3अगस्त को श्रावणी उपागम प्रत्येक वर्ष की भांति धूमधाम से नहीं मनाया जाएगा

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शनिवार को गौड़ ब्राह्मण सभा जिला महेंद्रगढ़ स्थित नारनौल के प्रधान राकेश महता अधिवक्ता ने सभा के पदाधिकारियों व कार्यकारिणी के सदस्यों से मंत्रणा करने के बाद में निर्णय लिया कि कोविड-19 महामारी के चलते इस वर्ष 3 अगस्त को श्रावणी उपाकर्म प्रत्येक वर्ष की भांति धूमधाम से नहीं मनाया जाएगा

अपितु कोरोनावायरस की परिस्थितियों के चलते प्रतीकात्मक रूप से सभा भवन में आचार्य श्री देवदत्त शास्त्री के सानिध्य में उनके कुछ शिष्यों द्वारा सरकारी प्रतिबंधों में सामाजिक दूरियों का पालन करते हुए ऋषि पूजन एवं हवन के माध्यम से संपन्न कराया जाएगा।

इस वर्ष भी विषम परिस्थितियों के चलते सभा द्वारा यह निर्णय लिया जा रहा है।

सभी विप्र बंधु 3 अगस्त को अपने अपने निवास पर पूजन व हवन करके यदोपवित धारण या परिवर्तित कर लें तथा सभा द्वारा कोई सार्वजनिक उत्सव नहीं मनाया जाएगा। गौड़ सभा प्रधान राकेश महता अधिवक्ता ने बताया कि सनातन धर्म एवं वैदिक शास्त्र के अनुसार सार्वजनिक उपक्रम एक बहुत ही महत्वपूर्ण आयोजन है

शास्त्रों के अनुसार यगोपवित संस्कार के पश्चात व्यक्ति को वेद ग्रहण करने योग्य माना जाता है तथा इस संस्कार के साथ व्यक्ति को द्विज की मान्यता मिलती थी जिसमें बालक को सर्वप्रथम गायत्री मंत्र के बारे में बताया जाता है फिर वेदों का ज्ञान दिया जाता है

ब्रह्मचर्य आश्रम के सिद्धांतों के बारे में बताया जाता है। इस संस्कार में बालक तीन  धागों से बना यज्ञोपवित पहनता है

जिसमें प्रथम धागा पितृ ऋण का द्वितीय  धागा गुरू ऋण और तृतीय धागा देव ऋण का प्रतीक होता है और विप्र समाज के व्यक्तियों के लिए यज्ञोपवित धारण करना शास्त्रों के अनुसार बहुत महत्वपूर्ण आवश्यक है।

उन्होंने बताया कि सारणी उपक्रम में गुरु द्वारा अपने शिष्यों को यगोपवित संस्कार करवाने के अतिरिक्त बड़ी आयु के लोग भी तर्पण एवं ऋषि पूजन करने के साथ-साथ हवन करके यज्ञोपवित परिवर्तन भी करते है।

इस प्रकार यह विप्र समाज में एक महत्वपूर्ण उत्सव होता है परंतु कोविड-19 के चलते पैदा हालातों के दृष्टिगत इसे प्रतीकात्मक रूप से मनाया जा रहा है।

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