जिस स्कूल में पिता थे चतुर्थ कर्मचारी उसी स्कूल में पढ़ कर किया आईपीएस तक का सफर
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजमेर राजस्थान
व्यक्तित्व परिचय:-
नाम- श्री जगदीश चंद्र शर्मा
पुत्र- स्वर्गीय श्री हरसहाय शर्मा उम्र-57 वर्ष
जाति- ब्राह्मण
निवासी- ग्राम तुंगा
तहसील- बस्सी
जिला- जयपुर राजस्थान
आज हम बात कर रहे हैं ऐसी शख्सियत की जिनके पिता सरकारी स्कूल में चतुर्थ कर्मचारी थे उसी स्कूल में पढ़ कर जगदीश चंद्र जी ने आईपीएस बनने तक का सफर पूरा किया । आपका जन्म एक कृषक परिवार में हुआ। आपके पिता उच्च माध्यमिक विद्यालय, बस्सी में सहायक कर्मचारी के तौर पर कार्यरत थे। आपकी प्रारंभिक शिक्षा उच्च माध्यमिक विद्यालय, बस्सी जयपुर से हुई है। आप ने वर्ष 1985 में बी.कॉम. (ऑनर्स), वर्ष 1987 में बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विषय से एम.कॉम., वर्ष 1989 में एम.फिल. किया। वर्ष 1990 से लेकर 1994 तक आपने विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लिया, आपके अथक प्रयासों से मार्च, 1994 में आपका चयन राजस्थान पुलिस सेवा में हुआ। आरंभ से ही आपकी अध्ययन में विशेष रूचि होने के कारण पुलिस जैसी व्यस्त सेवा में रहते हुए भी आप द्वारा एम.बी.ए. एवं एल.एल.बी. की डिग्रीयां प्राप्त की गई। राजस्थान पुलिस सेवा में चयन के उपरांत आप का प्रथम पद स्थापन वृताधिकारी वृत्त हिण्डौन, जिला करौली के पद पर हुआ। प्रथम पदस्थापना के उपरांत आप वृताधिकारी वृत्त आदर्श नगर जयपुर, यातायात जयपुर, शाहबाद जिला बारां, बांदीकुई एवं वृत्त दौसा जिला दौसा, निवाई जिला टोंक जैसे महत्वपूर्ण स्थानों पर पदस्थापित रहे हैं। उप अधीक्षक पुलिस से अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पुलिस के पद पर पदोन्नत होने के उपरांत आप अजमेर ग्रामीण, दौसा, जोनल ऑफिसर सी.आई.डी. उदयपुर, विजिलेंस नगर निगम, जयपुर, विजिलेंस डिस्कॉम जयपुर, में पद स्थापित रहे। राजस्थान पुलिस सेवा से भारतीय पुलिस सेवा में आपका प्रमोशन मात्र 20 वर्ष की अवधि में मार्च 2014 में हो गया। पुलिस अधीक्षक के पद पर आपने अपनी सेवाएं जिला डूंगरपुर, सी.आई.डी. (सी.बी.) जयपुर, जैसलमेर, 5वी बटालियन आर.ए.सी. जयपुर, झुंझुनू में दी है। आप वर्तमान में जिला पुलिस अधीक्षक अजमेर के पद पर पदस्थापित हैं। पुलिस अधीक्षक के पद पर रहते हुए आपने अधीनस्थ अधिकारियों एवं कर्मचारियों के कल्याण के लिए जिला पुलिस कल्याण समिति का गठन किया गया। आपको प्रकृति से विशेष प्रेम होने के कारण आपने अपने पद स्थापन स्थानों पर वृक्षारोपण को बढ़ावा दिया साथ ही पुलिस थाना, पुलिस लाइन एवं कार्यालय परिसरों के सौंदर्य करण एवं स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया। आपने अपने अधीनस्थों को सदैव सूचना एवं प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया है। आपके द्वारा अच्छा कार्य करने वाले पुलिसकर्मियों को सदैव नगद पुरस्कार एवं प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया जाता रहा है, जिससे वह अपने कार्य के प्रति सदैव सजग रहें। दिनांक 1जनवरी 2021 को आपको वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पद पर पदोन्नत किया गया है।
जब गौरव रक्षक की टीम ने पूछा कि आपने पुलिस में ही आना क्यों चुना?
तब उन्होंने बताया की शुरू से पुलिस में आने का नहीं सोचा था। मगर पढ़ाई में होशियार थे और पढ़ाई करते रहे , जिसकी वजह से पुलिस फोर्स में आना हुआ और पुलिस फोर्स ज्वाइन की। मेरी शिक्षा ग्रामीण क्षेत्र से हुई है। मै ग्रामीण क्षेत्र से ,गरीब परिवार से हु। मेरी शिक्षा उस स्कूल से हुई है ,जहां पर मेरे पिताजी चपरासी की नौकरी करते थे । उस वक्त हैंड पंप या ट्यूबवेल की व्यवस्था नहीं थी , उस वक़्त जलदाय योजना नही चलती थी। इसलिए मेरे पिताजी कुँए से पानी भरकर लाते थे , और स्कूल के बच्चों की प्यास बुझाते थे । जब हम बड़े हुए ,तब हम भगवान से कहते थे कि हे भगवान हमें 400 से 500रुपये की पगार वाली नौकरी दिलवा देना । उसी में हमारा गुजर बसर हो जाएगा। मेरी शादी जल्दी ही हो गई और मुझे प्राइवेट सेक्टर में 500रु की पगार की नौकरी भी मिल गई । लेकिन मेरा मन पढ़ाई में लगता था और मैं आगे और पढ़ना चाहता था । तब मैंने अपनी पत्नी से कहा कि मैं आगे और पढ़ना चाहता हूं , पर कहीं शादी की वजह से मेरी पढ़ाई यही ना रुक जाए। तब मेरी पत्नी ने कहा कि आप अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें और निरंतर अपनी पढ़ाई करें । ग्रहस्थी का काम मुझ पर छोड़ दें । मैं सब संभाल लूंगी। आप सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें । मेरी पत्नी की बात सुनकर मेरा मनोबल बढ़ा, और मैं आगे पढ़ाई करने लगा। पढ़ाई में होशियार था ही ,आगे से आगे अच्छे मार्क्स लेकर पास होता चला गया। जिससे मेरा सिलेक्शन आगे से आगे होता चला गया। और इसी प्रकार से मैंने निरंतर प्रयास किया और पुलिस फोर्स जॉइन की। और आज मैं मेहनत और माता पिता के आशीर्वाद से इस मुकाम पर हूँ । जहां पर मैं लोगों की सेवा कर सकता हूं ,और उनकी समस्याओं का समाधान कर सकता हूं।
आज मैं लोगों की सेवा करके,पुलिस फोर्स ज्वाईन करके, अपने आप को गौरवान्वित महसूस करता हूं।
सवाल:- गौरव रक्षक की सह . संपादक प्रियला शर्मा ने पूछा कि आप उन अधिकारी और ऑफिसर को क्या कहना चाहेंगे जो जनता के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं?
तब उन्होंने बताया कि, मैं उन अधिकारी और ऑफिसर से यही कहूंगा ,कि आप जनता के साथ सदव्यवहार करें । जिससे उनकी परेशानी कम हो ,और वह अपनी परेशानी खुलकर आपको बता सकें । वैसे भी आजकल सभी ऑफिसर जनता के प्रति अच्छा व्यवहार करते हैं, और उनकी समस्याओं का समाधान करते हैं। सरकार की तरफ से हर पुलिस स्टेशन में एक स्वागत कक्ष बनाया गया है, जिसमें आने वाले परेशान व्यक्ति को आराम से बैठाया जाता है ,और जल पिलाया जाता है, और उससे उसकी समस्याओं का बारे में पूछा जाता है । जगदीश जी हँसते हुए कहा कि अब वह समय नहीं है की पुलिस जनता के साथ अच्छा व्यवहार ना करें। अब जनता भी बहुत समझदार है । पहले जब अंग्रेजों के जमाने में पुलिस की स्थापना की गई थी, तो उस वक्त सिर्फ एक ही मकसद था अंग्रेजों के नियम कानून सख्ती से लागू करना ,एक तरह से अंग्रेजों की गुलामी करना । पर जब से देश आजाद हुआ है ,तब से पुलिस जनता की सेवक है। अब पुलिस द्वारा जनता के साथ हमेशा अच्छा व्यवहार ही किया जाता है । जनता को भी पुलिस का साथ देना चाहिए। कहीं भी अपराध घटित हो रहा या अपराधी प्रवृत्ति का व्यक्ति नजर आता है तो वे हिचक पुलिस को सूचना देना चाहिए जिस तरह से मुसीबत आने पर जनता पुलिस को याद करती है ,और पुलिस पर भरोसा करती है, उसी तरह हमेशा पुलिस पर भरोसा रखें और पुलिस का साथ दें । जब तक जनता , पुलिस का साथ नहीं देगी तब तक पुलिस भी अपना काम सही तरीके से नहीं कर पाएगी क्योंकि अपराधी व्यक्ति समाज में ही कहीं ना कहीं छुपा होता है समाज का कर्तव्य है ऐसे अपराधी व्यक्ति को पुलिस के सामने उजागर करना। इसीलिए जनता से अपील है कि वह भी पुलिस का साथ दें । जहां कहीं अपराध हो, तो समय पर पुलिस को सूचना दें। पुलिस को अपराध के बारे में बताएं , ताकि पुलिस अपराध को रोक सके।
सवाल:-हमारी टीम ने पूछा कि जो महिलाओ के साथ जो अपराध हो रहे है।उसका मुख्य कारण क्या है? और इन अपराधों पर रोकथाम कैसे हो?
तब उन्होंने बताया कि महिलाओं के साथ अपराध बढ़ने की मुख्य वजह टेक्नोलॉजी है । जिसकी वजह से आज हम अपने आप को बहुत ज्यादा विकसित समझने लगे हैं । हम हमेशा टेक्नोलॉजी के सहारे अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं , चाहे वह फिजिकली हो या फिर पारिवारिक । मेरा मानना है कि मुख्य वजह टेक्नोलॉजी है । और दूसरी वजह है , हमारे संस्कारों का भूलना ,अपनी परंपराओं को भूलना ,अपनी मर्यादाओं को भूलना , रिश्तो के महत्व को भूलना । आजकल हम अपने अपने कामों में व्यस्त रहते हैं और अपने परिवार को समय नहीं देते हैं । और अकेलेपन में हम टेक्नोलॉजी का सहारा लेते हैं। जिससे हमारी मानसिकता खराब हो गई है । आजकल सभी एकल फैमिली में रहना पसंद करते हैं। रोकटोक पसंद नही करते है। पहले लोग हमेशा सामूहिक परिवार में रहते थे । परिवार में सारे रिश्ते होते थे बड़ो का डर होता था । आजकल उन सारे रिश्तों का महत्व खत्म हो गया है । जिससे रिश्तों की मर्यादा टूट सी गई है । और आने वाली पीढ़ी अपराध की ओर अग्रसर हो गई है । इसीलिए इन अपराधों को रोकने के लिए हमें हमारे संस्कार और हमारी मर्यादाओं को अपने जीवन में शामिल करना होगा। जिससें हमारी पीढ़ी हमारे पारिवारिक रिश्तो के महत्व को समझ सके । रिश्तो के मजबूती को समझ सके । आज हम सभी चाहते हैं कि हमारे बच्चे डॉक्टर बने , इंजीनियर बने ,आईपीएस बने, आईएएस बने, बहुत बड़े बिजनेसमैन बने। लेकिन हम यह नहीं सोचते कि हमारा बच्चा संस्कारवान बने , मर्यादित बने, ईमानदार बने समाज में पुरुषोत्तम भगवान राम की तरह मर्यादित बने। जिससे एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सके। हमें चाहिए कि हम हमारे बच्चों को संस्कार और परंपराओं के बारे में उन्हें बताये।हमे हमारे बच्चों को रिश्तो के महत्व को समझाना चाहिए । जिससे हमारा बच्चा बड़ा होकर एक स्वस्थ समाज, स्वस्थ देश का विकास कर सकें । अपराधों को रोकने का यही एक तरीका है कि हमें हमारी आने वाली पीढ़ी को संस्कारवान बनाना होगा।
सवाल:- हमारी टीम ने पूछा कि आप हमारी गौरव रक्षक पत्रिका के माध्यम से जनता को क्या संदेश देना चाहेंगे?
उन्होंने कहा कि मैं जनता को यही कहना चाहूंगा कि जनता भी पुलिस का साथ दे जहां कहीं अपराध हो रहा है या अपराधी प्रवृत्ति का व्यक्ति नजर आए निसंकोच पुलिस को सूचना दें । पुलिस पर जनता भरोसा करे, जिससे पुलिस भी अपना काम समय से और अच्छे से कर सके।पुलिस और जनता एक दूसरे का साथ दे तो हम हमारे देश को अपराध मुक्त बना सकते है। और हमे हमारे बच्चों को संस्कार देना चाहिये, हमारी परंपराओ के बारे में बताना चाहिये।जिससे हमारी पीढ़ी संस्कारवान बने। जिससे अपराध मुक्त देश का निर्माण हो और एक अच्छे संस्कारवान समाज का निर्माण हो सके।
जय हिंद! जय भारत ! वंदे मातरम !