9 माह पुलिस ने किया पीछा, आखिर क्रिसमस के दिन हुआ भीलवाड़ा के दो जवानों की हत्या का ज़िम्मेदार राजू फोजी गिरफ़्तार
गौरव रक्षक/ राजेंद्र शर्मा
भीलवाड़ा/ 25 दिसंबर 2021
9 महीने पहले भीलवाड़ा में दो पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाला कुख्यात गैंगस्टर राजू फौजी जोधपुर जिले में पुलिस से मुठभेड़ के बाद घायलवस्था में गिरफ़्तार कर लिया गया है। पुलिस ने गैंगस्टर को पकड़ने के लिए भी 1 लाख रुपए का इनाम भी घोषित कर रखा था।
जानकारी के मुताबिक सीआरपीएफ का जवान रहा राजेश उर्फ राजू फोजी जो बाद में सब्जी का ठेला चलाने लगा और फिर गैंग का सरगना बना। इसने कुछ ही समय में राजस्थान और एमपी में स्मैक के साथ अफीम तस्करी का बड़ा नेटवर्क तैयार किया। इसके खिलाफ बाड़मेर, जोधपुर, जालौर, नागौर, जैसलमेर और बीकानेर जिलों में दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज है। इसके लॉरेंस विश्नोई के साथ-साथ हरियाणा की भी कई बदमाश गैंग से संपर्क सामने आये हैं।
राजू विश्नोई उर्फ राजू फौजी जोधपुर से सटे बाड़मेर जिले के डोली गांव का है। स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपनी मजबूत कद-काठी की बदौलत राजू CRPF (सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स) में भर्ती हो गया। यहां उसकी पोस्टिंग नक्सलाइज्ड एरिया में हो गई। उन दिनों में राजू फौजी के साथ रहे लोग बताते है कि उसे ये नौकरी पसंद नहीं थी और वो छुट्टियां लेकर गांव आ गया और CRPF कैंप नहीं गया। थोड़े दिन तो वो गांव में ही रहा, लेकिन बाद में बेरोजगारी दूर करने के लिए जोधपुर चला आया और यहां भगत की कोठी एरिया में सब्जी का ठेला लगा लिया, लेकिन CRPF में की गई नौकरी के चलते राजू को तब तक फौजी सरनेम मिल गया था। पुलिस रिकॉर्ड से मिली जानकारी के अनुसार साल 2012 में फौजी की भाभी एक ट्रक ड्राइवर के साथ भाग गई थी। इससे वो नाराज था। उसने गुस्से में आकर बिलाड़ा में भावी फाटक पर जाकर दिनदहाड़े भाभी के प्रेमी की जमकर पिटाई कर दी और उसके नाक-कान काट दिए। इससे इलाके में राजू फौजी की दहशत शुरू हो गई। हांलाकि इससे पहले भी उस पर छोटी-मोटी मारपीट के मामले दर्ज थे। इस कांड के बाद राजू फौजी ने भाई के ससुराल पक्ष के लोगों का अपहरण और उनकी संगीन पिटाई जैसी वारदातों को भी अंजाम दिया।
राजू फौजी ने 19 मई 2018 को बाड़मेर जिले के कल्याणपुर थाना क्षेत्र में तकरीबन 35 बदमाशों के साथ हथियारों के दम पर डोली टोल नाके को लुटा था। इस दौरान वहां खौफ का ये आलम था कि टोल नाके के कर्मचारी इससे डरकर पैदल ही भाग छूटे थे। धीरे-धीरे उसकी दहशत ऐसी फैली की उसने बाड़मेर इलाके में कई व्यापारियों और कंपनियों को डरा-धमकाकर वसूली शुरू कर दी। इसी दौरान उसका सम्पर्क कुख्यात तस्कर खरताराम से हो गया और वो खरताराम की गैंग से तस्करी की दुनिया में भी आ गया। तकरीबन 3 साल पहले पाली के भीमाणा गांव की पहाड़ियों में पुलिस कार्रवाई के दौरान खरताराम चारों तरफ से घिर गया था। उसके और पुलिस के बीच जमकर मुठभेड़ भी हुई। पुलिस ने घेराबंदी की और बचने का कोई रास्ता नहीं मिला तो खरताराम ने खुद को गोली मार ली। खरताराम की मौत के बाद राजू फौजी ने उसकी तस्कर गैंग का टेक ओवर कर लिया। धीरे-धीरे उसने गैंग का विस्तार बाड़मेर से बाहर जोधपुर, नागौर, बीकानेर, पाली, जैसलमेर, चित्तौड़, भीलवाड़ा, जालोर और सिरोही तक कर लिया। स्मैक और अफीम की तस्करी के दौरान फौजी ने सैंकड़ों बार हथियारों के दम पर पुलिस नाकाबंदी तोड़ी। हाल ऐसे रहे कि ज्यादातर तो बदनामी के डर से मामले ही दर्ज नहीं हुए। भीलवाड़ा के दो पुलिसकर्मी औंकार रेबारी और पवन जाट की तस्करी के दौरान हत्या करने के मामले में अब तक उसकी गैंग के तकरीबन 12 कुख्यात बदमाश पुलिस की पकड़ में आ चुके है। राजू फोजी ने भी करीब 9 महीने पुलिस को गच्छा दिया लेकिन बच नहीं पाया। उसका नेटवर्क इतना मजबूत था की देर रात हुई पुलिस कार्यवाही की भी उसे भनक लग गई थी और वह पुलिस से मुठभेड़ के लिए पहले ही तैयार था, लेकिन पुलिस की घेराबंदी के आगे नहीं टिक पाया और दोनो पैर और टखने में गोली लगने से वह गिर पड़ा और अजमेर, भीलवाड़ा और स्पेशल टीम ने उसे धरदबोचा। फ़िलहाल जोधपुर के एमडीएम हॉस्पिटल में उसका पुलिस की कड़ी निगरानी में ईलाज किया जा रहा है, जल्द उसके ठीक होने के बाद उसे भीलवाड़ा लाया जाएगा।