देश के वर्तमान हालात पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक की सराहनीय पहल हिंदू मुस्लिम की एकता को जोड़ता हुआ श्री मोहन भागवत का विचार

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(फाइल फोटो)

देश के वर्तमान हालात पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक की सराहनीय पहल हिंदू मुस्लिम की एकता को जोड़ता हुआ श्री मोहन भागवत का विचार

गौरव रक्षक/ लेख दीप प्रकाश माथुर

3 जून जयपुर:
जब से देश में ज्ञानवापी मस्जिद में, “शिवलिंग” मिलने का दावा किया जा रहा है, तब से देश में जगह-जगह मस्जिदों में हिंदू देवी देवताओं की मूर्ति की उपस्थिति का दावा किया जा रहा है. इस कारण देश में कई राज्यों में सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं हुई. आपसी विश्वास मैं संदेह पैदा होने लगा. देश के अधिकतर नेताओं ने बढ़ती सांप्रदायिक तनाव की स्थिति को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई ,अपितु कुछ नेताओं ने नफरत बढ़ाने वाले बयान देकर सांप्रदायिक सद्भाव; को चोट पहुंचाने का कार्य किया है .इस बढ़ती नफरत को समय रहते नहीं रोका गया तो इसके गंभीर दूरगामी परिणाम होंगे जो देश के विकास में रोड़ा बन सकते हैं .
ऐसे समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत ने एक अनूठी पहल की है जो कि सांप्रदायिक तनाव को रोकने में एक सकारात्मक पहल मानी जा सकती है . श्री मोहन भागवत ने कहा है कि ज्ञानवापी मंदिर या मस्जिद का मुद्दा एक ऐतिहासिक मुद्दा है इसके लिए वर्तमान हिंदू या वर्तमान मुसलमान जिम्मेदार नहीं है. इसके लिए विदेशी आक्रमणकारी जिम्मेदार हैं जो कि यहां की संस्कृति और सभ्यता के बारे में कुछ नहीं जानते. बाहरी आक्रमणकारियों ने हिंदू मंदिर तोड़कर हिंदुओं में भय पैदा करने की कोशिश की तथा उस समय नए बने मुसलमानों में विश्वास पैदा करने की कोशिश करते हुए मंदिरों में तोड़फोड़ करने की कार्रवाई की.
श्री भागवत ने यह भी कहा कि ज्ञानवापी मंदिर का मुद्दा हिंदू और मुसलमान आपस में मिल बैठकर सुलझा लेंगे यदि इस संबंध में न्यायालय कोई आदेश देता है तो उसकी पालना दोनों समुदाय करेंगे.
श्री भागवत ने यह बयान ऐसे समय दिया है जब देश में जगह जगह मुस्लिम धार्मिक स्थानों में हिंदू मंदिर होने की बात हो रही है और इस कारण जगह-जगह तनाव पैदा हो रहे हैं .
श्री भागवत के बयान की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भविष्य में इस तरह की अन्य किसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा और ना ही ऐसे किसी कार्यक्रम का हिस्सा बनेगा.
श्री भागवत का यह बयान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं के तृतीय वर्ष ट्रेनिंग कार्यक्रम के समापन समारोह में संबोधन करते समय दिया गया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस तरह के नए मुद्दे उठाना सही नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि हिंदुओं को समझना होगा कि मुसलमान उनके अपने हैं केवल उनके मत अलग हैं. देश में भिन्न भिन्न मतों को मानने वाले रहते हैं जिनमें आपसी सद्भाव इस देश के लिए गौरव की बात है
श्री भागवत के बयानों को दोनों समुदाय के कट्टरपंथियों के को समझना होगा; क्योंकि यह बयान कट्टरपंथियों के लिए आंखें खोलने वाला बयान है. उनका यह बयान देश में बढ़ रहे नफरत के माहौल को कम करने की दिशा में एक अच्छी अनुकरणीय पहल माना जा सकता है.
सभी राजनेताओं और तथाकथित धर्म के ठेकेदारों को भी इसी दिशा में सोच कर अपने जिम्मेदारी महसूस करनी होगी .देश में बढ़ते संपर्क तनाव को कम करने के लिए कदम से कदम मिलाकर चलना होगा .जिससे राष्ट्र के विकास में जन सहभागिता का महत्व बना रहेगा श्री मोहन भागवत की यह पहल अनुकरणीय पहल है ।

लेख – दीप प्रकाश माथुर (पूर्व RAS)

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