बजट 2020 एक क्लासिक टी-20 मैच की तरह रहने वाला है। एक तरफ आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट और कम राजस्व या राजकोषीय अंतर है, तो दूसरी तरफ मांग को प्रोत्साहित करने, निवेश चक्र को पुनर्जीवित करने और बाजार की उम्मीदों को मैनेज करने की जरूरत है। यह सब सरकार के लिए किसी चक्रव्यूह को भेदने से कम नहीं है। सभी कैटेगरीज में राजस्व की कमी से कुुुल राजस्व में तो कमी होगी ही साथ ही पूंजीगत व्यय में भी कटौती होगी।
एयर इंडिया, बीपीसीएल और कॉनकॉर के विनिवेश से सरकार के लिए कुछ चीजें आसान होंगी। हालांकि, इसे अगले वित्त वर्ष तक खींचा जा रहा है। कोई भी इस पर बहस कर सकता है कि सरकार को पिछले साल सु्स्ती के प्रारंभिक संकेत मिलने पर राजकोषीय विस्तार के लिए जाना चाहिए था। उस समय चीजें थोड़ी ठीक थीं और फिसलने का खतरा कम था। हालांकि, अब सरकार राजकोषीय विस्तार के मोर्चे पर सतर्क होगी।