राजस्थान में सम्पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा, राजस्थान से पलायन शुरू:काम-धंधा बन्द हुआ तो लौटने लगे यूपी-बिहार के मजदूर
10 मई से शुरू होगा राजस्थान में पूर्ण लॉकडाउन
हमेशा यात्रियों से खचाखच भरा रहने वाले स्टेशन पर सन्नाटे जैसा माहौल है। कुछ पैसेंजर दिख रहे हैं, वे सभी बिहार-यूपी के हैं। सख्त लॉकडाउन की घोषणा के बाद ये लोग अपने गांव-घर लौट रहे हैं।
सबकुछ लॉक हो गया
उत्तर प्रदेश के राय बरेली निवासी ऋषि कहते हैं- रोजी-रोटी के लिए जयपुर आए थे। एम्ब्रॉयडरी की मशीन चलाते थे। कोरोना ने ऐसा तांडव मचाया कि सबकुछ लॉक हो गया। ऐसे में खाली रहकर यहां क्या करेंगे। गुजारा करना मुश्किल हो रहा है। खुद क्या खाएंगे, परिवार को क्या खिलाएंगे। कुछ ऐसी ही कहानी जूते-चप्पल की दुकान पर काम करने वाले सोनू की है। कानपुर देहात निवासी सोनू ने बताया- लॉकडाउन के कारण कारोबार बंद होने का हवाला देकर मालिक ने कहा- जाओ। घर घूम आओ। जब सामान्य हालात होंगे, तब आना। बिहार के मधुबनी निवासी दशरथ आइसक्रीम बेचते थे। गर्मी का ही सीजन होता है कि आईसक्रीम का बिजनेस चलता है। लॉकडाउन लग गया तो सब चौपट हो गया। नंदपुरी में परिवार सहित रहते थे। सबको लेकर स्टेशन आ गए। अब घर जाकर ही कुछ करने का मन बनाया है। ये तो कुछ बानगी भर है। हजारों मजदूरों की रोजी-रोटी एक बार फिर छिन गई है।
आर्थिक रूप से कमजोर हुए
पिछले 15 दिन से स्टेशन के हालात बदले हुए हैं। 10 मई से राजस्थान में सख्त लॉकडाउन की घोषणा हो चुकी है। कोरोना संक्रमण से हर वर्ग परेशान हो चुका है। मानसिक और आर्थिक रूप से आमजन पूरी तरह से टूट चुका है। उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों का पलायन शुरू हो चुका है। यात्रियों से बात करने पर पता लगा कि सख्त लॉकडाउन के कारण लोग जा रहे है। काम की समस्या शुरू हो चुकी है। पेट भरना मुश्किल हो गया है, अब बस गांव चले जाएं। कुलियों को कई दिनों से काम नहीं मिल पा रहा है। कई बार शाम को खाली हाथ ही लौट कर जाना पड़ता है। ट्रैक्सी ड्राइवरों को भी सवारियां नहीं मिल रही हैं।
ट्रेनें निकल रहीं खाली
ट्रेनों में यात्री भार काफी कम है। अधिकतर ट्रेनें खाली ही निकल रही है। साइड में कुछ कुली खाली बैठे हुए है। कुछ दूरी पर टैक्सी स्टैंड के बाहर काफी ड्राइवर बैठे हुए है। पूछताछ केंद्र पर भी कुछ ही लोग दिखाई दे रहे थे। चेकिंग कर रहे पुलिस के जवान ने बताया कि उत्तर प्रदेश व बिहार के लोगों का आवागमन ज्यादा हो रहा है। चेकिंग के लिए लोगों की लाइन लगी हुई थी। सैनिटाइज करके अंदर जाने दे रहे थे। प्लेटफॉर्म नंबर एक पर उत्तर प्रदेश व बिहार के लोग ही मौजूद थे। प्लेटफॉर्म पर जयपुर-पुणे ट्रेन आकर रुकी। ट्रेन से काफी कम संख्या में यात्री उतरे। ट्रेन लगभग खाली थी।
15 दिन से नहीं मिल रहीं सवारियां
स्टेशन पर 178 कुली है। 15 दिन से 80 ही आ रहे हैं। अब 10 मई से 40 ही आएंगे। कुछ कुलियों ने बताया कि 15 दिन से हालात ठीक नहीं है। टूरिस्ट तो एक साल से नहीं आ रहे हैं। कुली आधे ही आ रहे हैं। मजदूर वर्ग के लोग ट्रेनों से जा रहे हैं। कई बार खाली हाथ ही घर लौटना पड़ता है। मजदूरी भी नहीं मिलती है। टैक्सी ड्राइवर ने बताया कि टूरिस्ट बिल्कुल आने बंद हो चुके हैं। अधिकतर बाहर से ही पर्यटक घूमने के लिए आते थे। गाड़ी में दो सवारियों को ले जाने की अनुमति है, ऐसे में पुलिसकर्मी भी रास्ते में परेशान करते हैं। रोजी-रोटी का संकट होने लग गया है।