प्रतीकात्मक चित्र
म्यूकरमायकोसिस अर्थात ब्लैक फ़ंगस बीमारी का फैलाव। नई बीमारी नई चिंता———-कौरोना महामारी कि दूसरी लहर से प्रभावित क्षेत्रों में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है जो म्यूकरमायकोसिस (ब्लैक फ़ंगस या काली फफूँद) से पीड़ित हैं यह बीमारी म्यूकर फ़ंगस की वजह से होने वाला दुर्लभ संक्रमण है।
मिट्टी ,फल सब्ज़ियों के सड़ने की जगह, खाद बनने वाली जगह, यह म्यूकरमायकोसिस अर्थात ब्लैक फ़ंगस बीमारी का फैलाव नई बीमारी नई चिंता———-कौरोना महामारी कि दूसरी लहर से प्रभावित क्षेत्रों में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है जो म्यूकरमायकोसिस (ब्लैक फ़ंगस या काली फफूँद) से पीड़ित हैं यह बीमारी म्यूकर फ़ंगस की वजह से होने वाली दुर्लभ किन्तु ख़तरनाक संक्रमण है ।मिट्टी,फल सब्ज़ियों के सड़ने की जगह ,खाद बनने , यहाँ यह फंगस पनपता है ।इसकी मौजूदगी मिट्टी और हवा दोनों जगह हो सकती है ।इंसान के नाक और बलगम में भी यह फ़ंगस पाया जाता है ।इससे साइनस ,दिमाग़ और फेफड़े प्रभावित होते हैं। यह बीमारी डायबिटीज़ के मरीज़ों अथवा कम इमयुनिटी वाले लोगों ,कैंसर या एड्स के मरीज़ों के लिए घातक है। ब्लैक फ़ंगस मैं मृत्यु दर 50-60% होती है ।कोविड 19के मरीज़ों को दिए जाने वाले स्टेरोइड की वजह से इस बीमारी के मरीज़ बढ़ रहे हैं। लक्षण —-इस बीमारीमें नाक का बहना ,चेहरे का सूजना ,आँखों के पीछे वाले हिस्से में दर्द ,खाँसी ,मुँह में छाले ,दाँतों का हिलना ,मसूड़ों में पस पडना आदि हैं। डॉक्टरों का मानना है की कोरोना बीमारी के इलाज के दौरान दी गई दवाइयों का यह एक साइड इफ़ेक्ट है। इस संक्रमण का फैलाव बहुत तेज़ी से होता है ।कोविड की पहली लहर में इस बीमारी इसके लक्षण लगभग साढ़े तीन सप्ताह बाद दिखते थे वहीं अब दूसरी लहर के बाद इस बीमारी के लक्षण ढाई सप्ताह में ही उभरने लगे हैं। हालाँकि इस बीमारी का इलाज संभव है ।यदि प्रारंभिक स्टेज पर इसका इलाज प्रारंभ हो जाए तो रिकवरी की संभावना अधिक रहती है ।हमारे देश में अभी और महाराष्ट्र गुजरात में इस बीमारी के काफ़ी मरीज़ सामने आ रहे हैं दिल्ली और UP में भी इस बीमारी से ग्रसित कुछ मरीज़ सामने आए हैं डॉक्टरों का यह भी मानना है कि डायबिटीज़ अथवा कम इमयुनिटी वाले मरीज़ों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है जिन्होंने की अभी हाल में ही कोरोना का इलाज करवाया है भारत सरकार और राज्य सरकारों को अभी से ही इस बीमारी के फैलाव को रोकने और पर्याप्त इलाज सुविधाएँ विकसित करने पर बहुत ध्यान देने की आवश्यकता है वरना यह बीमारी कोरोना की दूसरी लहर से भी घातक सिद्ध हो सकती है ।