सरकार बच्चों को प्रमोट करने का फॉर्मूला तय नहीं कर पाई; एक्सपर्ट ने कहा- CBSE और RBSE के हालात अलग, पिछली क्लास के मार्क्स ही एकमात्र रास्ता

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सरकार बच्चों को प्रमोट करने का फॉर्मूला तय नहीं कर पाई; एक्सपर्ट ने कहा- CBSE और RBSE के हालात अलग, पिछली क्लास के मार्क्स ही एकमात्र रास्ता

10वीं और 12वीं कक्षा के करीब 21 लाख स्टूडेंट्स को प्रमोट करने से पहले शिक्षा विभाग ने अब तक मार्क्स को लेकर कोई पॉलिसी ही नहीं बनाई है। इसका नतीजा है कि आज एक सप्ताह बाद भी स्टूडेंट्स इस चिंता में हैं कि अगली क्लास में एडमिशन कैसे होगा? अब जयपुर में प्रिंसिपल सेक्रेटरी अपर्णा अरोरा ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर और माध्यमिक शिक्षा निदेशालय बीकानेर के अधिकारियों को जयपुर तलब किया है। निर्णय बुधवार को भी होने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि विभाग अब तक प्रस्तावों पर ही चर्चा कर रहा है। उधर,
दो जून को बच्चों को प्रमोट करने के आदेश दिए थे
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दो जून को ही 10वीं और 12वीं के स्टूडेंट्स को प्रमोट कर दिया था। तब सीबीएसई की नीतियों के आधार पर ही स्टूडेंट्स को प्रमोट करने का निर्णय हुआ था। हकीकत में सीबीएसई और राजस्थान बोर्ड की परिस्थितियों में बड़ा अंतर है। सीबीएसई बोर्ड पिछले सत्र में बच्चों का एसेसमेंट कर चुका था, जबकि आरबीएसई ने स्कूलों में ऑफलाइन क्लासेज होने के बावजूद टेस्ट नहीं लेने के आदेश दिए थे। ऐसे में सीबीएसई तो अपने एसेसमेंट के आधार पर स्टूडेंट्स को मार्क्स दे सकता है, लेकिन शिक्षा विभाग के पास ऐसा कोई आधार नहीं है।
11वीं का टेस्ट भी नहीं दिया था प्रमोट हुए स्टूडेंट ने
राजस्थान के शिक्षा विभाग के पास स्टूडेंट के एसेसमेंट के लिए अब पिछली कक्षाओं में लिए गए मार्क्स ही एकमात्र आधार हैं। 12वीं में प्रमोट हुए करीब 10 लाख स्टूडेंट्स ने तो 11वीं का टेस्ट भी नहीं दिया था। वहां भी उसे सीधे प्रमोट किया गया। ऐसे में इन स्टूडेंट का अंतिम असेसमेंट 10वीं कक्षा की परीक्षा ही था। इसी तरह 10वीं के स्टूडेंट का अंतिम असेसमेंट आठवीं कक्षा की परीक्षा है। इसके मार्क्स विभाग के पास उपलब्ध हैं। 8वीं के मार्क्स के आधार पर 10वीं के मार्क्स दिए जा सकते हैं।

⚫ये फॉर्मूला भी संभव : पिछली तीन कक्षाओं का औसत परिणाम
एक विकल्प ये भी है कि दसवीं के स्टूडेंट को 8वीं, 9वी और 10वीं के असेसमेंट के आधार पर मार्क्स दिए जाए। इसमें 8वीं के सभी विषयों के मार्क्स है, जबकि 9वीं व 10वीं में इंटरनल मार्क्स ही उपलब्ध हैं। इसी तरह बारहवीं के स्टूडेंट के तीन वर्षों के असेसमेंट में दसवीं के सभी विषयों के मार्क्स है जबकि ग्यारहवीं और 12वीं के इंटरनल मार्क्स ही हैं। ऐसे में 10वीं के स्टूडेंट के लिए आठवीं और 12वीं के स्टूडेंट के लिए 10वीं के मार्क्स का अनुपात अधिक रखते हुए शेष दो क्लासेज का कम अनुपात जोड़ा जा सकता है।
यूनिवर्सिटी के लिए भी संकट
आमतौर पर सभी बड़े यूनिवर्सिटी में एडमिशन का आधार 12वीं क्लास के मार्क्स ही होते हैं। अब सभी बच्चे प्रमोट हुए हैं तो वो एडमिशन किस आधार पर देंगे। सीटें कम और एडमिशन के इच्छुक स्टूडेंट्स अधिक होने के कारण अब बीएससी जैसे पाठ्यक्रमों में प्रवेश मुश्किल हो गया है। कोई आश्चर्य नहीं कि युनिवर्सिटी अपने यहां प्रवेश के लिए अब प्री टेस्ट का आयोजन रख लें। उस प्री टेस्ट को क्लियर करने पर ही मेरिट आधार पर प्रवेश दिया जा सकता है।
ये सुझाव हो गए बेकार
स्टूडेंट्स को प्रमोट करने से पहले माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने कई सुझाव सरकार को भेजे थे। अब ये सभी सुझाव बेकार हो गए क्योंकि किसी भी स्तर पर एग्जाम नहीं कराने का निर्णय हो गया है। इसमें छत्तीसगढ़ की तरह टेक होम एग्जाम बड़ा विकल्प था, जिसमें स्टूडेंट को घर पर ही पेपर और एंसवर शीट दी जा रही है। पांच दिन में पांच विषयों की आंसर शीट स्टूडेंट्स को जमा करानी है। इसी तरह महत्वपूर्ण विषयों का एक ही पेपर बनाने का भी विकल्प था। जैसे साइंस बायो के स्टूडेंट्स का फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायो का एक ही पेपर बनता। दसवीं के पांचों विषयों का एक ही पेपर हो जाता। अब प्रमोट के आदेश होने के बाद किसी तरह की परीक्षा संभव नहीं है।

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