कोरोना की दूसरी लहर से अर्थव्यवस्था चौपट

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कोरोना की दूसरी लहर से अर्थव्यवस्था चौपट
कोरोना का अर्थव्यवस्था पर असर
कोरोना की दूसरी लहर ने ,पहली लहर से प्रभावित अर्थव्यवस्था को एक और झटका दिया है। पहली लहर के कारण बढ़ी बेरोजगारी ,उत्पादन में आयी कमी, उपभोक्ता वस्तुओं की मांग में कमी से ,पहले से ही ठप्प पड़ी आर्थिकविकास दर पर इस नई कोरोनोलहर के कारणऔर खतरा पैदा हो गया है । देश के कई हिस्सों सेमजदूरों का पलायन प्रारंभ हो गया है। इसका असर औद्योगिक उत्पादन पर पड़ रहा है । जिससे न केवल बेरोजगारी बढ़ रही है ,अपितु अप्रत्याशित रूप से उसका प्रभाव राजकोष पर भी पड़ रहा है । जिस कारण सरकार अपने खर्चों में कमी कर रही है । लोक कल्याणकारी योजनाओं पर इसका सीधा असर पड़ रहा है । अमीर और गरीब के बीच खाई बढ़ती जा रही है । गरीब और गरीब होता जा रहा है सरकार की गतिविधियों से ऐसा लग रहा है कि, वह इन सब से निपटने में अपने आप को पूर्ण रूप से सक्षम नहीं मान रही है। राजनीतिक दलों की गतिविधियों से ऐसा लग रहा है , की कोरोना उनके लिए वरदान है । इस महामारी का राजनीतिक फायदा इन दलों द्वाराउठाया जा रहा है । शायद राजनीतिक दलों की यही प्राथमिकता है । जनता मर रही है ,बेरोजगारी बढ़ रही है, महंगाई बढ़ रही है ,अपराध बढ़ रहे हैं । इस कारण अर्थव्यवस्था की स्थिति लगातार बिगड़ रही है। किंतु राजनीतिक दलों का इन चीजों पर ध्यान नहीं है। कोरोन काल चीन के साथ व्यापार को लेकर देश में चीनी माल के बहिष्कार का एक अच्छामाहौल बन गया था । इसमाहौल कोयदि सरकार चाहती तो एक अवसर के रूप में ले सकती थी । क्योंकि देश का कच्चा माल, चीन जाकर वहाँ से तैयार माल हमारे यहां आता है। जिसका लाभ चीन को मिलता रहा हैं।आज भी चीन का सामान अन्य देशों के मार्फत हमारे देश में आ रहा है । इस पर सरकार को विचार करना चाहिए कि किस प्रकार चीनी माल का देश में आयात बंद हो । जिस प्रकार से देश में अमीर गरीब के बीच खाई बढ़ी है । उस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। यदि यह खाई और बढ़ती है ,तो देश में लूटमार ,छीना झपटी, डकैती, आगजनी जैसे अपराध बढ़ सकते हैं । समय रहते इस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है । जो वर्ग दैनिक मजदूरी पर निर्भर हैं ,उसकी क्रय शक्ति विशेष रूप से प्रभावित हुई है। उनका जीवन यापन एक कठिन स्थिति के दौर में है । साथ ही दूसरा ऐसा वर्ग भी है जो वेतनभोगी वर्ग है ,देश में राजकीय कर्मचारी अथवा नियमित रोजगार वाले निजी क्षेत्र के कर्मचारी अपेक्षाकृत आर्थिक रूप से चिंता मुक्त है । एवं समर्थ वर्ग को चाहिए कि राष्ट्रहित में अपने वेतन का 25% देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिये प्रधानमंत्री राहत कोष में दान दे ,जो कि न केवल देश में वर्ग भेद को समाप्त करने की दिशा में क्रांतिकारी कदम होगा, अपितु देश की आर्थिक मजबूती की दिशा में वेतनभोगी वर्ग का सराहनीय योगदान होगा । यहां यह बात महत्वपूर्ण है कि वेतनभोगी वर्ग के खर्चे भी कोरोनाकाल में कम हुए हैं । इस पर विचार कर वेतनभोगी वर्ग इस कदम पर विचार कर सकता है । केंद्र व राज्य सरकार भी इस दिशा में उचित कदम उठा सकती है। कोरोनाएक विपदा है ,इस पर सभी को मिलकर काम करने की विशेष आवश्यकता है। देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए हर नागरिक अपना सकारात्मक योगदान देना होगा यही समय की आवश्यकता है।

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