कौन सुनेगा किसको सुनाएं जनता त्रस्त नेता मस्त
इस महामारी के दौर में कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। सरकार एक दूसरे पर आरोप लगा रही है तथा दवा , वैक्सीन में, ऑक्सीजन की कमी कहकर जनता को सुविधा देने से पल्ला झाड़ रहे हैं।
जनप्रतिनिधि सोए पड़े हैं । कहीं उनको कोरोना नही हो जाये ! क्या यही मानवता है !
जब सत्ता सुख भोगना है ,तो जनता के दुख दर्द में साथ खड़े होना होगा । केवल प्रशासन , चिकित्सा विभाग, एवं पुलिस पर सारी जिम्मेदारी डाल देना उचित नहीं है ।
सीमित कर्मचारियों से क्षमता से अधिक 10 गुना काम नहीं कराया जा सकता है । संस्थान ,सरकार एवं जनप्रतिनिधियों को संसाधन उपलब्ध कराने होंगे जरूरतमंदों को । केवल प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री पर सारी जिम्मेदारी डाल देना उचित नहीं है स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी आगे आकर सहयोग करना होगा
विगत 1 वर्ष से यह महामारी चल रही है । जनप्रतिनिधि अपना विधायक व सांसद कोष को उनका अधिकार मानकर रोके बैठे हैं । सांप की तरह कुंडली मार कर बैठें है । राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार दोनों को विधायक व सांसद कोष से महामारी के चलते सभी राशि महामारी कोष में डाल देनी चाहिए । ताकि आम जनता की मदद हो सके। आम जनता के जीवन को बचाया जा सके।जनता जीवित रहेगी तो ही उनकी सत्ता रहेगी । समय ऐसा आ गया है-
कौन सुनेगा किसको सुनाएं
सुनो सुनो
बुरा वक्त है गुजर जाएगा।
गुज़र रही है ज़िन्दगी ऐसे मुकाम से,
अपने भी दूर हो जाते हैं ज़रा से ज़ुकाम से !
तमाम क़ायनात में ” एक क़ातिल बीमारी_” की हवा हो गई,
वक़्त ने कैसा सितम ढा़या कि “दूरियाँ” ही ”दवा” हो गयी …।
पार्टी विचारधाराओं को छोड़ कर राष्ट्रहित में ,जनहित में , सब एक हो जाएं तथा स्थानीय प्रशासन, चिकित्सा विभाग ,पुलिस प्रशासन का मनोबल बढ़ाएं । जनता की सुने । जनता रहेगी तो सत्ता की लड़ाई कर लेना । यह लड़ाई सामूहिक रूप से, जिम्मेदारी का निर्वहन कर के ही जीती जा सकती है ।
वक्त है घाव पर मरहम लगाने का । इस महामारी के दौर में जो अपने कर्तव्य को, जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं करता है ,वह नेता हो, प्रशासन हो, चिकित्सा प्रशासन या जनता में से कोई हो , जो इस समय भी अपना लाभ देखकर कार्य करता है तो उससे बड़ा अधर्मी मानव हो नहीं सकता । उसे नरक में भी स्थान नहीं मिलेगा । आवो पीड़ित मानवता की सेवा में लग जावे, सेवा करें या घर पर रहकर इस महामारी को रोकने में सहयोग करें। जिसकी जो जिम्मेदारी है उसको निभाए आओ राष्ट्रहित में धर्म निभाएं ।