कोरोना से बेपटरी हुआ जीवन, आगे होगा क्या…?

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यह संतोष की बात है कि देश में कोरोना बीमारी का प्रकोप कुछ कम हुआ है लेकिन हम सब यह भी जानते हैं कि इस बीमारी की वजह से बहुत से परिवारों ने अपने प्रियजनों को खोया है इस पीड़ा को वहीं लोग ज़्यादा सब अच्छी तरह से समझ सकते हैं कई परिवार ऐसे भी हैं जिनके कमाऊ सदस्य इस बीमारी के कारण दुनिया में नहीं रहे और उनके परिवार दोहरी परेशानी में आ गए हैं एक तरफ़ तो प्रियजन के जाने का दुख दूसरी तरफ़ आर्थिक संकट के कारण परिवार पालने की चुनौती इसको समझना आसान नहीं है, समाज कुछ समय के लिए संवेदना प्रकट कर सकता है किन्तु असली परेशानी परिजनों को ही भुगतनी होती है कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सरकार का व्यवहार भी ग़ैरज़िम्मेदारी भरा रहा है कई मामलों में राजनेताऔ ने ज़िम्मेदारी वहन करने की जगह राजनीतिक लाभ हानि पर अधिक ध्यान दिया आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है कइ महत्वपूर्ण क्षेत्र जैसे टूरिज़्म ,होटल ,वस्त्र, निर्माण ,यातायात ,फ़ैशन ,रेस्टोरेन्ट ,इलेक्ट्रॉनिक ,ओटोमोबाइल आदि क्षेत्रों में काफ़ी मन्दी का असर देखने को मिल रहा है इनसे जुड़े उधोगो में या तो कर्मचारियों की छँटनी हुई है या फिर उनके वेतन में कटौती हुई है इसका समाज में दीर्घकालिक विपरीत असर पड़ सकता है। चोरीचपाटी लूटमार हत्या पारिवारिक में बढ़ोतरी हो सकती हैयह समय एसा हे जिसमें सब कोआपस में ऐक दूसरे की मदद करने के बारे में विचार करना चाहिए साथ ही यह भी सोचना होगा कि किस प्रकार हम सब मिलकर देश कीआर्थिक स्थिति में सुधार करने में योगदान कर सकते हैं सामूहिक रूप से क्या क्या किया जा सकता है। वर्तमान दौर में हम सब मिलकर निम्नलिखित बिन्दुओं पर विचार कर सकते हैं। ——- कुछ परिवार आर्थिक कारणों से अपने बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाने में परेशानी महसूस कर रहे होंगे उनको किस प्रकार ससम्मान मदद की जा सकती है। —-कुछ युवाओं का रोज़गार इस महामारी की वजह से छूट गया हो अथवा उनके वेतन में कटौती हो गयी हो उनके हुनर और अनुभव का किस प्रकार लाभ मिल सकता है इस पर विचार किया जा सकता है। ——कुछ परिवारों में कमाऊ सदस्य की मोत केकारण परिवार को किस प्रकार आर्थिक सबंल प्रदान किया जा सकता है आर्थिक विकास के बारे सब मिलकर क्या कर सकते हैं। एक बहुत बड़ायोगदान हम सब मिलकर यह कर सकते है कि सोशल मीडिया पर बीमारी से सम्बंधित ग़लत जानकारी नहीं फैलने दे सोशल मीडिया का उपयोग आपसी सहयोग बडाने के लिए कर न कि नफ़रत फैलाने के लिए । यह समय आपदा में अवसर ढूँढने का है सब लोग मिलकर इस दिशा में काम करें सभी राजनीतिक धार्मिक जातिगत उंच नीच की बातें छोड़कर राष्ट्रनिर्माण में कंधे से कंधा मिलाकर अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दे यही सच्ची राष्ट्र
भक्ति होंगी वर्तमान समय की आवश्यकता भी यही हैं

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