नरमदिल और ड्यूटी के प्रति जिम्मेदार हैं, राजस्थान पुलिस की – सी. आई. कुसुम मीणा।

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नरमदिल और ड्यूटी के प्रति जिम्मेदार हैं, राजस्थान पुलिस की – सी. आई. कुसुम मीणा।

नाम – कुसुम मीना
पोस्टेड- थाना प्रभारी मानटाउन (राजस्थान)
1. पिता स्वर्गीय श्री पी. आर.मीना ।
2 . माता श्रीमति राजन्ति देवी ।
3 . जन्म स्थान -श्री महावीर जी करौली राजस्थान
4. जन्म तिथि 5 जुलाई 1980
5. शिक्षा – MA, B.ed, NET
6. पद स्थापना- थानाधिकारी मानटाउन, सवाई
माधोपुर ज़िला राजस्थान
7. पदस्थापन के बाद मेरी सेवाएं
जयपुर , भरतपुर, कोटा व सवाई
माधोपुर ज़िला में रही है ।
गौरव रक्षक राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के साथ कुसुम मीणा ने इंटरव्यू में बताया कि, बचपन से मेरा सपना आईएएस बनने का था । यह मेरा ड्रीम रहा, कि मैं आई. ए.एस. बन कर कुछ अलग करना चाहती थी। महिलाओं के लिए, बच्चों के लिए,समाज देश के लिए कुछ अच्छा करना चाहती थी । और यही एक ऐसी सर्विस है, जिसमें हम जनता के साथ सीधे तौर पर जुड़ सकते हैं। उनके लिए कुछ अच्छा कर सकते हैं । उनकी मदद कर सकते हैं। लेकिन दुर्भाग्यवश 1995 में मेरे पिताजी की मृत्यु हो गई। फिर मैं मां के पास गांव आ गई और मेरा स्कूल जाना बंद हो गया। जिससे मैं मेरा सपना पूरा ना कर सकी। लेकिन फिर मैंने सोचा की पुलिस में रहकर मैं, वह सब कुछ कर सकती हूं ,जो मेरा सपना है। पुलिस में न केवल सर्विस कर सकते हैं, बल्कि जनता की सेवा भी कर सकते हैं । इस सर्विस में रहकर किसी की भी, किसी भी तरह से , आप सहायता कर सकते हैं। यह सोचकर मैं घर पर अध्ययन करती रही और मेरा चयन पुलिस भाग में हो गया ।


थाना प्रभारी कुसुम मीना से चर्चा की अंश-
8. पुलिस विभाग में ही आने का क्या उद्देश्य था ? बचपन से IAS बनने का सपना देखा था पर मेरे पिताजी का 1995 मे स्वर्गवास हो गया उसके बाद स्कूल जाना बंद हो गया और हम माँ के साथ गाँव मे आकर रहने लग गए, मैंने अपनी परिस्थितियों को देखते हुए घर पर पढना शुरू कर दिया फिर मेरा सब इंस्पेक्टर के पद पर चयन हुआ,पारिवारिक परिस्थतियो के कारण मेरा सपना पूरा नहीं कर पायी फिर भी दिल मैं था की ऐसी जॉब करूँगी जिससे मैं गरीब लोगों की जितनी मदद हो सके कर सकूँ! मै इस जॉब से बहुत ख़ुश हूँ
9. वर्तमान समय में पुलिस के सामने क्या बड़ी चुनौती है ?


Police की जॉब चुनोतियो से भरी तो बिलकुल है। टाइम के साथ अपराध के तरीक़े भी बदल रहे हैं। बदले हालात में पुलिस को अपने रूटीन सोच से बाहर निकलकर अन्यत्र सोचना शुरू करना होगा एवं यह समय है जब कि सोशल मीडिया पर आक्रामक रूप से शान्ति व्यवस्था बनाये रखने के लिए अफवाह फैलाने वालों पर तत्काल कार्यवाही की जाए. पुलिस को स्थानीय स्तर पर आम जनता तथा स्थानीय अधिकारियों के बीच लगातार सामंजस्य तथा वार्ता करते रहना चाहिएं. यह भी संभव है कि पुलिस द्वारा किये जा रहे नियमित कार्य यथा विवेचना, अपराध रोकथाम इत्यादि के अतिरिक्त अन्य रूप से भी कुछ कार्य करना पड़े.

10. क्या आप महसूस करते हैं कि आपके विभाग में राजनीतिक हस्तक्षेप अन्य विभागों से ज्यादा है ?ऐसा कहना उचित नहीं मानती हूँ क्युंकी पुलिस के पास अपराधों की जांच करने, कानूनों का प्रवर्तन करने और राज्य में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बहाल रखने की शक्ति होती है। इस शक्ति का उपयोग वैध उद्देश्य के लिए हो, यह सुनिश्चित करने के लिए पुलिस को राजनीतिक कार्यकारिणी के प्रति जवाबदेह बनाया है इसको प्रेशर कहना ठीक नही समझती ।

12. ऐसे पुलिस अधिकारी व कर्मचारी जो आम जनता से अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं ऐसे कर्मचारियों के लिए आपका क्या संदेश है? अपराध और अव्यवस्था को रोकने के लिए पुलिस को आम जनता के विश्वास, सहयोग और समर्थन की जरूरत होती है। इसलिए प्रभावशाली पुलिस व्यवस्था के लिए पुलिस और जनता के बीच का संबंध महत्वपूर्ण है। इसलिए जनता से सद व्यवहार रखकर अपराधियों पर लगाम लगानी चाहिए ।
13. आपकी आज तक की सर्विस के दौरान कोई ऐसी घटना जो आपके दिल को छूती हो जो आप हम से शेयर ? करना चाहते हो ।
हाँ यह एक ऐसी मार्मिक घटना है जो मेरे दिल को छूती है अभी हाल ही में चेकिंग के दौरान बाइक सवार की पीड़ा ….
आज काम नहीं मिला तो भूखे रहेंगे बच्चे…

थाना मानटाउन प्रभारी कुसुम मीणा ने बताया, कि पिछले दिन में अपनी टीम के साथ बाबा टी स्टाल नाके पर वाहनों की चेकिंग कर रही थी । बिना बात यहां वहां आने जाने वाले लोगों को रोककर उनके चालान वह समझाइश कर रहे थे। तभी अचानक एक व्यक्ति सामने से मोटरसाइकिल पर आता हुआ दिखा , तो उसे मैंने रोका। रोकते ही वह हाथ जोड़कर खड़ा हो गया । उससे जब कारण पूछा तो वह भावुक हो गया और आंखों में आंसू आ गए, वह कहने लगा, मैं रोज कमाता था। पिछले 1 माह से आमदनी नहीं के बराबर रह गई है। घर में कुछ नहीं है । बीवी और बच्चों का पेट भरना मुश्किल हो गया है । बच्चों को लगता है कि मैं ही वह व्यक्ति हूं, जो हर दिन उनकी जरूरतें पूरी कर उनका पेट भर सकता हूं। लेकिन क्या करूं? जरूरतों को कहां से पूरा करूं ? अब ना तो घर में और ना हीं जेब में एक पैसा बचा है । आज परेशान होकर घर से निकल आया हूं । या तो शाम तक कोई काम करके पैसे का इंतजाम कर लूंगा , नहीं तो घर नहीं जाऊंगा। आदमी की दशा देखकर मेरी आंखें नम हो गई । उस समय मेरी जेब में मात्र 700रु. थे । मैंने 700रु. निकाल कर उसको दे दिए। और उसको कहा जीवन में हिम्मत मत हारना ईश्वर सब अच्छा करेगा उसके वह शब्द जिनमें बहुत पीड़ा थी उसको मैं आज तक नहीं भूल पाई । यह घटना मेरे दिल को छूती है ।

14 .गौरव रक्षक राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के माध्यम से आम जनता को क्या संदेश देना चाहती हो ?पुलिस और जनता के बीच दोस्ताना संबंध होने चाहिए। जनता के मन में पुलिस के प्रति भय नहीं होना चाहिए। पुलिसकर्मी पूरी निष्ठा, ईमानदारी व कानून संगत ऐसा काम करें कि बेगुनाह फंसे नहीं और गुनहगार बचे नहीं। तभी पुलिस आम जनता का विश्वास जीत पाएगी और जनता को न्याय मिल सकेगा।आज हम सब मिलकर इस महामारी का सामना कर रहे है मेरी अपील है की police के डर से मास्क ना पहने अपने जीवन के लिए पहने, बहुत जरुरी काम होने पर ही घर से बाहर जाये ।

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