अपनी कार्यकुशलता एवं अच्छे व्यवहार से जमीन से लेकर आसमान की बुलंदियों को छूने वाले आईपीएस (DIG) जगदीश चंद्र शर्मा सेवानिवृत्त

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अपनी कार्यकुशलता एवं अच्छे व्यवहार से जमीन से लेकर आसमान की बुलंदियों को छूने वाले आईपीएस (DIG) जगदीश चंद्र शर्मा सेवानिवृत्त

गौरव रक्षक/ राजेंद्र शर्मा
जयपुर 30 दिसंबर l

पुलिस और प्रशासन में कुछ ऐसे अधिकारी होते हैं जिन्हें व्यवहार कुशल नहीं माना जाता। इनमें ज्यादातर आईएएस और आईपीएस होते हैं। ऐसे अधिकारी प्रात: दस से शाम पांच बजे तक के बाबू माने जाते हैं। पीड़ित लोग जब मिलने आते हैं तो ऐसे अधिकारियों का रुखा व्यवहार होता तो है। यह सही है कि प्रशासन में रहते हुए सभी व्यक्तियों को संतुष्ट नहीं किया जा सकता, लेकिन जो अधिकारी पीड़ितों से संवाद में व्यवहार कुशलता दिखाते हैं, उनकी पहचान अलग ही हो जाती है। ऐसे अधिकारियों में ही आईपीएस जगदीशचंद्र शर्मा की गिनती होती है। यह अधिकारी पुलिस सेवा में रहते हुए जिस स्थान पर रहे वहां के लोग आज भी याद करते हैं। व्यवहार कुशल माने जाने वाले आईपीएस श्री जगदीशचंद्र शर्मा की सरकारी सेवा का 29 दिसंबर को अंतिम कार्य दिवस रहा। 30 और 31 दिसंबर का सरकारी अवकाश होने के कारण इन को दफ्तरों में विदाई दी गई। आईपीएस जगदीश चंद्र शर्मा पुलिस विभाग में व्यवहार कुशल अधिकारी माने जाते हैं।

शर्मा जयपुर में डीआईजी (क्राइम) के पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। शर्मा अजमेर के पुलिस अधीक्षक भी रहे हैं। अजमेर के लोग आज भी शर्मा को याद करते हैं। शर्मा से जो भी व्यक्ति मिला वह उनकी व्यवहार कुशलता का मुरीद हो गया। शर्मा पुलिस अधीक्षक के पद पर रहते हुए आम व्यक्ति से संवाद बनाने का प्रयास किया। यहां तक कि अपना मोबाइल नंबर अखबारों में छपवाया ताकि कोई भी पीड़ित व्यक्ति खासकर महिलाएं सीधा संवाद कर सके। उन्होंने स्कूल कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं से भी संवाद किया ताकि वे निडर बन सके। प्रशासन और पुलिस के युवा अधिकारियों को शर्मा के कामकाज से प्रेरणा लेनी चाहिए। कई बार व्यवहार कुशलता की वजह से समस्याओं का समाधान हो जाता है। यही वजह है कि शर्मा ने सरकारी सेवा सफलतापूर्वक की है। सेवानिवृत्ति के बाद भी समाज में इनका सम्मान बना रहेगा। शर्मा ने अपना निवास जयपुर में बनाया है। सेवानिवृत्ति पर जगदीश चंद्र शर्मा के जयपुर स्थित निवास पर रामायण पाठ भी हो रहा है। मोबाइल नंबर 9414007742 पर जगदीश चंद्र शर्मा को सेवानिवृत्ति की बधाई दी जा सकती है ।

श्री जगदीश चंद्र शर्मा की सफलता की कहानी एवं आम जनता के हित में की गई पुलिसिंग की कार्यवाहियां

श्री जगदीश चंद्र शर्मा वर्ष1994 बैच के आरपीएस अधिकारी हैं। वर्ष 2005 में अतिरक्त पुलिस अधीक्षक के पद पर पदोन्नत हुए। वे वर्ष 2014 में भारतीय पुलिस सेवा में पदोन्नत हुए तथा वर्ष 2008 में भारतीय पुलिस सेवा का बैच आवंटित हुआ। भारतीय पुलिस सेवा में पदोन्नत होने पर विभिन्न जिलों में पुलिस अधीक्षक के पद पर पदस्थापित रहते हुए इनके द्वारा उत्कृष्ट कार्य कुशलता का प्रदर्शन किया गया एवं जनसहभागिता और सामुदायिक पुलिसिंग के द्वारा आम जनता एवं अधीनस्थ पुलिस कर्मियों के बीच सकारात्मक छवि बनाई गई।


श्री शर्मा हिंडौन, बांदीकुई, दौसा पदस्थापित रहते हुए सनसनीखेज एवं अज्ञात हत्याएं, लूट, डकैती की अनेक वारदातों का पर्दाफाश करने में सफल रहे, जिनमें महूइब्राहिमपुर का अध्यापक हत्याकांड चर्चित रहा। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद पर जयपुर डिस्कॉम एवं नगर निगम जयपुर में बिजली चोरी और अवैध अतिक्रमणकारियों के खिलाफ प्रभावी कार्यवाहि की। वर्ष 2010 से 2012 तक जयपुर डिस्कॉम में विद्युत चोरी के खिलाफ विशेष अभियान चलाकर करोड़ों रुपए की प्रशमन राशि एकत्र की और अपराधियों को गिरफ़्तार कर प्रभावशाली कार्यवाहि की, जिससे विद्युत छीजत में प्रभावी कमी आई। वर्ष 2014 में पुलिस अधीक्षक के पद पर पदोन्नत होने पर डूंगरपुर, अपराध शाखा जयपुर, जैसलमेर, सामुदायिक पुलिसिंग कमांडेंट पांचवी बटालियन आरएसी जयपुर, पुलिस अधीक्षक झुंझुनू, अजमेर तथा मानव तस्करी निरोधक शाखा जयपुर के पद पर पदस्थापित रहे। वर्ष 2020 में पुलिस अधीक्षक झुंझुनू के पद पर रहते हुए अपराधिक गैंगों के खिलाफ अभियान चलाया तथा अवैध हथियार, नकली मावा, पनीर, नकली कलाकंद, नकली देसी घी बारामद कर मुलजिम गिरफ़्तार किये। वर्ष 2021 में पुलिस अधीक्षक अजमेर के पद पर रहते हुए लगभाग 25 इनामी बदमाशों को गिरफ़्तार किया। पुष्कर में नाबलिग का बलात्कार कर हत्या जैसी गंभीर घटना का 12 घंटे में ख़ुलासा कर मुलजिम को गिरफ़्तार किया। 36 घंटे के भीतर चालान पेश कर चार माह के भीतर मुलजिम को मृत्युदंड के कठौर दंड से दंडित करवाया जिसकी देशव्यापी सराहना हुई। श्री शर्मा ने झुंझुनू एवं अजमेर जिले में पुलिस कल्याण समितियों का गठन करवाकर पुलिसकर्मियों के कल्याण एवं अजमेर में वरिष्ठ नागरिक सुरक्षा और कल्याण हेतु अनेक नवाचार किये। श्री शर्मा ने 30 वर्ष के सेवाकाल में पुलिस सेवा के माध्यम से सर्वजन हित के कार्य कर पुलिस विभाग का गौरव बढ़ाने में महत्तवपूर्ण भूमिका अदा की। श्री शर्मा वर्तमान में उप महानिरीक्षक पुलिस सुरक्षा राजस्थान के पद पर सभी प्रमुख कार्य लगन एवं कठौर परिश्राम से अंजाम दे रहे हैं। राज्य में विभिन्न श्रेणी के वीवीआईपी, वीआईपी, विशिष्ट महत्वपूर्ण व्यक्ति, विशेष महत्वपूर्ण विदेशी अतिथियों की सुरक्षा का इंतजाम आदि में अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं, साथ ही पुलिस कर्मियों का मनोबल बढ़ाकर राजकार्य में उपयोगी भूमिका निभा रहे हैं। श्री जगदीश चंद्र शर्मा उप महानिरीक्षक पुलिस सुरक्षा राजस्थान जयपुर की उत्कृष्ट सेवाओं को देखते हुए इन्हें महानिदेशक पुलिस डिस्क एवं प्रशस्ति रोल से सम्मानित किया गया है।

(आईपीएस जगदीश चंद्र शर्मा, आईपीएस राहुल कोटकी, आईपीएस दिनेश MN,आईपीएस प्रफुल्ल कुमार, आईपीएस राहुल प्रकाश ) ।

आई. पी. एस. जगदीश चंद्र शर्मा की दास्तां संघर्षभरी रही है। जयपुर जिले के छोटे से गांव तुंगा में जन्म लेकर विकट परिस्थितियों में IPS बने। जिस सरकारी स्कूल में पढ़ते थे, पिता वहां चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर कार्यरत थे। पिता के संघर्ष से प्रेरित होकर कामयाबी का सफर तय किया। डी. आई. जी. जगदीश चंद्र शर्मा की बेटी निधि शर्मा एवम् दामाद संदीप शांडिल्य भी RAS अधिकारी है।

मात्र चार महीने चार दिन में बलात्कारी हत्यारे को दिलाई फाँसी की सज़ा!

पुलिस कप्तान जगदीश चंद शर्मा की तुरत फुरत कार्यवाही और संवेदना के कारण पुष्कर थाना क्षेत्र के हत्यारे बलात्कारी को चार माह में ही फांसी की सज़ा सुना दी गई और मासूम की आत्मा को न्याय मिल गया यह सोचना भी कितना सुकून देता है।
शीघ्र कार्रवाई के लिए तत्कालीन पुलिस कप्तान जगदीश शर्मा की जितनी तारीफ़ की जाए कम है। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि वारदात के तत्काल बाद ही पुलिस यदि मुस्तैदी से मोर्चा संभाल ले, तो अपराधियों की गर्दन तक उनके हाथ पहुंच सकते हैं। 21 जून 2021 को होकरा गाँव की एक मासूम बच्ची को जिसकी उम्र मात्र 11 साल की थी, सुंदर रावत ने अपनी हवस का शिकार बना लिया। मासूम बच्ची बकरी चराने बैजनाथ की पहाड़ियों में गई हुई थी। उसकी लाश मिलने पर थाना पुष्कर को सूचना दी गई। गुस्साए लोगों ने थाने का घेराव कर लिया। पुलिस कप्तान जगदीश चंद्र शर्मा ने तुरंत मोर्चा संभाल लिया। उन्होंने तत्कालीन थाना प्रभारी राजेश मीणा को मुस्तैद कर दिया और पुलिस ने कमाल की फुर्ती दिखाई। मात्र 12 घंटे में बलात्कारी हत्यारा पकड़ा गया। यह श्री शर्मा का ही मनोबल था कि उन्होंने आरोपी को मात्र 12 घंटे में सलाखों के पीछे कर दिया। यही नहीं मात्र 3 दिन में मामले का अदालत में चालान भी पेश करवा दिया गया। चालान भी पूरे 27 गवाहों के बयानों से तस्दीक किया हुआ। मामला प्रस्तुत करने में पुलिस टीम ने जितनी मुस्तैदी दिखाई उतनी ही मुस्तैदी अदालत के विद्वान न्यायाधीश ने भी दिखा दी। 4 महीने और 4 दिन में दरिंदे को फांसी की सज़ा सुना दी गई । यह अजमेर जिले के इतिहास की पहली घटना है, जब पुलिस ने अपनी श्रेष्ठता का प्रदर्शन कर लोगों का दिल जीत लिया। तत्कालीन पुलिस कप्तान जगदीश चंद शर्मा का नाम अदालती फ़ैसले के बाद पुष्कर के हर व्यक्ति की जुबान था।
वास्तव में पुलिसिंग क्या होती है ? पुलिस क्या कर सकती है? पुलिस की संवेदनाएं इंसानियत के कितने नज़दीक हो सकती हैं? यह जनता को पहली बार बताया गया। कुछ अधिकारी ऐसे होते हैं जिनके लिए दिल खुद सलामी देने लगता है। जगदीश चंद्र शर्मा उन्हीं अधिकारियों में से एक है।

कोरोना संकट में सामने आया लोककल्याणकारी स्वरूप-

आई पी एस श्री शर्मा कोरोना संकट में लॉकडाउन के दौरान बुजुर्गो व अनाथ बच्चों के हमदर्द बने। उन्होंने कहा कि जिनका कोई नहीं उनके हम हैं। उन्होंने दो चून की रोटी से लेकर हर तरह से सुविधा देने के लिए मानो कमर कस ली, और मंत्र बस यहीं कि हम सब आम जनता के अस्तित्व के लिए ही है। पिलानी के नरहड दरगाह मे करीब 2300 लोगों की सुरक्षा व्यवस्था करना एवं बिट्स पिलानी के दस हजार विधार्थियो को सकुशल गंतव्य स्थल तक पहुंचाना, खेतडी के जसरापूर एवं बडाऊ गाव के वे लोग जमात में शामिल हो कर आए थे उनके सुरक्षित पहुचने की व्यवस्था करना साथ ही जिला प्रशासन एवं चिकित्सा प्रशासन के सहयोग से आइससोलेशन कि व्यवस्था करना और मजदूरों के सकुशल वापसी के लिए हरसंभव प्रयास करना इत्यादि उनकी सकारात्मक भूमिका को परिलक्षित करती है।
श्री शर्मा की पशु पक्षियों के प्रति भी मन में करूणा बसती है। उन्हें मूक पशु-पक्षियों का दर्द देखा नहीं जाता। मानव घर में बंद है और पशु पक्षियों के सामने अकाल मृत्यु है ऐसे में पक्षियों को दाना एवं पशुओं के लिए हरे चारे पानी की व्यवस्था भी की गई। पुलिस अधीक्षक द्वारा जिला स्पेशल टीम को तीन गाडिय़ां उपलब्ध करवाई गई तथा भामाशाहो की मदद से बेसहारा गायो, पशुओं को हरे चारे खिलाने के साथ साथ सुरक्षित जगह पर प्रशासन के सहयोग से पहुंचाने की व्यवस्था भी की गई है। कौन कहता है कि पुलिस केवल दबंगई करती है पुलिस तो दबंग के रूप में अपराधियों के लिए खोफ तो आम जनता के लिए ममतामयी स्वरूप रखती है।
झुंझुनूं में घरेलू हिंसा से महिलाओं का सम्मान बचाने का चलाया अभियान-
जगदीश चंद्र शर्मा की पहल पर करवा चौथ पर जीवन साथी के सम्मान हेतु पुरूष वर्ग ने लिया महाशपथ अभियान में हिस्सा और आह्वान किया कि घरेलू हिंसा से हमे हमारा समाज बचाना है। उन्होंने कहा कि हर स्थिति में महिलाओं का सम्मान सुनिश्चित होना चाहिये। कई बार पुरूषवादी सोच और उससे निर्मित मनमुटाव से महिलाओं की अस्मिता और मान सम्मान में कमी आने से जीवन मूल्यों मे हनन आने लगता है। हर नारी का सम्मान हो इसलिए इस अभियान में झुंझुनूं जिले के पुरूष वर्ग भी सामने आया जिन्होंने कहा कि स्वस्थ समाज का आधार परिवार है और परिवार की धूरी घर की स्त्रियां। झुंझुनूं में हर महिला की अस्मिता और मान सम्मान के लिए घर घर में मुहिम चलाई गई, जिसमें घरेलू हिंसा अधिनियम और अन्य कानून की जानकारी भी दी गई।
झुंझुनूं जिले की हर बहन बेटी को आप पर है गर्व –
कलयुग में कृष्ण सा बीरा बनकर भात भरा झुंझुनूं जिले के पुलिस कप्तान के रूप में श्री जगदीश चन्द्र शर्मा और झुंझुनूं जिले के पुलिसकर्मियों ने। जी हां गुढा गौड़ जी थाने के सफाई कर्मी बबलू बाल्मीकि की बहन की शादी में ममता की मां संतोष को चुनर ओढ़ाकर और भात भरकर मानवीय संवेदनाओं का परिचय दिया। संतोष दुनिया की सबसे धनाढ्य महिलाओं मे से एक हो गई जिन्हें प्यार और ममता की इतनी बड़ी दौलत मिली। आपने झुंझुनूं जिले की बहन का मायरा भर कर दिल जीत लिया।

अभिभावक की तरह बातचीत करते हैं जवानों से

आई पी एस जगदीश चंद्र शर्मा पुलिस जवानों से बातचीत करते है तो जवान फूले नहीं समाते है क्योंकी वे पुलिस जवानों और अधिकारियों से अभिभावक परिवार के मुखिया की तरह बात करते है। एक बार एक जवान ने खुशी जाहिर करते हुए बताया कि, “मुझे लगा ही नहीं की मैं जिले के एसपी के साथ खड़ा हूं, क्योंकि उन्होंने सादगी से बातचीत कर हमारी जिम्मेदारी से अवगत कराते हुए विश्वास पर खरा उतरने को प्रेरित किया ।

शर्मा की सादगी के कायल हैं लोग-

जगदीश चंद्र शर्मा की सादगी के राजस्थान के लाख़ो लोग दिवाने है । अक्सर देखा गया है की उच्च पद पर पहुंचने के बाद अधिकारीयों के हाव भाव बदल जाते है लेकिन शर्मा के उच्च पद पर होने के बावजूद उनकी सादगी में कोई कमी नहीं है । अफसरों से मिलने के लिए आगुंतक को पहले पर्ची भेजनी पड़ती है अंदर से परमिशन मिलने के बाद ही मुलाकात संभव हो पाती है लेकिन शर्मा ने अपने ऑफिस में मिलने आने वाले लोगों के लिए कोई प्रतिबंध नहीं लगा रखा है । शर्मा पहले ऐसे पुलिस अधिकारी है जो बिना पर्ची के मिलते हैं , ऑफिस में आने वाले लोगों की पूरी बात सुनते हैं और समस्या का निस्तारण करने के लिए हाथो हाथ निर्देश देते हैं जिसके चलते शर्मा की सादगी के चर्चे गांव गांव ढाणी ढाणी में सुनने को मिलते हैं

ऐसा हो पुलिस कप्तान –

आम आदमी को भय से मुक्त करवाने के लिए विगत कई वर्षों से संवेदनशील अधिकारियों द्वारा प्रयास किए जाते रहे हैं ।कई अधिकारियों ने तरह-तरह से पुलिस सिस्टम में नवाचार यानी नए प्रयोग किए।
अजमेर के पुलिस कप्तान रहते पंडित जगदीश चंद शर्मा ने नवाचार करते हुए अजमेर में रह रहे वृद्ध जनों की व्यथा को समझा ।उन्होंने जान लिया कि अजमेर संसार का सबसे थका हारा शहर है ।सेवानिवृत्त लोगों की धरती । यहां पंछी पंख उगते ही उड़ जाते हैं और घौंसलों के बाहर शाख पर वृद्ध परिंदे फड़फड़ाते रहते हैं। पंडित जी ने सराहनीय नवाचार किया ।उन्होंने थाना अधिकारियों को निर्देशित कर दिया कि वे अपने इलाके में रहने वाले निशक्त बेसहारा और ज़रूरतमंदों की सूची तैयार करें। उनकी समस्याओं के समाधान सुनिश्चित करें । अजमेर शहर उनके इस नवाचार से प्रफुल्लित हो गया ।सचमुच अजमेर शहर में रिटायर्ड लोग एकांतवास में जीवन यापन करते हैं। उम्र की अपनी सीमाएं होती हैं। ऐसे में उनके सुख-दुख में यदि पुलिस शामिल हो जाए तो कहना ही क्या ! अकेला पाकर बुज़ुर्गों को तरह-तरह से परेशान करने और उनसे पैसा लूटने वालों की कमी नहीं रहती । हर स्तर पर उनका फायदा उठाया जाता है। श्री शर्मा ने बीट अधिकारी को बुजुर्गों की सेवा का दायित्व सौंपा तथा सुरक्षा प्रदान की।

अजमेर जिला पुलिस अधीक्षक रहते जगदीश चंद्र शर्मा की कार्यशैली की पूरे जिले में हुई प्रशंसा-

कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए सरकार की ओर से लगाए गए लॉकडाउन की पालना को लेकर जिला पुलिस अधीक्षक शर्मा सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को लगातार किया कोरोना से बचाव को लेकर जागरूक।
अजमेर में कार्यकाल के दौरान आपने सरलता और सहजता के साथ आमजन से सीधे संवाद की जो छाप छोड़ी है, वो हमेशा याद की जाएगी। बहुत कम अफसर होते हैं, जो आमजन के दिलों में जगह बनाते हैं, आप उनमें से एक हैं। आपके कामकाज से आपकी पहचान हमेशा बनी रहेगी। एस. पी. साहब की सक्रियता एक मिशाल और प्रेरणा रही, सब लोगों और अधिकारियों तथा कार्मिकों के लिए। कई बार वाट्स एप मैसेज पर भी आप ने तत्काल रेस्पोन्स के साथ कार्यवाही को अंजाम दिलवाया।

आप जैसे अधिकारी से ही जनता को न्याय को मजबूती मिलती है।

जय हिन्द जय भारत वंदे मातरम्

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