रिपोर्ट- शिवभानु सिंह बघेल

कांग्रेस से गुटवाजी के कीटाणु लेकर आये श्रीकान्त चतुर्वेदी मंत्री पटेल गुट का मोहरा बने – क्या यह श्रीमंत की भावना के अनुरूप हैं?
सतना:- मैहर के दो दल बदलू नेता विधायक नारायण त्रिपाठी और कांग्रेस के विधानसभा प्रत्याशी रहे श्रीकान्त चतुर्वेदी इन दिनों भाजपा के गुटबाजी के मोहरे बन गये हैं। ये दोनों ही नेता आया-राम गया-राम के नाम से जाने जाते हैं। यही कारण हैं कि मैहर विधायक से चल रहे द्वंद के बीच मंत्री राम खेलावन पटेल व सांसद ने मैहर में ही श्रीकान्त चतुर्वेदी के रूप में मोहरा खोज लिया है। श्रीकान्त अभी चंद दिनों पूर्व भाजपा में शामिल हुये हैं उनके पास पार्टी में कोई दायित्व नही हैं लेकिन दीपावली मिलन समारोह के बहाने मंत्री,सांसद सभी को एकत्रित कर यह बता दिया कि यह मंच उन्होंने नारायण त्रिपाठी के खिलाफ प्रायोजित तरीके से तैयार किया था श्रीकान्त चतुर्वेदी को सांसद ज्योतिरादित्य का समर्थक माना जाता हैं इसके इतर वे रेत माफिया में भी सुमार हैं जिस माफिया कल्चर के श्रीमन्त सिंधिया खिलाफ हैं चतुर्वेदी उसी माफिया लाबी का प्रतिनिधित्व करते हैं। फिर भी वे भाजपा में आकर कांग्रेस की गुटबाजी व शक्ति परीक्षण वाली राजनीति करने लगे हैं जो भाजपा की संस्कृति नही हैं। तब ऐसा करके श्रीकान्त क्या सिंधिया की भावना के विपरीत काम नही कर रहें हैं। फिर जब नारायण त्रिपाठी आया राम गया राम हैं तो क्या श्रीकान्त चतुर्वेदी आया राम गया राम नही हैं। आखिर एक कि उपेक्षा और दूसरे को गले लगाकर मंत्री गुट क्या दोहरे मापदंड नही अपना रहा है। नारायण त्रिपाठी की क्या यही गलती थी कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के परिवार तक को भ्रष्टाचार में घसीटने वाले पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल भैया की जीती हुयी सीट कांग्रेस से ऐन वक्त पर बगावत करके भाजपा की झोली में डाल दी। वहीँ कमलनाथ से मैहर को जिला बनवाने के लिये कांग्रेस को वोटिंग कर दी। फिर जब प्रदेश भाजपा ने उन्हें अभयदान दे दिया तो जिले के नेता उनकी उपेक्षा करने वाले कौन होते हैं। जिले में एकाधिकार जमाने के चक्कर मे मंत्री गुट ने पाया कम और खोया अधिक है। कार्यक्रमों में विधायकों को तथा संगठन के पदाधिकारियों को न बुलाकर उसने भाजपा के मूल सिद्धांतों की मूल भावना पर कुठाराघात तो किया ही है कार्यकर्ता आधारित पार्टी के टैग को कलंकित भी किया हैं।गुटबाजी,उपेक्षा,भ्रष्टाचार से तंग आकर सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ी अपने सिद्धांतों वसूलों व साफ सुथरी राजनीति के पुरोधा सिंधिया ने कम समय मे ही संघ,भाजपा व कार्यकर्ताओं का दिल जीता हैं ऐसे में श्रीकान्त जैसे लोग उनकी माला टाँगकर उन्हें गुटबाजी वाले नेता के रूप मे स्थापित करना चाहते है। जबकि वे स्पष्ट कर चुके हैं कि भाजपा का प्रत्येक कार्यकर्ता उनके परिवार का सदस्य हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बी डी शर्मा को यहाँ व्याप्त गुटबाजी पर नजर डालनी चाहिये।

