया गया है जो सभी प्रकार के सूक्ष्म,लघु,कुटीर उद्योगों को ,कृषि , इंफ्रास्ट्रक्चर इत्यादि क्षेत्रों में काम करेगा। प्रधानमंत्री ने स्थानीय उत्पादों को बनाने एवं खरीदने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया है ,जो एक अच्छा कदम है।भारत को आत्मनिर्भर बनाने की संकल्प शक्ति को भी प्रदर्शित किया है। प्रधानमंत्री ने एक बार फिर मजदूरों को लोक डाउन के द्वारा हुए कष्ट और पीड़ा के प्रति संवेदना व्यक्त कर अपनी कुलीन मानवता का परिचय दिया गया है। 2001 मे गुजरात के कच्छ क्षेत्र मे आये भूकम्प पर हुई तबाही के बाद वहाँ फिर पुनर्विकास का जिक्र भी हुआ। इस जिक्र मे सबसे महत्वपूर्ण और संतोषजनक बात यह है देवयोग से उस कच्छ पुनर्विकास का स्थानीय नायक वर्तमान कोरोना त्रासदी मे भारतीय प्रधानमंत्री और विश्वनायक है। कहते है कि इतिहास अपने आपको दोहराता है! क्या एक बार फिर कच्छ पुनर्विकास की भांति ही भारत भी आर्थिक और मानसिक रूप से पुन विकसित होगा ? क्या केवल नायक के वही रहने से इतिहास भी अपनी परम्परा को निभाएगा ? यदि ऐसा हो तो हम सभी के लिये अच्छा होगा।एक प्रमुख बात जो अखर रही है, वह यह है कि प्रधानमंत्री ने लोगों की इम्यूनिटी या प्रतिरोधकता बढ़ाने के संबंध में किसी सरकारी कार्यक्रम और उसके प्रचार-प्रसार की मिडियाई शक्ति का उल्लेख नही किया है।प्रधानसेवक ने पिछ्ली चर्चा मे इस इम्युनिटी को बढाने के लिये काढा बनाकर पीने का सुझाव मात्र दिया था।लोकडाउन तो जनता खुद झेल ही रही थी।इस बीच रामायण ,महाभारत इत्यादि धारावाहिक चलवा कर मनोरंजन और ज्ञानवर्धन भी , साथ साथ ही करवा दिया। प्रस्तावित सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के लिये ये शुभ बात थी।परंतु ये समय योग और आयुर्वेद की वास्तविक जय करवाने का भी था । यदि लॉक डाउन के दौरान मीडिया, केंद्र एवं राज्य सरकारों के स्तर पर योग और आयुर्वेद दवाओ का प्रचलन और सप्लाई बढ़ाई होती तो निश्चित रूप से इन दोनों को भी काफी प्रमोशन मिलता और लोगों की प्रतिरोधकता वृद्धि होती जो लॉक डाउन की चिरप्रतिक्षित समाप्ति पर लोगों की सुरक्षा के लिए उपयोगी होती। केवल एक बार आव्हान करने से बात बनने वाली नही है, ये बात तो खुद प्रधान-मंत्री भी जानते होंगे ।भारतीय जनमानस की चेतना इतनी भी स्वतस्फूर्त नही है जितनी भारतीय प्रधान-मंत्री समझते है। यहाँ लॉक डाउन की पालना के लिये भी दण्ड प्रयोग किया गया है,जबकि लोक डाउन जनता की ही सुरक्षा के लिये किया गया था। और खास बात ये है कि ये बात खुद जनता भी जानती थी।इम्युनिटी बढाने के लिये सरकारी स्तर पर विभिन्न आयुर्वेद दवाओ का निशुल्क वितरण होना था। इम्युनिटी वृद्धि पर भी इलेक्ट्रानिक,प्रिंट और यहाँ तक सोशल मिडिया मे भी ,किसी ट्रेंड को कभी महसूस नही किया गया है।अभी लोक डाउन कम से कम 15-20 दिन और चलेगा ,इस दरमियान लोगो को भयभीत करने वाले कोरोना मृत्यु बुलेटिन को छोड़कर न्यूज चैनल प्रतिरोध क्षमता विस्तार वाले सन्देश और कार्यक्रम चलाकर लोगो का ध्यान इस और ले जावे। जो लोग हॉस्पीटल मे कोरोना से संघर्ष कर रहे है उनके लिये वहाँ पर्याप्त दवाएं उपलब्ध है ही,पर जो लोग घर पर है और हॉस्पिटल नही जाना चाहते है ,उन्हे सरकार घर पर ही दवा उपलब्ध करवा दे तो कोरोना से इस निर्णायक युद्ध मे सहयोग ही मिलेगा।

आपका ताराचंद खेतावत
जय हिंद !जय भारत!

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here