गबन-धोखाधड़ी के लम्बित प्रकरण समय-सीमा में निराकृत करने के निर्देश, कलेक्टर ने जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक एवं प्राथमिक सहकारी साख संस्था की त्रैमासिक समीक्षा की

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रिपोर्ट – सुधीर पांडेय

गबन-धोखाधड़ी के लम्बित प्रकरण समय-सीमा में निराकृत करने के निर्देश, कलेक्टर ने जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक एवं प्राथमिक सहकारी साख संस्था की त्रैमासिक समीक्षा की

उज्जैन 06/ दिसम्बर। कलेक्टर श्री आशीष सिंह ने जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक एवं प्राथमिक सहकारी साख संस्थाओं की त्रैमासिक समीक्षा बैठक लेकर निर्देश दिये कि गबन-धोखाधड़ी के लम्बित प्रकरणों का समय-सीमा में निराकरण कर प्रकरण समाप्त किये जायें। पुलिस अधीक्षक श्री सत्येंद्र सिंह ने सम्बन्धित पुलिस अधिकारी को निर्देश दिये कि जिन थानों में प्रकरणों का अनुसंधान लम्बित है, उनकी जानकारी प्रस्तुत की जाये, जिससे प्रकरणों का निराकरण कराया जा सके। बैठक में जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के जीएम श्री श्रीवास्तव आदि उपस्थित थे।

बैठक में सहकारिता विभाग के उपायुक्त श्री ओपी गुप्ता ने गौरव रक्षक न्यूज़ टीम को जानकारी देते हुए बताया कि बैंक स्तर पर चार प्रकरण गबन-धोखाधड़ी के लम्बित हैं। इन सभी चार प्रकरणों में सम्बन्धितों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराई जा चुकी है और चारों प्रकरणों में चालान पेश होकर एक प्रकरण में मुख्य आरोपी को न्यायालय द्वारा फरार घोषित किया गया है। शेष आरोपियों को दोषमुक्त किया गया है। एक प्रकरण में आरोपी को 20 वर्ष की सजा सुनाई गई और दो प्रकरणों में फौजदारी न्यायालय के विचारण में है। सभी प्रकरणों में वसूली हेतु धारा-64 में वाद दायर किये गये हैं, जिसमें से एक प्रकरण में न्यायालय उप पंजीयक से बैंक के पक्ष में अवार्ड पारित हुआ है। आरोपी जेल में निरूद्ध होने के कारण वसूली स्थगित, सम्पत्ति नहीं है, देयताओं का भुगतान भी नहीं किया गया है। तीन प्रकरणों में आरोपियों की देयताओं से लाखों रुपये रोके जाकर संयुक्त नाम से एफडीआर बनाई जाकर बैंक की अभिरक्षा में रखी गई है, जिसका समायोजन न्यायालय के निर्णय के पश्चात किया जायेगा।

बैठक में बताया गया कि संस्था स्तर पर 15 प्रकरण गबन-धोखाधड़ी के हैं। उक्त प्रकरणों में से 13 प्रकरणों में एफआईआर दर्ज कराई गई है। दो प्रकरणों में आरोपी की मृत्यु के पश्चात प्रकरण प्रकाश में आने से एफआईआर दर्ज नहीं कराई जा सकी। शेष 13 प्रकरणों में से 11 प्रकरणों में न्यायालय में चालान पेश होकर आठ प्रकरण निर्णित हो चुके हैं। इन प्रकरणों में से चार प्रकरणों में आरोपियों को सजा तथा चार प्रकरणों में आरोपी दोषमुक्त हुए हैं। इसी तरह कर्जमाफी के दौरान भी चार प्रकरण प्रकाश में आये थे, जिनके विरूद्ध सम्बन्धित थानों में एफआईआर दर्ज कराई जाकर विभागीय जांच पूर्ण कर सम्बन्धितों की सेवा समाप्त की गई है। संस्था रणायरापीर, बंगरेड़, कागदी कराड़िया एवं सुमराखेड़ा के संस्था प्रबंधकों के विरूद्ध फर्जी ऋण के प्रकरण प्रकाश में आने से जांच समिति की जांच के आधार पर एफआईआर दर्ज कराई जाकर विभागीय जांच पूर्ण करने के पश्चात सम्बन्धित संस्थाओं के प्रबंधकों को निलम्बित कर उनकी सेवा समाप्त कर दी गई हैं।

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