मक्का में फॉल आर्मी वर्म का आगमन, किसान बरते सावधनी
गौरव रक्षक/ राजेंद्र शर्मा
भीलवाडा 13 जुलाई । आत्मा परियोजना के उपनिदेशक डॉ. जी.एल. चावला ने जिले के सभी कृषकों को सचेत करते हुए जानकारी दी की जो मक्का छोटी अवस्था में है उसे बचाकर रखना होगा क्योकि बरसात के दौरान सूखे की स्थिति में इसका प्रकोप ज्यादा होता है।
उन्होने कहा कि फॉल आर्मी वर्म भारत में विदेश से 2018 में तमिलनाडू के शिषमोगा में प्रथम बार देखा गया यह मक्का की फसल मे सबसे ज्यादा हानि पहुंचाता है इसकी लट/लार्वा अवस्था इतनी खतरनाक है कि ये मक्का के बीच वाले तने में घुसकर उसे खोखला कर देती है जिससे पूरा पौधा नष्ट को जाता है। यह कीट अपना जीवनचक्र उचित वातावरण में 20 से 30 दिन में अपना जीवनचक्र पूर्ण कर लेता है। इस दौरान अत्यधिक प्रकोप के कारण 60 से 70 प्रतिशत तक मक्का में हानि हो सकती है। कृषक बरसात के दौरान सूखे की स्थिति में जहां भी इसका प्रकोप नजर आए तो खेत की बारीक मिट्टी/बारीक धूल को लेकर बीच वाले तने अथवा पोटे मे डाले।
इस प्रकार पौधो में मिट्टी डालने से लटे समाप्त हो जायेगी, क्योकि ये लटे/लार्वा छोटे-छोटे छिद्रो से श्वसन क्रिया करती है। अत्यधिक प्रकोप की स्थिति में इमामेक्टिन बेंजोएट अथवा लेमडा साईहेलोमेथ्रिन नामक दवा का छिड़काव विशेषज्ञों की राय से करे जिससे फॉल आर्मी वर्म को नियंत्रित किया जा सकता है। कृषकों को उपरोक्त सलाह देते हुए कहा कि जागरूकता एवं बीज उपचार इसका सबसे सस्ता व सरल तरीका है जिससे फॉल आर्मी वर्म को नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही सभी कृषक अपने स्थानीय कृषि पर्यवेक्षक एवं सहायक कृषि अधिकारी जो कि गांवो में कार्यरत हैं आदि से सम्पर्क कर प्रकोप होने पर कार्यालय को सूचित करे ताकि समय पर नियंत्रण कार्यवाही की जा सके।