भीलवाड़ा महात्मा गांधी अस्पताल में लापरवाही, के चलते एक बच्ची के जलने से मौत, बालक झुलसा
गौरव रक्षक/राजेंद्र शर्मा
भीलवाड़ा 26 अक्टूबर।
इसे लापरवाही का नाम दिया जाए या कोई हादसा यह जांच का विषय है । अस्पताल प्रशासन जांच में जुट गया है जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ निश्चित रूप से कार्यवाही की जाएगी ।
प्रारंभिक दृष्टि से स्टाफ की लापरवाही सामने आई है । रात्रि को दो ठेके के कर्मचारी लगे हुए थे उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई है। वहीं पूरे मामले की जांच के लिए चार चिकित्सकों की कमेटी का गठन किया गया है जो तीन दिन में रिपोर्ट देंगे। अगर कोई दोषी पाया गया तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।
जानकारी के अनुसार गंभीर नवजातों की देखरेख कर रहे है ठेके के कर्मचारी
महात्मा गांधी अस्पताल के एमसीएच में विशिष्ट नवजात शिशु देखभाल (एनआईसीयू) जैसे वार्ड में गंभीर नवजात शिशुओं का उपचार किया जाता है लेकिन इस वार्ड में अस्पताल स्टाफ को नहीं लगाकर प्लेसमेंट (ठेकाकर्मी) नर्सेज कर्मचारी लगा रखे है और यही वजह रही होगी कि उन्होंने लारवाही बरती और एक मासूम की जान बचने की जगह चली गई । अस्पताल में इस तरह की कई जगह समस्या देखने को मिलती है लेकिन उसे गंभीरता से नहीं लिया जाता । इस घटना को लेकर लोगों में रोष व्याप्त है और लोग न्याय की मांग कर रहे हैं ।
खबर के अनुसार
भीलवाड़ा जिले के सबसे बड़े ‘’ए’’ श्रेणी के महात्मा गांधी चिकित्सालय में अव्यवस्थाओं का आलम ऐसा है कि एक बच्ची की जान चली गई तो एक बालक गंभीर झुलुस गया। चिकित्सालय प्रशासन अपने स्टॉफ की लापरवाही को छुपाने के लिए सारा दोष मशीनों पर ही मढ़ रहा है। इसको लेकर परिजनों में आक्रोश व्याप्त है। परिजनों ने तो यहां तक आरोप लगा दिए कि बिना किसी को पैसे दिए यहां पर काम नहीं होता है।
भीलवाड़ा के महात्मा गांधी चिकित्सालय में एनआईसीयू वार्ड में रात को एक बालक और बालिका को रेडिएंट वार्मर में रखा गया था। जहां रात्री में मशीन में हीट ज्यादा होने के कारण बालिका की मौत हो गयी और बालक झुलुस गया। जिसके कारण परिजनों में आक्रोश छा गया। इस घटना से चिकित्सकों में हड़कम्प मच गया। वहीं परिजनों ने बिना पोस्टमार्टम करवाए शव को ले गए। अस्पताल प्रशासन ने इस घटना को लेकर जांच करवाने का आश्वासन दिया है । मृतक बालक के परिजन ने कहा कि रात्री को बालिका एक दम स्वस्थ थी और उसे मशीन में रखा हुआ था। सुबह हमे आकर बताया कि आपकी बालिका की मौत हो गई । परिजनों ने कहा की यहां पर नर्सिंग स्टाफ लापरवाह है और किसी की नहीं सुनता है। इसके कारण यह हादसा हुआ है। घायल बालक की भूवा सम्पत देवी ने कहा कि हमने रात को दो बजे बालक को दुध पिलाया था। उसके कुछ देर बाद ही बालक के रोने की आवाज आयी तो हमने इसकी सूचना नर्सिंग स्टाफ को दी मगर उन्होने कोई ध्यान नहीं दिया। उसके बाद हम जब वापस गए तो एक बच्चा वहां पर नहीं था और हमारे बच्चे के भी दाग लगे हुए थे। वहीं उपचाररत बालक के पिता पप्पू अहिर ने कहा कि यहां पर नर्सिंग स्टाफ मोबाइल चलाने में ही रहता है और किसी कि नहीं सुनता है। डिलवरी के समय पर भी हम बिना पैसे दिए यह बात ही नहीं करते है। प्रति डिलवरी 1 हजार रूपए लिए जाते है।
वहीं अस्पताल के उपनियंत्रक डॉ. देवकिशन ने कहा कि मशीन में तकनिकी खराबी के कारण यह हादसा हुआ है। हमने परिजनों से समझाईस की है और इसकी जांच करवाने के लिए कमेटी का गठन किया जायेगा। यदी इसमें स्टाफ की लापरवाही नजर आती है तो उन पर भी कार्रवाई की जायेगी ।