संभागीय आयुक्त के निर्देशानुसार पंचायत समिति स्तरीय कैम्पों में करवाये जा रहे है पशुु आश्रय स्थल के प्रस्ताव तैयार

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संभागीय आयुक्त के निर्देशानुसार पंचायत समिति स्तरीय कैम्पों में करवाये जा
रहे है पशुु आश्रय स्थल के प्रस्ताव तैयार ।


महात्मा गांधी नरेगा योजना ग्रामीण क्षेत्र मे निवास करने वाले श्रमिकों के आर्थिक संबंल देने में कारगर साबित हो रही है । योजना द्वारा ग्रामीण श्रमिकेां को अकुशल श्रम ,किसानों को भूमी सुधार में सहयोग वही किसानों व पशुपालकों को पशुओं के रहने के लिए पशु आश्रय बनाने में भी सकारात्मक सहयोग प्रदान कर रही है । महात्मा गांधी नरेगा योजनान्र्तगत व्यक्तिगत लाभ के कार्यो के तहत जिलें में जाबकार्डधारी एस.सी ,एस.टी ,बी.पी.एल परिवारों को महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत पषुपालन में सहयोग करने हेतु पषु आश्रय निर्माण हेतु अधिकतम 70-75 हजार की राषी प्रदान की जा रही है । ऐसे पशुपालक जो पशुपालन के साथ कृषि कार्य भी करते है ऐसे पात्र लाभार्थियों के खेतों में सुधार हेतु अधिकत 3 लाख तक की राशि के कार्य करवाये जा रहे है ।

जिले के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री पुष्कर राज शर्मा ने बताया की महात्मा गांधी नरेगा योजना द्वारा ग्रामीण जाॅबकार्ड धारी परिवार को कार्य मांगने पर 100 दिवस का अकुषल श्रम हेतु रोजगार प्रदान किया जाता है । परन्तु योजना का उद्वेष्य यह है कि अकुषल श्रम ही एक मात्र आजीविका का आधार ना हो श्रमिक अपने खेतो व पशुओं के पालन द्वारा स्थायी आजीविका आधार तैयार कर पाये । इसी उद्धेष्य को पूर्ण करने की मंषा से जिले में व्यकितगत लाभार्थियों के कार्य स्वीकृत किये गये है। संभागीय आयुक्त महोदया के निर्देषानुसार प्रत्येक शुक्रवार को पंचायत समिति स्तर पर कैम्प आयोजित करकें व्यक्तिगत लाभ , पोषण वाटिका , सडक किनारें से बबूल सफाई के कार्यो के प्रस्ताव तैयार किये जा रहे है। अगस्त माह से प्रत्येक शुक्रवार को आयोजित किये जा रहे इन कैम्प में व्यक्तिगत लाभ के कार्यो के अब तक 1515 प्रस्ताव प्राप्त हुए है । पशुुपालन विभाग के अनुसार जिले में लगभग 1 लाख पशपालक व 24.45 लाख पषु है । इसी को ध्यान में रखते हुए मनरेगा अन्तर्गत प्रत्येक वर्ष कार्ययोजना में पशुओ के लिए आश्रय स्थल में गाय,भैस ,बकरी ,मुर्गी आदि के लिए आश्रय स्थल व साथ में वर्मी कम्पोस्ट संरचना आदि भी तैयार करवाये जा रहे है। सामन्यतः पशुुपालक पशु क्रय कर लेेते है परन्तु उनके रहने के लिए उचित बंदोबस्त नही होने से पषु सर्दी ,गर्मी वर्षा की मार में असमय काल के ग्रास बन जाते है । जिसके कारण पशुपालकों को आय व मुनाफा तो दूर मुलधन भी प्राप्त नही होता है और पशुपालक की कर्ज के बोझ से कमर टूट जाती है ।महात्मा गांधी नरेगा योजना से पषुओ के रहने हेतु उचित ठाण आदि तैयार किये जा रहे है । ग्रामीण क्षेत्रों मे वर्षा के दिनों में पशु लगातार किचड़ में खडा रहता है जिससे पशु कई प्रकार के रोगों से ग्रस्त हो जााता है । सर्दी ,गर्मी की तीव्रता से ऊर्जा क्षय के कारण पशु के दुध में कमी हो जाती है जिससे पषुपालक जिस उदेष्य से पषुओं को लाता है वह गौण हो जाता है । महात्मा गांधी नरेगा योजना से पात्र परिवारों के खेत या घर में पशुुओं के रहने हेतु आश्रय स्थल के तहत टीन शेड ,फर्ष/खंरजा ,घास व कुट्टी की खैल व गोबर से खाद बनाने के लिए वर्मी कम्पोस्ट संरचना का निर्माण किया जा रहा है । जिससे पशुपालको ंजीवन मे सकारात्मक परिवर्तन आया है । पशुओं के दुध में वृद्धि हुई हे पशुओं की औसत जीवन प्रत्याषा भी बढ़ी है।मनरेगा योजना से बनाये गये पशुआश्रय प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से पशुुपालकों के लिए उपयोगी साबित हो रहे है ।

महात्मा गांधी नरेगा योजना जहा एक ओर ग्रामीण आबादी लाभान्वित हो रही है वही दूसरी ओर व्यक्तिगत लाभ के तहत करवाये जाने वाले कार्यो से पशु भी इस योजना के लाभ से अछूते नही रहे है।

पंचायत समिति सुवाणा की ग्राम पंचायत आमलीगढ़ पाछली कजोड तेली के खेत में पशु आश्रय मेडबन्दी व तालाब की मिट्टी डालने का कार्य किया गया है । जिससे लाभार्थी के मवेशियों के दूध में 5 से 6 किलो प्रति दिन की वृ़िद्ध हुई है जिससे 3 से 4 हजार मासीक आय मे बढोतरी हुई है इस प्रकार सालाना 40- 45 हजार अतिरिक्त आय बढी है । पशु कम बिमार पडते है जिससे दवाओं का खर्च कम हुआ है । इस प्रकार महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत किये गये इस कार्य से लाभार्थी के स्थाई आजीविका के आधार तैयार हुआ है जिससे लाभार्थी बहुत खुश है।

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