महात्मा गांधी अस्पताल में अत्याधुनिक मशीनों से मानसिक रोगियों को मिलेगा निःशुल्क इलाज, 28 लाख रुपये की लागत से स्थापित की गई नई बायोफीडबैक और आरटीएमएस मशीनों से जांच हुई प्रारम्भ..
गौरव रक्षक/राजेंद्र शर्मा
भीलवाड़ा 5 अक्टूबर।
आरवीआरस अस्पताल और महात्मा गांधी चिकित्सालय में 4 अक्टूबर से मनोरोग विभाग में 28 लाख रूपये की लागत से स्थापित की गई नई बायोफीडबैक और आरटीएमएस मशीनों से जांच प्रारम्भ कर दी गई है।
प्रधानाचार्य एवं नियंत्रक, आरवीआरएस मेडिकल कॉलेज डॉ० अरूण कुमार गौड़ ने बताया की जिले में आरटीएमएस मशीन की स्थापना से मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए आसान और सुरक्षित विकल्प उपलब्ध हो सकेगा। इसका उपयोग डिप्रेशन, चिंता विकार, ओसीडी, पीटीएसडी और शारीरिक पीड़ा के इलाज के लिए किया जाता है।
भीलवाड़ा वासियों में आरटीएमएस मशीन विभिन्न साइकिएट्रिक और न्यूरोलॉजिकल समस्याओं वाले व्यक्तियों के लिए नई आशा और उपचार विकल्प मुफ्त में प्रदान करेगी, जो अभी तक केवल बड़े शहरों के निजी अस्पतालों में काफी पैसा खर्च करके ही मिल पाता था।
आरवीआरस मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ० वीरभान चंचलानी ने बताया कि राजस्थान में केवल एसएमएस मेडिकल कॉलेज में ही इस तरह की जांच मशीनें उपलब्ध है, भीलवाड़ा में इन जांच मशीनों के आने से अब रोगियों को जयपुर या अहमदाबाद नहीं जाना पड़ेगा। बायोफीड बैक मशीन शरीर में मसल्स, हृदय गति, पसीना, घबराहट, दिमाग की एक्टिविटी को नियंत्रित करने में सहायता करती है इसका उपयोग डिप्रेशन, स्ट्रेस या घबराहट, सरदर्द, माइग्रेन, अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशर, fibromyalgia बच्चो में एडीएचडी, IBS (लगातार कब्ज या दस्त रहना) आदि रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है।