कोरोनाकी दूसरी लहर सावधानी ….,,,अभी नहीं तो कभी नहीं ?अदृश्य मुक़ाबला?

0
21

लेख;- दीप प्रकाश माथुर

कोरोना की दूसरी लहर और इसके प्रभाव– इन दिनों जिस तेज़ी से कोरोना फैल रहा है इसकी वजह से आम जनता तथा राज्य व केंद्र सरकार सभी बहुत चिंतित है जैसा कि सभी को मालूम है कि कोरोना की पहली लहर का प्रभाव सितंबर 2020 से कम होना प्रारंभ हो गया था तथा फ़रवरी 2021 तक तो यह लगने लगा यह बीमारी लगभग समाप्ति की ओर है किन्तु मार्च महीने से इस बीमारी की दूसरी लहर ने अपना प्रभाव दिखाना चालू कर दिया और अप्रैल महीने में तो इसके प्रभाव से सभी लोग सोचने को मजबूर हो गए अब तो ऐसा लगने लगा है कि यह बीमारी लगभग बेक़ाबू हो चुकी है राज्य सरकारो और केंद्र सरकार इस संबंध में अपनी विवशता ज़ाहिर कर चुके हैं इससे यह भी लगता है कि सरकार इस बीमारी को नियंत्रण करने में लगभग असफल हो चुकी है हालाँकि जब इस बीमारी का प्रकोप कम हुआ तब सरकार द्वारा इस पर ध्यान देना कम कर दिया और अन्य प्राथमिकताओं पर काम करने लग गई जैसे चुनाव रैलियाँ इस कारण समय रहते हैं बीमारी के फैलाव को रोका नहीं जा सका अब यह माना जाने लगा है कि आम जनता की सक्रिय भागीदारी जैसे मास्क पहनना .social distancing maintaine करना. हाथ धोते रहना , से ही इस बीमारी के फैलाव को रोका जा सकता है है हालाँकि अभी तक इस बीमारी के इलाज का कोई प्रामाणिक दवा नही आयी हैं क्योंकि जो भी दवाई अभी तक आयी हैं उन पर अभी काफ़ी अध्ययन होना बाक़ी है इसके अलावा इस बीमारी की जाँच के लिए जो टेस्ट हो रहे हैं उन पर भी कईबार प्रश्न चिन्ह लगे हैं इन पर भी और रिसर्च की आवश्यकता है इसके बावजूद तेज़ी से बिमारी का फैला हुआ है उससे टेस्टिंग सुविधाएँ तथा आवश्यक दवाईयां की कमी महसूस हो रही है हालाँकि कोरोना वैक्सीन के प्रति हमारे देश में रुझान बढ़ा है और टीकाकरण कराने के लिए आम जनता उत्साहित है किंतु वैक्सीन के कमी ने इस अभियान में रुकावट पैदा कर दी है इसके अलावा टीकाकरण के बावजूद इस बीमारी से ग्रसित होने वालों की संख्या भी सामने आने लगी है यह भी एक अध्ययन का विषय हैं और इसका एक कारण ये भी हो सकता है कि वैक्सीन के ट्रायल के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला हो यह एक गंभीर बात है कि जिस तेज़ी से बिमारी का फैला हुआ है उस तेज़ी से दवाईयों की उपलब्धता, जाँच की सुविधाओं का अभाव ,अस्पतालों में पर्याप्त बैड का अभाव ,मरीज़ों को घर से अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस का अभाव ,ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी ,इस बीमारी से मरने वालों के अंतिम संस्कार हेतु पर्याप्त संसाधनों का अभाव देखने को मिल रहा है ये सभी के लिए चिंता का विषय है लेकिन आम जनता के ध्यान में इन तथ्यों को लाना आवश्यक है क्योंकि बिना जन सहयोग के इस बीमारी से केवल सरकारी स्तर पर नहीं लड़ा जा सकता आम जनता को सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का अक्षरशः पालन करना होगा इसी से इस बीमारी की भयावहता को कम किया जा सकता हैं। राजनीतिक दलों को भी सोचना होगा कि चुनावी रैलियों को तत्काल प्रभाव से बंद कर दें व्यापक जनहित व देश हित में ऐसा करना आवश्यक हैं। इस बीमारी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था परबहुत विपरीत प्रभाव पड़ा है और कई परिवारों की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है सरकार को चाहिए कि इस बीमारी की वजह से बेरोज़गार हो गए युवाओं को पर्याप्त नियोजन मिले और देश की जनशक्ति का राष्ट्र के विकास में सही उपयोग हो । गत वर्ष भारत सरकार ने देश में लघु और मध्यम उद्योगों के विकास के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की थी इस संबंध में अध्ययन होना चाहिए कि इस पैकेज का क्या फ़ायदा मिला ,इसके क्रियान्वयन में क्या कठिनाईया आ रही है ,और इसका किस प्रकार अधिक से अधिक व्यक्ति लाभ उठा सकें इसका अध्ययन होना चाहिए ।चीन का उदाहरण हमारे सामने हैं चीन में गत वर्ष आर्थिक विकास दर रिकॉर्ड स्तर पर रही है जबकि पूरी दुनिया में आर्थिक विकास की दर में गिरावट देखी गईं हैं चीन की विकास दर पर विशेषज्ञों को विचार कर यह पता लगाना चाहिए कि किस प्रकार हम देश की अर्थव्यवस्था को आगे ले जा सके। हम सभी को एक होकर कोरोना से लड़ना है ।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here