मध्यप्रदेश के मिनी मुम्बई कहे जाने वाले शहर इंदौर में वी आई पी नम्बरो की डिमांड बढ़ गई है। बताया गया है कि वीआईपी नम्बर लेने के लिए क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय इंदौर में बोलिया लगती है और बड़े शोक से इंदौर वासी अपने वाहन के लिए वी आई पी नम्बर की मांग करते है। हालांकि वीआईपी नम्बर की डिमांड से मध्यप्रदेश सरकार को राजस्व में इजाफा होता है।
इन्दौर आरटीओ कार्यालय में वीआईपी नंबरों को रखने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हाल ही में आरटीओ में वीआईपी नम्बर की बोली में एक वीआईपी नंबर पांच लाख से अधिक रुपए में बिका है.
वाहनों के वी आई पी नम्बरों की दीवानगी शहर में अभी भी बरकरार है । वीआईपी नंबर की पसंद रखने वाले लोग 15 हजार से लेकर पांच लाख तक की बोली लगा रहे हैं । इंदौर आरटीओ में हजार से अधिक वीआईपी नंबर खाली पड़े हैं, जिसमें से कुछ विशेष लोग इन वी आई पी नम्बर को बोली लगाकर खरीद लेते हैं.
आरटीओ कार्यालय में लगाई गई इस नीलामी में दर्जनों से अधिक नंबर बेचे जाते हैं । इन वीआईपी नंबरों की बोली लगने के कारण सरकार को भी राजस्व मिलता है।
रात 1 बजे हुआ 0001 वी आई पी नम्बर का फैसला । 5 लाख 31 हजार की लगी फायनल बोली ।
आरटीओ कार्यालय में कार और बाइक के वीआईपी नंबरों को लेकर देर रात तक बोली लगती रही। 15 जुलाई से शुरु हुई बोली की प्रक्रिया बुधवार देर रात 1 बजे खत्म हुई तब तक कार के लिए 0001 नंबर को 5 लाख 31 हजार रूपये में खरीदा जा चुका था। कुल मिला कर 75 से अधिक नंबर बिके है। लेकिन 9999 और 0009 ऐसे नंबर थे जो एक लाख रूपये से अधिक में बिके है। प्राप्त जानकारी के अनुसार 0001 नंबर के लिए चार दावेदार मैदान में थे जो देर रात तक बोली लगाते रहे। इसके अलावा कार का ही 9999 नंबर 1 लाख 10 हजार में बिका है।जबकि कार का 0009 नंबर 1 लाख 82 हजार में बिका है। इससे पहले बीते नवंबर में कार का डब्लू एच 0001 नंबर चार लाख 60 हजार में बिका था। अपनी कार के लिए 0001, -0003, -0004, -0007, -0009, -7777, -5050, -5555, -9999 जैसे वी आई पी नंबरों के लिए आवेदकों ने बोली लगाई थी। बहरहाल इंदौर वासियो का वी आई पी नम्बर की डिमांड दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। गौरतलब है कि महंगाई के इस दौर में भी इंदौर वासियो का चार पहिया वाहनों को खरीदने में कोई कसर नही छोड़ी जाती है और ना ही वी आई पी नम्बर लेने में । फिर चाहे वी आई पी नम्बर की लिए बोली लगाने में देने वाली कीमत लाखो में ही क्यों ना हो।