अपना लाकडाउन अपनो के लिए
दोस्तो कोरोना जिस तेजी से फैल रहा है लगता है सबसे प्रेम निभा कर मानेगा सरकार भी असहाय नजर आ रही है ओर असहाय भी क्यो ना हो हम दोष तो दे रहे है केन्द्र हो या राज्य सरकार लेकिन सोचे हम कितनी भागीदारी निभा रहे है उनके साथ एक परिवार के दस आदमी एक दूसरे की बात नही मान रहे तो 130 करोड कैसै मानेगे एक इंसान की बात फिर चाहे मोदी जी हो या गहलोत जी बार बार एक ही शब्द मास्क ही वैक्सीन है लेकिन कितने लोग अपना रहे है इस बात को ना बराबर सोशल डिसटेंस ना बराबर सरकार लाकडाउन लगाये तो रोजी रोटी का खतरा ना लगाये तो कोरोना का डर आखिर क्या एक जागरूक समाज की जवाबदेही नही की हम भी सरकारो के साथ चले आज आक्सीजन की डिमांड एकाएक बढ गयी तो सोचिये क्या रातो रात फैक्ट्री बनेगी नही ना लेकिन अगर हम थोडा भी साथ दे तो बहुत हद तक काबू कर सकते है बेवजह घर से निकलना बंद करना पडेगा अपनी सोचे अपनो की सोचे हमारी छोटी सी बंदिश अपने आप पर बहुत हद तक नियंत्रण कोरोना पर आज बंद मंदिरों के बाहर हम जा रहे है क्या हो जाएगा अगर नही गये तो बस ये छोटी छोटी सोच को हमको अपनाना है अगर इस पर काबू करना है सोचे जितने लोग घर रहकर ठीक हो रहे है अगर सभी अस्पतालों मे जाकर खडे हो गये तो क्या होगा हमारे देश राज्य की मेडिकल स्थति तो किसी से छिपी नही फिर भी प्रयास जारी है केन्द्र हो या राज्य सरकारें हथेली मे सरसों नही उगती हमे भी तो उतना ही साथ देना है वैक्सीन कब आएगी कैसै आएगी कब तक हम इन सरकारो को कोसते रहेंगे अपनो को खोते रहेंगे कोरोना की जडे अब घर घर मे पहुच चुकी है
आइये मिलकर हम अपना लाकडाउन खुद करे आंकड़ो मे जगह बनाने की जगह इनको कम करने मे भागीदार बने मास्क लगाये खुद भी बचे ओरो को बचाए बेवजह बाहर निकलना बंद करे अगर काम घर से फोन से चल सकता हो जितना उतना चलाए बाकी ये सरकारें ये राजनैतिक दल केवल अपनी रोटिया सेंकने पर लगे रहेंगे ओर हम अपनो को खोते रहेंगे कोई नही आएगा पूछने रोज आंकड़े बदल रहे है ओर हम बेफिक्र होकर चले जा रहे है
आज जिस पर गुजरती है वही जानता है की कैसै पल पल डर कर जीना पड रहा है हर पल हर घडी परिवार ओर खुद की मोत का साया सिर पर मंडराता है जरा सी जुकाम भी होती है तो लगता है आया पोजिटिव साथियों इस डर को अपना हथियार बनाए अपना लाकडाउन खुद लगाये कोरोना से बचे ओर ओरो को बचाए ।
लेख-सत्यनारायण शर्मा