जिंदगी जिंदादिली का नाम: कोरोना को हराने वाले गोपाल लाल माली बोले-जीने का जज्बा और आत्मविश्वास हो तो आप हार नहीं सकते

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जिंदगी जिंदादिली का नाम: कोरोना को हराने वाले गोपाल लाल माली बोले-जीने का जज्बा और आत्मविश्वास हो तो आप हार नहीं सकतेवै श्विक महामारी कोरोना से वर्तमान में पूरा देश लड़ाई लड़ रहा है। शासन-प्रशासन को भी व्यवस्था निर्मित करने मे पसीने छूट रहे हैं। लोगों की कोरोना के भय से मृत्यु तक हो रही है। वहीं कोरोना को हराने के कुछ ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं। जो प्रेरणास्पद होने के साथ राहत देने वाले भी हैं। एक ऐसे ही माली (सैनी) महासभा के जिलाध्यक्ष 47 वर्षीय गोपाल लाल माली ने कोरोना को मात देकर लोगों के मन में नई उम्मीद जगा दी है। माली ने 7 अप्रेल को पहली बार बुखार आने पर घर पर ही दवाई लेना शुरू किया लेकिन कुछ राहत नहीं मिलने पर 8 अप्रेल को बेटे मुकेश के कहने पर कोरोना जांच कराई, जो पाॅजीटिव आई। इस पर एमजीएच के डाॅ. दौलत मीणा से आवश्यक दवाईयां लेकर घर पर आईसोलेट होकर ईलाज शुरू किया, लेकिन स्वास्थ्य में गिरावट के कारण 10 अप्रेल को चेस्ट का सीटी करवाया, जिसमें 5 स्कोर आने पर पुनः डाॅ. को दिखाया गया। उस वक्त बुखार तो ठीक हो गया, लेकिन सांस लेने में तकलीफ शुरू होने पर एमजीएच में एडमिट हो गये व फिजिशियन डाॅ. मीणा की देख-रेख में ईलाज शुरू हुआ।

पांच दिन तक लगातार ईलाज चलते हुए भी किसी तरह का स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ। बल्कि आॅक्सीजन लेवल भी गिरते हुए 80 प्रतिशत पर आ पहुंचा। इस पर दोबारा डाॅक्टर के कहने पर सीटी स्केन करवाया तो उसमें स्कोर 19 हो गया, जिस पर डाॅक्टर के साथ परिवारजन भी चिंतित हो गये और इधर हालात नाजुक बने हुए थे। तुरन्त डाॅक्टरों ने अन्य बडे़ हाॅस्पीटल में ले जाने की सलाह दी और कहा कि यहां ईलाज संभव नहीं है। इस पर मेरे भाई कन्हैयालाल व शंभु माली ने तुरन्त मुझे जयपुर दिल्ली हाईवे स्थित निम्स हाॅस्पीटल में 15 अप्रेल को एडमिट करवाया, तब भी स्थिति अति गंभीर होने के कारण मुझे सीधा वेंटीलेटर पर लिया गया और डाॅक्टर कुछ कहने को तैयार नहीं थे। बस उन्होंने यहीं कहा कि हमारा काम ईलाज करना है, बाकि सब उपर वाले के हाथ में है। तीन दिन तक वेंटीलेटर पर रहते हुए पुनः सीटी स्केन करवाई तो स्टोर 19 से बढ़कर 21 तक पहुंच गया। इस पर डाॅक्टरों की टीम व परिजन काफी चिंतित हो उठे।
निम्स के कोविड अस्पताल में 15 दिनों तक भर्ती रहा। अस्पताल के अंदर एक-एक सेकेंड काटना घंटों के बराबर होता था लेकिन मैंने उस समय को भी ऐसे नहीं गुजरने दिया। योग और मेडिटेशन को अपनी दिनचर्या में शामिल किया। इनके बल पर मेरा आत्मबल काफी मजबूत हुआ।
आठ दिनों तक वेंटीलेटर पर रहने पर भी कभी हिम्मत नहीं हारी और इस खतरनाक वाईरस को अपने हौसलों से हराकर कोरोना को मात दी। माली का कहना है कि जिन्दगी को जीने का जज्बा और आत्मविश्वास हो तो कोई आपको हरा नहीं सकता। माली ने समाज को संदेश देते हुए कहा कि कोरोना से डरे नहीं अपना आत्मविश्वास और जिंदादिल बने रहे। हिम्मत और मजबूती के साथ कोरोना का सामना करें, जीत जरूर होगी।
माली ने एमजीएच हाॅस्पीटल के डाॅ. दौलत मीणा सहित उनकी टीम के प्रयासों की काफी सराहना की। हाल फिलहाल माली अभी घर पर ही स्वास्थ्य लाभ ले रहे है। साथ ही मिलने आने वाले दूसरे लोगों को भी कोरोना वायरस को हराने को लेकर प्रोत्साहित कर रहे हैं। उन्होने लोगों को जागरूक किया कि वह बातों को छुपाएं नहीं, बल्कि दूसरे लोगों को जागरूक करने को लेकर आगे आएं। जांच कराएं, संक्रमित पाए जाने पर दवा लें। आइसोलेशन में रहते हुए कोरोना वायरस को मात दें।

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