दिव्यांग छीतर कुमावत के चेहरे पर लौटी मुस्कान — जिला कलेक्टर जसमीत सिंह संधू की संवेदनशील पहल बनी मिसाल..

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दिव्यांग छीतर कुमावत के चेहरे पर लौटी मुस्कान — जिला कलेक्टर जसमीत सिंह संधू की संवेदनशील पहल बनी मिसाल..

गौरव रक्षक/राजेंद्र शर्मा(अधिस्वीकृत पत्रकार राजस्थान सरकार )

भीलवाड़ा, 14 अक्टूबर 2025

कभी-कभी किसी अधिकारी का एक छोटा-सा कदम आमजन के जीवन में आशा की किरण बन जाता है। कुछ ऐसा ही दृश्य मंगलवार को भीलवाड़ा कलेक्ट्रेट परिसर में देखने को मिला, जब जिला कलेक्टर श्री जसमीत सिंह संधू ने अपनी संवेदनशीलता और जनसेवा के भाव से एक दिव्यांग वृद्ध के चेहरे पर मुस्कान ला दी।

जिला प्रशासन के मुखिया जसमीत सिंह संधू अपनी सरलता, संवेदनशीलता और जनता के प्रति आत्मीय व्यवहार के लिए जाने जाते हैं। वे चाहे कितने भी व्यस्त क्यों न हों, यदि उनके कार्यालय के बाहर किसी महिला, बुजुर्ग या दिव्यांग व्यक्ति को सहायता की आवश्यकता होती है, तो वे स्वयं पहल करते हैं। यही कारण है कि आज भीलवाड़ा जिला अपने कलेक्टर पर गर्व महसूस कर रहा है।

मंगलवार को जब कलेक्टर संधू अपने निवास स्थान से पैदल कार्यालय की ओर जा रहे थे, तभी उन्होंने कलेक्ट्रेट के पास एक दिव्यांग व्यक्ति को बैठा देखा। वे तुरंत रुके और उसके पास जाकर उसका हाल-चाल पूछा। व्यक्ति ने अपना नाम छीतर लाल कुमावत (आयु 71 वर्ष), निवासी सांगरिया, थाना शाहपुरा (भीलवाड़ा) बताया और कहा कि वह खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ दिलवाने के लिए निवेदन करने आया है।

कलेक्टर संधू ने तुरंत मौके पर ही अपने अधिकारियों को निर्देश दिए। संबंधित टीम ने वहीं पर ऑनलाइन आवेदन कर छीतर कुमावत की समस्या का समाधान प्रारंभ किया। जिला रसद अधिकारी को जांच कर तीन दिन के भीतर पात्रता अनुसार लाभ दिलवाने के निर्देश जारी किए गए।

इसी दौरान, कलेक्टर ने यह भी सुनिश्चित किया कि दिव्यांगजन को अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है या नहीं। सूचना प्रौद्योगिकी और संचार विभाग के संयुक्त निदेशक से जांच करवाने पर पता चला कि छीतर कुमावत का यूडीआईडी कार्ड (विकलांगता पहचान पत्र) पहले से जारी है और उन्हें सामाजिक सुरक्षा पेंशन का लाभ भी प्राप्त हो रहा है।

जब छीतर कुमावत ने बताया कि वह अकेले रहते हैं — न पत्नी है, न बच्चे — तो कलेक्टर संधू ने तुरंत ब्लॉक सामाजिक सुरक्षा अधिकारी को निर्देश दिए कि उन्हें शीघ्र ट्राइसाइकिल उपलब्ध कराई जाए, ताकि उन्हें आने-जाने में सुविधा हो सके।

इस पूरे घटनाक्रम को देखकर उपस्थित लोगों ने कहा कि वास्तव में, यदि हर अधिकारी इस तरह मानवीय दृष्टिकोण अपनाए, तो सरकारी तंत्र और जनता के बीच की दूरी बहुत कम हो सकती है।

भीलवाड़ा के नागरिकों ने भी इस घटना को सराहा और कहा कि जिला कलेक्टर जसमीत सिंह संधू का यह कदम प्रशासनिक सेवा में “संवेदनशील शासन” की एक सुंदर मिसाल है।

दिव्यांग छीतर कुमावत का खिलता चेहरा और उनकी आंखों में झलकती कृतज्ञता, कलेक्टर संधू की कार्यकुशलता और मानवीयता की सजीव तस्वीर पेश करती है।

“कलेक्टर संधू न केवल प्रशासनिक दृष्टि से दक्ष अधिकारी हैं, बल्कि एक सच्चे जनसेवक हैं, जिनके लिए जनता की मुस्कान ही सबसे बड़ा पुरस्कार है।

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