स्पर्श कुष्ठ जागरूकता रथ को सीएमएचओ ने हरी झंडी दिखाकर किया रवाना : कुष्ठ रोग के बारे में समुदाय में फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए 13 फरवरी तक की जाएगी अनेकों गतिविधियां

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स्पर्श कुष्ठ जागरूकता रथ को सीएमएचओ ने हरी झंडी दिखाकर किया रवाना : कुष्ठ रोग के बारे में समुदाय में फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए 13 फरवरी तक की जाएगी अनेकों गतिविधियां

गौरव रक्षक/ राजेंद्र शर्मा

भीलवाडा, 09 फरवरी। कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत जिले में ‘कुष्ठ रोग से लडे़ और कुष्ठ रोग को इतिहास बनाये’ थीम के आधार पर 13 फरवरी तक स्पर्श कुष्ठ रोग जागरूकता अभियान का संचालन किया जा रहा है। गुरूवार को जन मानस में कुष्ठ रोग के प्रति जनचेतना जागृत करने के लिए जागरूकता रथ को सीएमएचओ परिसर से रवाना किया गया। जागरूकता रथ को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मुस्ताक खान, डिप्टी सीएमएचओ डॉ. घनश्याम चावला ने हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया।

यह जागरूकता रथ जिले के प्रमुख मार्गो से होकर आमजन को कुष्ठ रोग के प्रति जागरूकता करेंगा। इस दौरान खाद्य सुरक्षा अधिकारी श्री मनीष कुमार शर्मा, जिला पीसीपीएनडीटी समन्वयक श्री रामस्वरूप सेन, नर्सिंग ऑफिसर श्री चन्द्रदेव आर्य, डाटा मैनेजर श्री तरुण चाष्टा, सहित कार्यालय के अन्य अनुभाग अधिकारी मौजूद रहे।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मुस्ताक खान ने बताया कि कुष्ठ रोग के प्रति जागरूकता के लिए जिले में 13 फरवरी तक ‘स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान’ का आयोजन किया जा रहा है जिसमें कुष्ठ रोग के बारे में फैली भ्रांतियों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए अनैकों गतिविधियों का संचालन कर आमजन को कुष्ठ रोग के लक्षण, पहचान और उपचार के बारे में जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कुष्ठ होने पर बहु-औषधीय उपचार (एमडीटी) लेने, बरती जाने वाले सावधानियों, जल्द जांच और समय से ईलाज के लिए स्वास्थ्य कर्मियों के माध्यम से फील्ड में जाकर प्रेरित किया जा रहा है। कुष्ठ रोग आसानी से ठीक होने वाली बीमारी है। इसका उपचार सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में निःशुल्क उपलब्ध है। किसी व्यक्ति के शरीर के रंग से हल्का, सुन्न दाग-धब्बा हो, या चमड़ी पर तैलिया-तामियां चमक हो, हथेली व तलवों में झुनझुनाहट हो, तो उसे कुष्ठ रोग हो सकता है। ऐसे व्यक्ति को तुरन्त स्वास्थ्य केन्द्र पर जाकर चिकित्सक को दिखाना चाहिए। उपचार में विलम्ब होने पर शरीर में विकृति की संभावना रहती है। इसके लिए प्रारम्भिक अवस्था में रोग की पहचान एवं पूर्ण उपचार से रोगी ठीक हो जाता है एवं विकलांगता से बचा जा सकता है।

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