सुई को फांसी तलवार को माफी वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं भ्रष्ट शिरोमणि अशोक तिवारी

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रिपोर्ट- शिवभानु सिंह बघेल

अनुसूचित सरपंच को जातिसूचक गाली देकर अपमानित किया
सतना- रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आएगा हंस चुगेगा दाना कौवा मोती खायेगा। आज कलयुग के इस दौर में रामपुर जनपद पंचायत में यह बात स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। यहां पदस्थ भक्त शिरोमणि सीईओ अशोक तिवारी ने भ्रष्टाचार के रिकॉर्ड के साथ जातिवाद का जहर भी खोल रखा है। उनके दाहिने हाथ बीपीओ महेश शर्मा जो जो नकली मार्कशीट पर नौकरी कर रहे हैं जिनकी शिकायत जिला पंचायत में धूल खा रही है लेकिन भ्रष्टाचार के मद में वे यह भूल गए हैं कि समय का पहिया घूमता है अब धुल भी हटेगी और कृष्ण मंदिर के दर्शन भी होंगे। इधर बजरंग स्व सहायता समूह के अनैतिक कृत्य पर पैसा खाकर अशोक तिवारी व महेश शर्मा क ने पर्दा डाल दिया , इनका जांच प्रतिवेदन चिल्ला चिल्ला कर इनकी गवाही देता है। हल्ला होने के बाद अब इस भ्रष्ट जोड़ी ने बजरंग स्व सहायता समूह मामले में थूक कर चाटने की जिम्मेदारी जे.के. बुनकर को सौंपी है। जिस पर हमारी नजर है।
इधर सुई को फांसी और तलवार को माफी वाली बात सामने है, जब पूरे जनपद क्षेत्र में सरपंचों व सचिवों को लूटा भी जा रहा है और प्रताड़ित भी किया जा रहा है। हमारी नजरों में निष्पक्षता के साथ भ्रष्टाचारियों से लोहा लेने वाले कलेक्टर अजय कटेसरिया व मंत्री, सांसद, विधायक विचार करें कि क्या पंचायतों के भ्रष्टाचार में सिर्फ सरपंच व सचिव ही दोषी हैं उपयंत्री, सहायक मंत्री सी.ई.ओ. भ्रष्टाचारो के सबसे बड़े गुनहगार एम.बी.टीएस. संपूर्णता प्रमाण पत्र फिर सी.ई.ओ. दस्तक के बाद देयक पास होता है। फिर बिना कार्य किए बिना सड़क व शौचालय निर्माण के बिल कैसे पास हो जाता है मालूम करने पर पता चला कि रामपुर जनपद के सी.ई.ओ. बी.पी.ओ. उपयंत्री सहायक यंत्री अंधे नहीं है, लेकिन जनता का पैसा लूटते समय यह अंधे होकर फाइलों में चिड़िया कैसे बिठा देते हैं। धन्य है डिज़ाइनर पत्रकार जो इनकी गोदी में बैठकर सरपंच व सचिवों के खिलाफ तो बढ़ चढ़कर लिखता है लेकिन भ्रष्ट परदेसी अधिकारियों को राजा हरिशचंद बताता है। कोई विचार करने को तैयार ही नहीं कि आखिर रामपुर जनपद की त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था ही प्रतिदिन मीडिया की सुर्खियों में क्यों है। इस समूची भ्रष्टाचारियों फिल्म के हीरो अशोक तिवारी भा.ज.पा. सरकार की बदनामी के पर्याय बन गए हैं मरोहा ग्राम पंचायत के भ्रष्टाचार व अनैतिक पर सील ठप्पा लगाकर सी.ई.ओ.ने सोल्हना ग्रा.पा. के भ्रष्टाचार को पीछे छोड़ दिया है। इधर सूत्रों ने बताया कि भ्रष्टाचार की शिकायत को दबाने व जिला पंचायत न भेजने के लिए एक अनुसूचित महिला सरपंच से ₹ 60 हजार लिए और फिर सुरा के सहारे प्रकरण को प्रकाशित करवा दिया। जब सरपंच ने सवाल जवाब किया तो उसे जातिसूचक गाली देकर अपमानित किया। यहां का हाल यू है कि-
गरीब मौजों पर पहरे बिठाए जाते हैं । समंदर की तलाशी कोई नहीं लेता।।

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