वरिष्ठ आईएएस अधिकारी कुंजीलाल मीणा ने सामाजिक सरोकार की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. मीणा ने अपनी मां के निधन पर मृत्यु भोज नहीं करने का निर्णय लिया है. वे इसमें खर्च होने वाली धन राशि को शिक्षा के क्षेत्र में लगायें
कुंजीलाल, उनके भाई ब्रजमोहन और भतीजे नाहर सिंह समेत पूरे परिवार ने शपथ-पत्र देकर नुक्ता प्रथा बंद करने का संकल्प लिया है.
जयपुर. राजस्थान के वरिष्ठ ब्यूरोक्रेट आईएएस अधिकारी कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी कुंजीलाल मीणा ने मृत्युभोज (नुक्ता) जैसी सामाजिक बुराई को रोकने के लिए अनुकरणीय पहल करते हुए अपनी मां के निधन पर मृत्युभोज नहीं करने का निर्णय लिया है. मीणा मृत्युभोज पर खर्च होने वाली धनराशि को शिक्षा पर खर्च करेंगे. मीणा समेत उनके परिवार के लोगों ने इसके लिये बाकायदा शपथ-पत्र देकर नुक्ता प्रथा बंद करने की घोषणा की है.
27 फरवरी को कुंजीलाल मीणा की मां गुलबाई का निधन हो गया था. कुंजीलाल मीणा सवाई माधोपुर की बामनवास तहसील के रामसिंहपुरा गांव के रहने वाले हैं. राजस्थान में विभिन्न अहम पदों पर रहे कुंजीलाल मीणा वर्तमान में कृषि विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.
सामाजिक सरोकार के लिए जाने जाते हैं कुंजीलाल
कुंजीलाल मीणा सामाजिक सरोकारों के लिए भी जाने जाते हैं. कुंजीलाल ने रामसिंहपुरा गांव के पंच- पटेलों की सहमति से वचनबद्ध का एक प्रस्ताव भी जारी किया है. उन्होंने मृत्युभोज नहीं करनी की अपील भी की है. कुंजीलाल, उनके भाई ब्रजमोहन और भतीजे नाहर सिंह समेत पूरे परिवार ने शपथ-पत्र देकर नुक्ता प्रथा बंद करने का संकल्प लिया है. इसके तहत मृत्युभोज की परंपरा को पूर्णत बंद करने, केवल कन्याओं को भोजन तक सीमित रखने, कीर्तन पर भोज का आयोजन नहीं करने, बरसोत प्रथा और शोक सभा (तीसरे के दिन) चिट्टी वितरण के संदेश को भी पूर्णतया बंद करने पर निर्णय किया है.
शिक्षा पर धन खर्च करने की अपील
कुंजीलाल मीणा ने कहा मृत्युभोज और नशे पर धन राशि खर्च ना करके उसे अपने बच्चों की शिक्षा पर खर्च करें ताकि वे पढ़ लिखकर देश और समाज के लिए अच्छा काम कर सकें. उन्होंने कहा कि शिक्षित व्यक्ति सही मायने में संसार में सबसे अधिक धनी व्यक्ति होता है. धन, गाड़ी ,बंगला और जेवर ये सभी वस्तुएं एक समय के बाद समाप्त हो जाती हैं. लेकिन शिक्षा एक मात्र ऐसा धन है जो जिसे जितना खर्च करो वह उतना ही बढ़ता ही जाता है. विद्यावान व्यक्ति की हर स्थान पर प्रशंसा होती है और वह समाज में उच्च स्थान प्राप्त करता है. समय और अनुभव के साथ यह बढ़ता ही जाता है.