भीलवाड़ा: जेईएन के पैर पकड़ते महापौर का वीडियो वायरल, प्रशासनिक समन्वय पर उठे सवाल
गौरव रक्षक/राजेंद्र शर्मा
भीलवाड़ा 15 जुलाई 2025,
भीलवाड़ा शहर में पेयजल पाइप लाइन बिछाने को लेकर शुरू हुआ मामूली विवाद अब प्रदेशभर में चर्चा का विषय बन गया है। भीलवाड़ा नगर निगम के महापौर राकेश पाठक द्वारा जलदाय विभाग के जेईएन श्रीराम मीणा के आगे हाथ जोड़ने और पैर पकड़ने का वीडियो वायरल हो गया है। यह घटनाक्रम पंचमुखी धाम से पंचमुखी हनुमान मंदिर तक सड़क कटिंग को लेकर हुआ, जिसे लेकर अब प्रशासनिक समन्वय और कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
बिना अनुमति हो रही थी सड़क खुदाई
जानकारी के अनुसार, जलदाय विभाग सोमवार को निगम की पूर्व अनुमति के बिना सड़क काटकर पाइप लाइन डालने का कार्य कर रहा था। इस पर वार्ड पार्षद हेमंत शर्मा ने काम रुकवा दिया और इसकी सूचना महापौर को दी। मौके पर पहुंचे महापौर राकेश पाठक ने जेईएन से विनम्रतापूर्वक अनुरोध किया कि नगर निगम की अनुमति के बिना सड़क खुदाई नहीं की जा सकती। महापौर ने यह कहते हुए हाथ जोड़े और पैर भी पकड़ लिए कि सड़क कटिंग से बारिश के मौसम में जनता को भारी परेशानी झेलनी पड़ती है और जिम्मेदारी निर्वाचित प्रतिनिधियों पर आती है।
जेसीबी जब्त, विभागों के बीच टकराव उजागर
जेईएन के टस से मस न होने पर महापौर ने निगम का अतिक्रमण दस्ता बुलाकर पाइप लाइन डाल रही जलदाय विभाग की जेसीबी मशीन को जब्त करा दिया। इस घटना से स्पष्ट हो गया कि नगर निगम और विभागों के बीच समन्वय की भारी कमी है। महापौर पाठक ने कहा कि “हम सड़क बनाते हैं, और दूसरे ही दिन बिजली या जलदाय विभाग बिना अनुमति उन्हें तोड़ देते हैं। यह स्थिति जनता के साथ अन्याय है।”
“मैं कानून हाथ में नहीं ले सकता था”
वायरल वीडियो पर महापौर पाठक ने सफाई देते हुए कहा, “जनता ने हमें वोट देकर जिम्मेदारी सौंपी है। मैं कानून को हाथ में नहीं ले सकता, इसलिए विनम्र आग्रह किया। लेकिन अफसोस की बात है कि अधिकारी जनप्रतिनिधियों की बात तक नहीं सुनते। यह लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है।”
विपक्ष का पलटवार: ‘लोकतंत्र की बेबसी’
राजनीतिक गलियारों में यह मामला अब तूल पकड़ चुका है। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने वायरल वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा—“यह दृश्य लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। यदि निर्वाचित जनप्रतिनिधि अधिकारियों के सामने ऐसे गिड़गिड़ाने को मजबूर हों, तो यह व्यवस्था पर बड़ा सवाल है।”
जलदाय विभाग का पक्ष
दूसरी ओर, जलदाय विभाग के एक्सईएन किशन खोईवाल ने कहा कि क्षेत्र में गंभीर पेयजल संकट था, इस कारण सड़क कटिंग करनी पड़ी। विभाग ने निगम से अनुमति के लिए आवेदन किया था, लेकिन मंजूरी नहीं मिली ।
निष्कर्ष:
भीलवाड़ा में सामने आई यह घटना न केवल स्थानीय प्रशासन की समन्वयहीनता को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि लोकतंत्र में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की भूमिका किस तरह से प्रभावित हो रही है। वीडियो चाहे जिस नीयत से वायरल हुआ हो, यह ज़रूर तय है कि इस बहाने आमजन की समस्याओं और अधिकारियों की मनमानी एक बार फिर सार्वजनिक विमर्श का विषय बन गई हैं।