सराफत व सभ्यता के कपड़े उतार चुकी हैं अमरपाटन पुलिस
क्या यहाँ रामराज्य हैं?
सतना:- प्रदेश के गृहमंत्री व पुलिस महानिदेशक सेमिनारों में भाषण देते हुये कहते हैं कि पुलिस की सोच सामाजिक होनी चाहिये। समाज के सभ्य लोग पुलिस पर भरोशा करें और अपराधियों में पुलिस का खौफ होना चाहिये लेकिन सतना जिले के अमरपाटन थाने की सोच इसके एकदम विपरीत हैं। जनता जिन अपराधियों व तस्करों को अक्षी दृष्टि से नही देखती पुलिस उन्हें श्रीमान बनाकर कुर्सी पर बैठाती हैं। इस थाने में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पहरा बिठाने के प्रयास होते हैं। कोई तस्कर अगर किसी कलमकार के खिलाफ अगर कलमकार द्वारा लिखी गयी इबारत से बौखलाकर आवेदन दे देता है तो पुलिस उसे ओसामा बिन लादेन समझकर तत्परता से ढूढ़ने लगती है। जाहिर है कि इन तस्करों के पास चाँदी की अप्सरायें होती हैं जिसके सामने ये पुलिस को नचाते हैं। पूरे देश मे अमरपाटन ही ऐसी जगह हैं जहाँ रामराज्य हैं। यहाँ गाँजा,चरस,अफीम,नकली शराब,कोरेक्स कुछ नही बिकता,यहाँ जुआ सट्टा भी नही होता है वरना क्या कारण है कि पूरे प्रदेश व समूचे सतना जिले में पुलिस द्वारा यह सब पकड़ा जा रहा है लेकिन अमरपाटन में नही।अमरपाटन पुलिस की एक अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि अवश्य है।कि उसने ग्राम त्यौधरी में पैंतीस पेटी अवैध शराब पकड़ी लेकिन पुलिस को आज तक यह पता नही चला कि यह शराब कौन लाया। दूसरी उपलब्धि भी ग्राम त्यौधरी से है जब अमरपाटन पुलिस ने आकाश सिंह बघेल को छह पेटी शराब रख कर फंसा दिया। जब तत्कालीन पुलिस कप्तान ने एस डी ओ पी मैहर से जाँच करवायी तो चार पुलिसकर्मियों को लाइन अटैच कर दिया गया जबकी प्रकरण के असली गुनहगार टी.आई. को बचा लिया गया। सच तो यह हैं कि अमरपाटन पुलिस शराफत व सभ्यता के कपड़े उतार चुकी हैं। आवश्यकता इस बात की हैं कि यहाँ लाल बत्ती के नीचे छिपकर खेल खेलने वालों पर आई जी उमेश जोगा व एस पी धर्मवीर सिंह यादव की नजर पड़े।
*शिवभानु सिंह बघेल की रिपोर्ट*