सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है..
अघोरी बाबा ने मेनाल के शिव मंदिर में शिव लिंग के ऊपर चढ़ाई 11 बोतल शराब
गौरव रक्षक/ राजेंद्र शर्मा
चित्तौड़गढ़- मेनाल 15 जुलाई : मेनाल के शिव मंदिर में अभिषेक का एक दिमाग को सुन्न करने वाला वीडियो सामने आया है । लोगों का आरोप है कि 13 जुलाई को भीलों की जरेली निवासी हीरालाल जोगी ने बाल योगी अलख नाथ अघोरी महाराज को मेनाल बुलाया । उनसे शिवलिंग पर 11 बोतल शराब से अभिषेक • कराया ।
जबकि अघोरी ने लोगों से खुद का अभिषेक दूध से करवाया । शिवलिंग पर शराब चढ़ाने का वीडियो वायरल होने पर शिव भक्तों में आक्रोश फैल गया । लोगों ने गुरुवार को तहसीलदार सुबोध सिंह चारण को ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग की ।
इधर, तहसीलदार सुबोध सिंह चारण ने बताया कि शिवलिंग पर शराब से अभिषेक करने की जानकारी मिली है । मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएंगी ।
आइए अब बात करते हैं अघोरी बाबाओं की जब इस विषय पर कुछ विद्वान संतों से एवम बुद्ध जीवियो से बात की तो सामने आया कि ।
⚫ भगवान शिव का जीवित रुप होते है अघोरी यह प्रसन्न होने पर कर देते हैं वारे-न्यारे
सावन माह प्रारंभ हो चुका है । इन दिनों सभी भक्त शिव जी की अराधना में लीन हैं। इस माह में भगवान शिव की भक्ति व पूजा का विधान है। धर्म ग्रंथ के अनुसार भगवान शिव की दो तरीकों से साधना की जाती है। एक भगवान शिव की सात्विक रुप से पूजा की जाती है और दूसरी तामसिक रुप से आराधना की जाती है। हालांकि शिव की दोनों ही साधना में उनको प्रसन्न किया जाता है, लेकिन पूजा व आराधना की विधि अलग-अलग होती है। सात्विक पूजा के अंतर्गत भगवान शिव की पूजा फल,फूल,जल आदि से की जाती है। वहीं तामसिक पूजा के अंतर्गत तंत्र-मंत्र आदि से शिव को प्रसन्न किया जाता है । भगवान शिव को तंत्र शास्त्र का देवता माना जाता है। वहीं शिव को अघोरपंथ के जन्मदाता कहा जाता है।
अघोरपंथ भारत के प्राचीन धर्म शिव साधना से संबंधित है अघोरियों को पृथ्वी पर शिव जी का जीवित रूप माना जाता है। भगवान शिव के 5 रूप हैं जिनमें से एक रुप है अघोर रूप । सामान्य जन के बीज अघोरी बहुत ही जीज्ञासा का विषय होता है। लेकिन अघोरियों का जीवन जीतना कठिन है, उतना ही रहस्यमय भी है। अघोरियों की साधना विधि बहुत ही रहस्यमय मानी जाती है, उनकी अपनी अलग ही दुनिया है और अपनी अलग जीवन शैली भी है। उनकी यह बात निराली होती है। जिस पर प्रसन्न हो जाए उसे रंक से राजा बना देते हैं, लेकिन यदि वे नाराज़ हो जाएं तो व्यक्ति का बुरा भी कर सकते हैं।
किसे कहते है अघोरी
अघोरियों के बारे में माना जाता है की वे बड़े ही रुखे स्वभाव के होते हैं।
लेकिन अघोरियों के मन में जन कल्याण की भावना होती है। अघोरी यानी जो घोर नहीं हो। इनका स्वभाव काफी सरल व सहज होता है। इनके मन में किसी के लिए कोई भेदभाव नहीं होता है। वे सभी जन के लिए सामान्य ही भाव रखते हैं लेकिन ऐसा माना जाता है की वे अपने मन के मालिक होते हैं इसलिए यदि वे किसी पर मेहरबान हो जाएं तो वे उसके वारे-न्यारे कर देते हैं। लेकिन अघोरियों का क्रोध काफी विनाशकारी होता है, तभी कहा जाता है की इनसे कभी जबरदस्ती नहीं की जाती। इनके विषय में यह भी कहा जाता है की यदि अगर ये किसी पर मेहरबान हो जाए तो अपनी सिद्धि का शुभ फल भी दे देते हैं।
सांसारिक मोह-माया से रहते हैं दूर
आमतौर पर अघोरी किसी से खुलकर बात नहीं करते हैं। ये अपने आप में मगन रहने वाले तांत्रिक होते हैं। समाज से दूर रहना इन्हें पसंद होता हैं। हिमालय की कठिन तराइयों में इनका वास होता है। इनके बारे में कहा जाता है की इन्हें साक्षात शिव के दर्शन होते हैं और जब तक इन्हें ना छेड़ा जाए किसी का अहित नहीं करते। वह सड़े जीव के मांस को भी उतना ही स्वाद लेकर खाते हैं जितना कि स्वादिष्ट पकवान को खाते हैं। अघोरी हर चीज में समान भाव रखते हैं।
अघोरी श्मशान घाट में तीन तरह से साधना करते हैं – श्मशान साधना, शिव साधना, शव साधना। ऐसी साधनाएं अक्सर तारापीठ के श्मशान, कामाख्या पीठ के श्मशान, त्र्यम्बकेश्वर और उज्जैन के चक्रतीर्थ के श्मशान में होती है ।
⚫ आइए आपको अघोरियों की रहस्यमयी दुनिया के साथ-साथ श्मशानों के बारे में जहां वे साधना करते हैं यहां वे मुख्य रूप से अपनी साधना करते हैं।
जानिए अघोरियों के बारे में कुछ बातें...
1. अघोरी 3 तरह की साधना करते हैं। शिव, शव व श्मशान। शिव साधना शव (मुर्दा) के ऊपर पैर रखकर व शव साधना शव पर बैठकर की जाती है। ऐसी साधनाओं में मुर्दे को प्रसाद के रूप में मांस व शराब चढ़ाई जाती है।
2. तीसरी साधना होती है श्मशान साधना। इसमें शवपीठ (जहां शवों को जलाते हैं) की पूजा की जाती है। उस पर गंगा जल व मावा चढ़ाया जाता है।
3. मान्यता है कि अघोरी मुर्दे से भी बात कर सकते हैं। ये बातें पढ़ने-सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन इन्हें पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता।
4. अघोरी बहुत ही हठी होते हैं, अगर किसी बात पर अड़ जाएं तो उसे पूरी करके ही मानते हैं। गुस्सा हो जाएं तो किसी भी हद तक जा सकते हैं।
5. अघोरियों की आंखें भले ही लाल दिखाई दें, लेकिन उनका मन हमेशा शांत रहता है। अघोरी गले में धातु की बनी नरमुंड की माला पहनते हैं।
6. अघोरपंथ में श्मशान साधना का विशेष महत्व है। इसलिए अघोरी श्मशान में ही रहना पसंद करते हैं। वे वहीं अपनी कुटिया बनाते हैं।
7. अघोरियों की कुटिया में एक छोटी सी धूनी हमेशा जलती रहती है। जानवरों में वे सिर्फ कुत्ते पालना पसंद करते हैं।
8. अघोरी गाय का मांस छोड़कर बाकी सब खा सकते हैं, मल से लेकर मुर्दे का मांस तक। प्यास लगने पर वे स्वयं का मूत्र भी पी लेते हैं।
9. अघोरी आम लोगों से कोई संपर्क नहीं रखते। न ही किसी से बातें करते हैं। अधिकांश समय वे अपना सिद्ध मंत्र का जाप ही करते रहते हैं।
10. मान्यता है कि अघोरी पराशक्तियों (आत्मा) को भी अपने वश में कर सकते हैं। ये साधनाएं भी वे श्मशान में ही करते हैं।