साढ़े सात घंटे की तीन अलग-अलग मैराथन बैठकों के बाद हुई सुलह।
कमिश्नर ने डॉ. गडरिया को भेजी भास्कर की कटिंग कहा- इस वक्त शहर आपकी हड़ताल के पक्ष में नहीं है
दो दिन से चले आ रहे प्रशासनिक अधिकारियों और डॉक्टर्स के बीच का गतिरोध शुक्रवार को खत्म हो गया। कोरोना के दौर में जनहित के खातिर सभी ने बड़ा दिल दिखाया। मंत्री, सांसद, विधायक, कमिश्नर की पहल और समझाइश पर कलेक्टर मनीष सिंह ने खेद व्यक्त किया ताे डॉ. पूर्णिमा गडरिया सहित संगठनों ने भी उन्हें हटाने की जिद छोड़ दी और पूर्ववत मिलकर काम करने का भरोसा दिलाया।
हालांकि डॉक्टर्स के विरोध के कारण डीपीएम (जिला कार्यक्रम प्रबंधक) की जिम्मेदारी संभाल रही अस्थाई संविदाकर्मी को इस दायित्व से मुक्त कर दिया गया। इस बीच आधे दिन तमाम सरकारी अस्पतालों में कामकाज ठप रहा। कोरोना टेस्ट के लिए फीवर क्लिनिक पहुंचे लोगों को निराश लौटना पड़ा। गर्भवती महिलाओं को भी असुविधाएं हुई। इसके पहले कमिश्नर डॉ. पवन शर्मा ने डाॅ. गडरिया को भास्कर की कटिंग भेजी और कहा कि ये पढ़ें और देखें इस वक्त शहर की आपसे अपेक्षा क्या है। शहर हड़ताल के पक्ष में नहीं है। इसी के बाद बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ और दोपहर तक पटाक्षेप हो गया।
ऐसे हुई सुलह; देर रात बनी रणनीति, सुबह 7 बजे से शुरू हुआ बैठकों का दौर
दो डॉक्टर्स के इस्तीफे के बाद स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर दोनों पक्षों में देर रात तक रणनीति बनती रही। फिर शुक्रवार सुबह 7 बजे स्वास्थ्य अधिकारी-कर्मचारी संभागीय संयुक्त संचालक कार्यालय पहुंचे। वहां देर तक चर्चा हुई एक सूत्री मांग थी कि कलेक्टर को हटाया जाए। करीब 10 बजे उन्हें रेसीडेंसी बुलाया गया। यहां 2 घंटे चली बैठक भी बेनतीजा रही। बैठक में मंत्री तुलसी सिलावट, सांसद शंकर लालवानी, संभागायुक्त डॉ. पवन शर्मा मौजूद थे। मंत्री सिलावट ने यह तक कह दिया कि मैं सरकार की तरफ से बात कर रहा हूं। मैं माफी मांग लेता हूं।
डॉक्टरों ने कहा कि एक साल से हम यह सब सहन कर रहे हैं। स्वास्थ्यकर्मियों ने जिला कार्यक्रम प्रबंधक का प्रभार अस्थाई संविदा कर्मी अपूर्वा तिवारी काे दिए जाने का विराेध किया, जिसके बाद भाेपाल से नए डीपीएम के आदेश जारी हाे गए। मूल बात नहीं बनी तो मंत्री और अफसर चले गए। कुछ देर बार डॉ. गडरिया आदि संभागायुक्त कार्यालय पहुंचे। मंत्री और विधायक रमेश मेंदोला भी अाए। यहीं कलेक्टर मनीष सिंह ने खेद व्यक्त कर दिया, इसके बाद मामला खत्म हो गया।
लेकिन परेशान भी हुए; डॉक्टर बोले,- हड़ताल है, सैंपल ले भी लिया तो जमा नहीं होगा
उधर, सुलह होने तक सरकारी अस्पतालों में कामकाज बंद रहा। बाणगंगा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के फीवर क्लिनिक खुला था और डॉक्टर भी थे, लेकिन सैंपलिंग नहीं हुई। ड्यूटी डॉ. सागर दरबार ने हड़ताल का हवाला देकर लोगों को रवाना कर दिया। मल्हारगंज पॉली क्लिनिक में भी यही स्थिति रही। आरटीपीसीआर के बजाय यहां सिर्फ रैपिड एंटिजन टेस्ट हुआ। पीसी सेठी हॉस्पिटल में 60 मरीजों और चार गर्भवती महिलाओं को गेट से ही लौटा दिया गया।