विदेश जाने से कतरा रहे है , राजस्थान के IAS अफसर,कोरोना काल से पहले कार्मिक विभाग को ट्रेनिंग के नाम पर आईएएस अधिकारी विदेश यात्रा के काफी आवेदन देते थे. अब एक भी अफसर का आवेदन विभाग तक नहीं पहुंचा है. जयपुर. कोरोना काल में आईएएस अफसरों की हवाई यात्राओं पर ब्रेक लग गया है. प्रदेश के आईएएस से लेकर आरएएस अफसर देश- विदेश विदेश की यात्राएं करने से कतरा रहे हैं. हालांकि, सरकार की तरफ से राज्य से बाहर जानें पर कोई पाबंदी नहीं है. इसके बावजूद ब्यूरोक्रेट्स राजधानी जयपुर को छोड़कर बाहर जाना नहीं चाह रहे हैं. आलम यह है कि कोरोनाकाल से पहले राज्य के कार्मिक विभाग में विभाग की बेहतरी के लिए प्रशिक्षण और योजनाओं को कैसे अच्छी तरह से लागू किया जाए, के नाम पर देश-विदेश यात्राओं का लुत्फ उठाने के लिए सैकड़ों आईएएस अफसरों के आवेदन आते थे. लेकिन इस बार अफसरों ने कार्मिक विभाग को ट्रेनिंग के नाम पर यात्रा करने के लिए आवेदन नहीं किया.
प्रदेश के आईएएस अफसर जिस विभाग में रहते हैं उस विभाग की बेहतरी के लिए प्रशिक्षण के नाम पर विदेश यात्राएं करते रहे है. पिछली वसुंधरा सरकार के समय अफसरों ने 75 बार प्रशिक्षण के नाम पर विदेश यात्राएं की. लेकिन राज्य में सत्ता परिवर्तन होते ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकार की आर्थिक सेहत का हवाला देते हुए मंत्रियों और अफसरों की विदेश यात्राओं पर रोक लगा दी थी.
⚫गहलोत सरकार ने नहीं दी थी अनुमति
गहलोत सरकार ने डेढ़ माह के भीतर ही 5 IAS अधिकारियों एच गुइटे, मुग्धा सिन्हा, कुलदीप रांका, सुबोध अग्रवाल और गौरव गोयल को विदेश यात्रा पर जाने की अनुमति नहीं दी. हालांकि, सरकार ने बाद में यह रोक हटा ली थी. उत्तर भारत में कोरोना वायरस का पहला केस राजस्थान में आने पर प्रदेश की गहलोत सरकार ने पिछले साल 22 मार्च को सबसे पहले लॉकडाउन प्रदेश लागू कर दिया था. पिछली साल की 22 मार्च से लेकर इस वर्ष के जून महीने तक किसी भी ब्यूरोक्रेट्स ने हवाई यात्राओं के लिए आवेदन नहीं किया है.
⚫ट्रेनिंग लेकर लौटे और हुआ तबादला
पिछली सरकार में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव वीनू गुप्ता ने उद्योग विभाग की प्रमुख सचिव रहते हुए सर्वाधिक आठ बार विदेश यात्राएं की. उनकी हर यात्रा पर सरकार ने दो से तीन लाख रुपए खर्च किए. वहीं अन्य अफसरों ने दो से तीन बाद विदेश यात्राएं की. सरकार के करोड़ों खर्च करने के बाद अफसरों के विदेशी प्रशिक्षण का लाभ न सरकार को मिलता है और न ही जनता को. क्योंकि जिस विभाग में रहते हुए यह प्रशिक्षण लिया उस प्रशिक्षण के बाद अफसरों के विभाग बदल दिए गए.