लहूलुहान आंतरिक लोकतंत्र से जूझ रही कांग्रेस लोकतंत्र की बात करती है….???? सूत न कपास जुलाहो में लट्टम लट्टा

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रिपोर्ट शिवभानु सिंह बघेल

लहूलुहान आंतरिक लोकतंत्र से जूझ रही कांग्रेस लोकतंत्र की बात करती है….????
सूत न कपास जुलाहो में लट्टम लट्टा
सतना -परिवर्तन प्रकृति का नियम है यह शाश्वत सत्य है । लेकिन कांग्रेस इस सत्य को नहीं मानती यही कारण है कि सतना सहित विन्ध्य क्षेत्र में वह 10-12 वर्ष पहले जिला अध्यक्ष सहित पदाधिकारी बनाकर भूल गई । जब इन नेताओं को यह एहसाल हो गया कि उनके और कुर्सी के बीच फेवीकोल है तो भला निरंकुश क्यों नहीं होंगे । कांग्रेस के संभागीय सम्मेलन में क्षेत्र के कद्दावर नेता डॉ. राजेंद्र कुमार सिंह ने मंच से ही पार्टी के प्रभारी महासचिव को आइना दिखा कर यह बता दिया है यहां गुटीक कोटा चलता है मैरिट के लिए कोई स्थान नहीं है । वही रीवा से लोकसभा के पूर्व प्रत्याशी सिद्धार्थ तिवारी व पूर्व विधायक सुखेंद्र सिंह ‘बन्ना ‘के समर्थकों को ने भविष्य की तस्वीर प्रस्तुत कर दी है । इस अप्रिय स्थिति को देखकर यही कहा जा सकता है कि “सूत न कपास जुलाहो में लट्ठम लट्ठ । 15 महीने की सरकार मे रीवा संभागीय मुख्यालय के जिला शहर अध्यक्ष मंगू सरदार सुपर सीएम और भगवान हुआ करते थे ।रीवा से लेकर विंध्य क्षेत्र के रेलवे स्टेशनों में अच्छे-अच्छे नेता गड्डियां वह कागज लेकर खड़े रहते थे । माफिया तो पहले ही फोन कर देते थे कि भैया खाना मत लाना यहां कड़कनाथ मुर्गा वाला टिफिन न्योछावर के साथ तैयार है वही सतना के शहर अध्यक्ष मकसूद भाई हज करने वालों की चौकीदारी अपने परिवार को ही सौंप दी अब भला विन्ध्य की जातिवादी व्यवस्था और देश की त्रुण्टिकरण वाली राजनीति के दौर में मंगू भाई और भाई जान की क्या जरूरत है । लेकिन क्या करो कांग्रेस को यह साबित करना है कि वह सर्वधर्म सद्भाव वाली पार्टी है इसका परिणाम भले ही निकले कि मत पेटी से कमल- ही कमल निकले । पुरातत्व संग्रहालय से सजावट की वस्तु बन चुके राजाराम त्रिपाठी ,एंड कंपनी के भरोसे अगर कांग्रेस जीत ढूंढती है तो उसे गुलाल उड़ाने में समय लगेगा । सच तो यह है कि विंध्य में जहां अजय सिंह “राहुल भैया” डॉ.राजेंद्र कुमार सिंह और सिद्धार्थ तिवारी 3 नेता 3 गुट और 3 दिशाएं हैं अर्थात सवर्ण नेता एक दूसरे की टांग ही ढूंढते रहते हैं जबकि पिछडे़ वर्ग से से पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा के नेतृत्व में समाज एकजुट होकर मतदान कर चुके हैं । कांग्रेस में अगडे़ पिछड़े के बीच संदेह की लीकर स्पष्ट दिखाई देती है । सतना के विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा कांग्रेस की राजनीति शिलालेख बन सकते हैं लेकिन वे सिर्फ अखबार बनकर रह गए- अजय सिंह ‘राहुल’ से अदावत कर उन्होंने एक बड़े सवर्ण वर्ग को नाराज कर लिया जो आगे की राजनीति के लिए शुभ नहीं है । अब वह प्रत्याशीयों के हार जीव के गुणा भाग में ही गांधी छाप -गांधी छाप करते नजर आने वाले हैं ऐसा राजनीतिक पंडितों का मानना है । रीवा जिले में श्रीनिवास तिवारी व सुंदरलाल तिवारी के जाने के बाद तिवारी परिवार की साख समाप्त हो गई है लेकिन टिकट उन्हीं को मिलेगा । ऐसे में भावी पीडी निराश होकर घर में बैठने पर मजबूर है । सीधी में अजय सिंह के चुनाव हारने के बाद कांग्रेस की हालत पतली , तो शहडोल, उमरिया, अनूपप क्षेत्र से कद्दावर नेता मंत्री बिसाहूलाल सिंह के भाजपा में जाने से क्षेत्र कांग्रेस मुक्त हो गया है ।वहीं सतना जिले के मैहर से जनाधार वाले नेता श्रीकांत चतुर्वेदी के भाजपा में जाने से खनिज माफिया धर्मेंद्र धई के अलावा कोई बचा ही नहीं है । चित्रकूट के विधायक नीलांशु चतुर्वेदी अवश्य अपना किला बचाए हुए हैं।
ऐसा नहीं है कि कांग्रेस के पास नेता नहीं है मनीष तिवारी,सईद एहमद, गिरीश सिंह ,डॉ डीपी सिंह, राजमान सिंह “राज”, राजदीप सिंह “मोनू” सज्जन सिंह तिवारी ,रामलखन सिंह पटेल, रश्मि सिंह ,रविन्द्र सिहं सेठी जैसे नेता जनता के बीच लोकप्रिय हैं लेकिन यह नेता कांग्रेस क्षत्रपो की नजरों में लोकप्रिय नहीं है ,सच्चाई यह है कि कांग्रेस 1983 वाली टीम से ही बार बार विश्वकप जीतने की उम्मीद करती है, यही उनकी विडंबना और दुर्भाग्य है रही सही कसर भविष्य में सामने खड़ा है जब 51 साल का बच्चा राहुल गांधी फिर कांग्रेस की कमान संभालने जा रहा है आज देश की सशक्त समझदार विपक्ष की जरूरत है जो तथ्थो के साथ सरकार को कटघरे में खड़ा कर सके- लोकतंत्र खतरे में है -उद्योगपति मित्रों सूट बूट वाली सरकार -देश की एकता अखंडता खतरे में है- काला कृषि कानून जैसे जुमले कांग्रेस को रसातल में ले जा रहा है ।कांग्रेस का लोकतंत्र इतना लहूलुहान है चुनाव को लेकर युवा कांग्रेसी एक दूसरे का पुतला जला रहे हैं ।

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