क्या सब्जी उत्पादक किसानों के साथ न्याय कर पाएगी प्रदेश सरकार
सतना >सब्जी का उत्पादन करने वाले किसान असंगठित है ।
>सब्जी लगातार 2 से 3 माह तक पैदावार देती है |
>सब्जी जल्दी खराब होने वाली फसल है |
>फल और सब्जी विक्रय करने की मंडी की वर्त्तमान में अत्यधिक कमी है ।
>सब्जी का मूल्य समर्थन मूल्य से नीचे आ रहा है तो उसकी भरपाई किसानों को भावअंतर के माध्यम से उनके खाते में राशि डालकर कर लेनी चाहिए।
मध्यप्रदेश में कुल बुवाई क्षेत्र के 11 प्रतिशत क्षेत्र में सब्जियां फल और अन्य फसलें बोई जाती है। जिसमें से आलू का उत्पादन सबसे ज्यादा है। उसके बाद प्याज का उत्पादन 24% लगभग होता है ,टमाटर 29% ,बैंगन 20% फूलगोभी 22% , बंद गोभी 23% ,लोकी 18% ,मूली 15% ,गाजर 18% ,मध्यप्रदेश में बोई जाती है। कुल 897.99 हजार हैक्टर क्षेत्र में सब्जी की खेती की जाती है । जहां से कुल उत्पादन 17773.19 हजारमीट्रिक टन होता है। भारत में उगाई जाने वाली प्रमुख फसलों जैसे आलू ,टमाटर ,प्याज, बैंगन, बंद गोभी फूल गोभी ,मटर और भिंडी आदि का योगदान सबसे अधिक होता है। सब्जी उत्पादक सिर्फ पांच राज्यों में मध्य प्रदेश तीसरे स्थान पर आता है । मध्य प्रदेश सरकार सब्जी का समर्थन मूल्य तय करने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रही है। 12 सब्जी इसके दायरे में आएगी यदि समर्थन मूल्य से कम पर किसान की सब्जी बिकती है, तो उसके नुकसान की भरपाई राज्य सरकार करेगी।
पर देखा जाए तो समर्थन मूल्य पर गेहूं और धान की खरीदी भी मात्र 6% तक ही होती है और गेहूं और धान के बड़े भाग को समर्थन मूल्य नसीब नहीं होता है। गेहूं ,धान और अन्य फसलों की खरीदी के लिए मध्यप्रदेश में 300 से अधिक मंडी कारगर है। मंडी क्षेत्र के बाहर भी फसलों को खरीदने करने वाले व्यापारी मिलजाते हैं। गेहूं, मक्का ,उड़द ,चना ,तुवर दाल आदि को लंबे समय तक संग्रहित भण्डारण किया जा सकता है। जबकि सब्जी के मामले में उलट और विपरीत होता है । सब्जी का उत्पादन करने वाले किसान असंगठित है । सब्जी लगातार 2 से 3 माह तक पैदावार देती है । किसान प्रतिदिन मोटर साइकिल , साइकिल व ठेले पर 4 -5 टोकरी सब्जी के लेकर आते हैं। समर्थन मूल्य से नीचे सब्जी जब विक्रय होगी तब उनके उत्पादन का प्रतिदिन हिसाब रखना और उनके नुकसान की भरपाई करना एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है। फल और सब्जी विक्रय करने की मंडी की वर्त्तमान में अत्यधिक कमी है । कई किसान सीधे तौर पर बिचोलियो को ही अपना माल भेज कर अपने खेतों की ओर निकल पड़ते है । ऐसे में बिचोली व्यापारी समर्थन मूल्य से ऊपर अपना मुनाफा जोड़कर आम उपभोक्ताओं को महंगी सब्जी उनकी थाली में परोस सकते है ? सरकार के लिए यह कठिन होगा कि सब्जी उत्पादक किसानों का कितना माल मंडी में आ रहा है उसका हिसाब किताब रखना जोकि चुनौतीपूर्ण होगा। सब्जी मंडियों की स्थिति बद से बदतर है, कुछ जिलों में ही सुव्यवस्थित सब्जी मंडी कार्यशील है ,ऐसे में किसानों को सब्जी का मूल्य समर्थन मूल्य से अधिक दिलवाने की राज्य सरकार की मंशा को कैसे बल मिलेगा देखा जाएगा ? सब्जी जल्दी खराब होने वाली फसल है हाल ही में इंदौर बड़वानी समेत कई जिलों में किसानों की सब्जी कम कीमत पर खरीदने के मामले सामने आ चुके हैं कि किसानों को भाव इतने कम मिल रहे हैं, कि वह वापस ले जाने की बजाय सब्जी मंडी में ही फेंक कर चले जाते हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सब्जी खरीदने की योजना केरल सरकार ने 1 नवंबर 2020 को प्रारंभ की , इस योजना को कृषि विभाग द्वारा लागू किया जाएगा । पहले चरण में प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां 250 बाजारों में किसानों से सीधे फसल की खरीदी करेंगे केरल सरकार की योजना के अंतर्गत निर्धारित कीमत का लाभ पाने के लिए फसल की बीमा करने के बाद कृषि विभाग के पंजीयन पोर्टल पर पंजीकरण कर सकते हैं।
सब्जी को समर्थन मूल्य पर खरीदी करने से पहले ढांचागत व्यवस्था में सुधार करना होगा जैसे कोल्ड स्टोरेज की सुविधा और वातानुकूलित वाहनों की आपूर्ति को बहुत बढ़ाना होगा तभी यह योजना साकार होगी। देखा जाए तो इस प्रकार की योजना की सफलता पर प्रश्न चिन्ह लगा रहता है ?? जब तक बुनियादी व्यवस्था में सुधार नहीं हो जाता है तब तक राज्य सरकार को सब्जी उत्पादक किसानों द्वारा सब्जी के क्षेत्रफल का रजिस्ट्रेशन उद्यान विभाग पोर्टल पर कर लेना चाहिए। कूल बुवाई क्षेत्रफल का सत्यापन उद्यान विभाग के द्वारा प्रमाणित करने के बाद एवं प्रति हेक्टर कुल संभावित उत्पादन निश्चित किया जाकर । यदि सब्जी का मूल्य समर्थन मूल्य से नीचे आ रहा है तो उसकी भरपाई किसानों को भावअंतर के माध्यम से उनके खाते में राशि डालकर कर लेनी चाहिए। जिससे राज्य सरकार को खरीदी बिक्री व्यवस्थाओं से काफी हद तक राहत मिलेगी और किसानों को भी बिना माथा फोड़ी के सब्जी फसलों के मूल्यों का लाभ प्राप्त होगा। इसमें कोई दो राय नहीं है कि मध्य प्रदेश की सरकार ने सब्जी उत्पादक किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए उनकी दशा पर अपनी चिंता व्यक्त की है व इस प्रकार की योजना उनकी हित में ला रही है जो स्वागत योग्य है ।
रिपोर्ट:-शिवभानु सिंह बघेल